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  1. वर्षा जल संचयन: क्योंकि हर एक बूँद कीमती है

    पानी की कमी को सबसे खतरनाक परिणाम माना जाता है, पर्यावरण क्षति और भारत ने अभी से ही इस जल संकट का असर महसूस करना शुरू कर दिया है । जनसंख्या में वृद्धि के साथ, भारत देश ने पिछले 20 सालों में 25 प्रतिशत तक ताजे पानी की उपलब्धता में न्यूनीकरण या घटाव देखा है ...
  2. वेदवती नदी के कायाकल्प की कहानी

    पूर्व में एक कलाई घड़ी संयोजनकर्त्ता के रूप में नागराज का काम था यह सुनिश्चित करना कि सभी घड़ियाँ बिलकुल समयानुसार चलें। और फिर एक समय आया जब नागराज को  मृत हो रही वेदवती नदी को  पुनर्जीवित करने का वास्तविक उद्देश्य मिल गया — एक ऐसा कार्य जो कालांतर में भ ...
  3. जीवन की बूँद

    साबुन उसकी दृष्टि को धुँधला बना देता है क्योंकि वह एक खोखले जंग खाए हुए पाइप से नीचे बहता है जो उसकी शुद्धता के विपरीत कणों को इकट्ठा करता है और उसे भारी बनाता है। वह अपने जैसे लाखों लोगों की बनावट को महसूस करती है, जो मोटे धातु से होकर एक गहरे अंधेरे गड् ...
  4. जल जागृति अभियान ने महाराष्ट्र की 22 नदियों में डाली जान

    परिचय  "बचपन से, मैने नाले (धारा) और अपने खेत के कुएँ में इतना पानी कभी नहीं देखा।"  - पांडुरंग, मस्के गाँव, लातूर के एक किसान महाराष्ट्र के लातूर जिले में बारिश ही पानी का एकमात्र स्रोत है।  हाल के वर्षों में, मानसून की अनिश्चित प्रकृति और भूजल ...
  5. वर्षा जल संरक्षण: क्योंकि हर बूँद अमूल्य है

    भारत में प्रकृति के पतन का प्रभाव सबसे ज्यादा पानी की कमी के रूप में परिलक्षित हुआ है। पिछले बीस सालों मे,  जनसंख्या वृद्धि के साथ ही, साफ पानी की मात्रा में 25 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है। भारत के गाँवों में, खासकर सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पानी के ल ...
  6. वर्षा जल संरक्षण: क्योंकि हर बूँद अमूल्य है

    भारत में प्रकृति के पतन का प्रभाव सबसे ज्यादा पानी की कमी के रूप में परिलक्षित हुआ है। पिछले बीस सालों मे,  जनसंख्या वृद्धि के साथ ही, साफ पानी की मात्रा में 25 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है। भारत के गाँवों में, खासकर सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पानी के ल ...
  7. वर्षा जल संरक्षण: क्योंकि हर बूँद अमूल्य है

    भारत में प्रकृति के पतन का प्रभाव सबसे ज्यादा पानी की कमी के रूप में परिलक्षित हुआ है। पिछले बीस सालों मे,  जनसंख्या वृद्धि के साथ ही, साफ पानी की मात्रा में 25 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है। भारत के गाँवों में, खासकर सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पानी के ल ...
  8. कुमुदवती नदी का पुनर्जीवन

    परिचय  सुप्रसिद्ध भू-जल  वैज्ञानिक और भारत के प्राकृतिक  जल संसाधनों पर एक शीर्ष  वैज्ञानिक,  डाक्टर लिंगराजु येल केशब्दों में   —“  किसी भी नदी की एक जटिल तंत्र व्यवस्था होती है ।” और एक मृत हो रहे जटिल तंत्र को पुनर्जीवित करनेके लिए चौबीसों घंटे कार्यरत ...
  9. एक व्यक्ति का दृढ़ निश्चय मृतप्राय नदियों को पुनर्जीवन प्रदान कर रहा है

    डॉ येल आशावान हैं। यद्यपि दूरगामी परिणाम धीरे-धीरे आएंगे। डॉ लिंगराजू येल अपने लैपटॉप पर से नजर उठा कर देखते हैं। उनकी आँखों पर थकान की रेखा के साथ-साथ आशा की किरण दृष्टिगोचर हो रही है। कारण कि आने वाली ग्रीष्म ऋतु में कर्नाटक की तीन प्रमुख नदियों कुमुरदव ...
  10. जल संग एक लम्बी दूरी का प्रेम प्रसंग

    अमेरिका निवासी इस अनिवासी भारतीय ने कैसे महाराष्ट्र के अपने मूल गाँव में परिवर्तन लाया परिस्थिति देहाती थी । एक बहती हुई नहर के किनारे कोई   500 लोग इकट्ठा थे, जिनमें  हलगरा के ग्रामवासी, नौकरशाह, पुलिसकर्मी और पत्रकार शामिल थे । उस गर्मी की तपती  हुई सुब ...