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  1. गदग: जहाँ जूट में बुनें जाते हैं सपने

    कभी-कभी, दुनिया को बदलने के लिए छोटे-छोटे उपायों की आवश्यकता होती है। कर्नाटक का एक छोटा सा गाँव  जूट में सपने बुनकर सशक्तिकरण की एक निःशब्द कहानी आलेखित कर रहा है। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने दिसंबर 2010 में गदग शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कोप्पला में बहा ...
  2. बीन्स (फलियाँ) इन यूगांडा की महिलाओं की घनिष्ठ दोस्त हैं

    अक्टूबर 2016 यूगांडा से एक बेहतरीन कहानी प्रस्तुत है यूगांडा के गांव से पांच साहसी महिलाओं द्वारा लिखित सफलता की कहानी- फलियों के साथ। एक नॉन प्रॉफिट परियोजना, जिसको एम्पावर्ड वॉइस, कहा जाता है, नॉर्वे के लेने मार्टिनसेन और यू एस की कैली सवीने  द्वारा 201 ...
  3. रीता सिंह- साहस की आवाज़

    “दिसंबर 11, 2005, पूर्बी चंपारण डिस्ट्रिक्ट, बिटाउना गाँव-  लगभग शाम के 7:00 बजे, करीब-करीब 50- 60  नक्सलवादी (एक मॉउईस्ट कम्युनिस्ट दल, भारत में आतंकी संगठन गैरकानूनी गतिविधि कार्य के अंतर्गत (निवारण) घोषित किया गया), पुरुष व महिला दोनों ने, मेरे सामने म ...
  4. बेटी बचाओ प्रतिज्ञा (संकल्प) अभियान

    अवलोकन        कार्य क्षेत्र: अखिल भारतीय          अवधि  :  2013 से जारी          सहभागी  : यूनिसेफ़ (UNICEF) जया (नाम बदला हुआ), राजकीय विद्यालय येदीपुर की एक 13 वर्षीय छात्रा, का विवाह एक 25 वर्ष के पुरुष केसाथ होना निश्चित किया गया था ।अपनी न्यायोचित पर ...
  5. किशोरियों में मासिक धर्म से सम्बंधित स्वास्थ्य तथा स्वच्छता का प्रसार / प्रचार

    भारतीय समाज में मासिक धर्म पर चर्चा करना अभी भी निषिद्ध माना जाता है। आज भी, हमारे लोगों पर पड़े सांस्कृतिकएवं सामाजिक प्रभाव किशोर वय की बालिकाओं को सही तरीक़े से मासिक धर्म सम्बन्धी उपयुक्त ज्ञान देने में बहुत बड़ी बाधा हैं। माताएँ भी इस विषय पर अपनी बे ...
  6. युद्ध पीड़ित इराक़ में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों ने बहुत सारी जिंदगियाँ बदल दीं

    सौद एक 35 वर्षीय विधवा है और पाँच बच्चों की माँ है। एक प्रवासी होने के नाते और किसी प्रकार के पहचान पत्रों के अभाव में उसके लिए कोई नौकरी/ काम प्राप्त करना कठिन था। आज के समय में पाँच बच्चों की परवरिश करना उसकेसंघर्ष को और कठिन बना रहा था। लेकिन जैसे ही स ...
  7. युद्ध पीड़ित इराक़ में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों ने बहुत सारी जिंदगियाँ बदल दीं

    सौद एक 35 वर्षीय विधवा है और पाँच बच्चों की माँ है। एक प्रवासी होने के नाते और किसी प्रकार के पहचान पत्रों के अभाव में उसके लिए कोई नौकरी/ काम प्राप्त करना कठिन था। आज के समय में पाँच बच्चों की परवरिश करना उसकेसंघर्ष को और कठिन बना रहा था। लेकिन जैसे ही स ...
  8. दीपाली पटेल परस्पर लड़ने वाली जनजातियों का एकीकरण करती हुई परिवर्तन की राजदूत बन गयीं

    गृह युद्ध, विभिन्न समूहों के झगड़ों एवं कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं अफ्रीकी  महाद्वीप के इस देश, आइवरी कोस्ट की बहुत लम्बे समय से चली आ रही समस्या थी | जब दीपाली पटेल, आर्ट ऑफ लिविंग की संकाय के रूप में, स्वयंसेवकों की एक छोटी सी टीम के साथ क्षेत्र की समस्याओं ...
  9. जीवन की ओर एक सकारात्मक पहल

    42 वर्षीय, हरारे जिम्बाब्वे की एलीनर अल्फ्रेड जो कि प्यार से माई तफारा ( तफारा की माँ– ताफारा उनकी निवासी उप बस्ती है) के नाम से जानी  जाती हैं, अपने जीवन की कहानी सुनाती हैं मैं और मेरे पति दोनों में एचआईवी का रोग निदान हुआ। उनकी कुछ वर्ष पूर्व मृत्यु हो ...
  10. शबरी: पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों को विद्यादान

    भारत के उत्तर पूर्व के खूबसूरत गाँव बुनियादी ढांचे की कमी, अनुचित विकास और उग्रवाद के कारण कई चुनौतियों से तबाह हो गए हैं। शबरी जी ने 46 आदिवासी स्कूलों के निर्माण और सञ्चालन के माध्यम से उत्तर पूर्व में शिक्षा में क्रांति की, जिनमें से अधिकांश पहली पीढ़ी ...