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  1. रवि मैहर की यात्रा: एक अनजान मोती से साक्री के मेयर बनने तक की

     वर्ष 2000 17 वर्षीय रवि मेहर बिलासपुर छत्तीसगढ़ के एक छोटे गांव साकरी के एक सरकारी विद्यालय में दिन पूरा होने पर अपने किताबों का बस्ता बांध लिया और चल पड़ा फुटपाथ पर स्थित एक छोटे से झोपड़ी की तरफ जहां उसके पिताजी बैठते हैं। उसके पिताजी जो कि एक साधारण म ...
  2. बांस के बच्चों ने गायी नयी धुन

    कर्णाटक की सोलिगा जनजाति में 821 घरों  बिजली से उजागर हुए। दोपहर में एक रौशन झोपड़ी!  ये एक नया नज़ारा था। नहीं, वो सूर्य का प्रकाश नहीं था। उस असामान्य दृश्य को देखने के लिए जल्द ही कुछ लोग, झोपड़ी के बाहर एकठ्ठा हो गए। कुछ फुसफुसाहटे, कुछ मुस्कुराहटें,कुछ ...
  3. कापसी की अविश्वसनीय कहानी: सूखे से जल बाहुल्य तक की यात्रा

    दादा साहब कटार नामक किसान के जीवन में आमूल परिवर्तन आ गया है। दादा साहब फलतन- सतारा हाईवे स्थित कापसी गाँव का निवासी हैं। जल के टैंकर के लिए दीर्घ प्रतीक्षा के दिन अब समाप्त हो गए हैं। अब उसे फलतन से आने वाले टैंकर की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। यह टैंकर प ...
  4. कभी नशे के अंधेरों से घिरे दारा आज दूसरों के लिए आशा के दीपक बन गए

    एक व्यक्ति जो जान से मारने को तैयार था एवं एक वह व्यक्ति जो अपने माँ –बाप  का चहेता है। दो भिन्न-भिन्न व्यक्ति? नहीं, एक ही व्यक्ति – दारा सिंह दारा शिक्षा के स्कूल की बजाय नशे के स्कूल में चला गया दारा सिंह एक साधारण लड़का था- एक किसान का बेटा। राजस्थान ...
  5. शराब की लत छोड़कर अब युवा व्यसन मुक्ति कार्यक्रम चला रहे हैं डॉ वयाल

    डॉक्टर पुरुषोत्तम वयाल कभी खुद भी दिन रात शराब का नशा किया करते थे। अपनी मज़बूत इच्छाशक्ति  उन्होंने असाधारण साहस के साथ मुकाबला किया एवं एक करिश्माई सामाजिक कार्यकर्ता एवं जन नायक के रूप में उभर कर आगे आये। डॉ वयाल अपनी मार्मिक यात्रा पर प्रकाश डालते हैं, ...
  6. How this lady is bringing communities together to fight against open-defecation and superstitions

    झारखंड के खुचिडीह गाँव में एक सामुदायिक संगठन निर्माण एवं सशक्तिकरण कार्यक्रम केअवसर पर,आदिवासी समुदाय और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय पहली बार एक कार्यक्रम के लिए एकत्रित हुए।  जो समुदाय अपने अलावा किसी अन्य समुदाय में एक दूसरे के साथ बैठने का विचार भी नह ...
  7. विषाक्त भोजन उगाना बंद करें

    इंदौर के सुदूर क्षेत्रों से चलकर,वह मोटर साइकिल से भोपाल आते थे। नंदकिशोर बरहर, ये  जानने के लिए उत्सुक थे कि प्राकृतिक कृषि किस प्रकार से करनी है। श्री श्री प्राकृतिक कृषि कार्यक्रम से वह बहुत प्रभावित थे। उन्होनें बोने के लिए 50 किलो बांसी गेहूँ (एक प्र ...