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  1. दालचीनी के फायदे, उपयोग और नुकसान (Dalchini ke fayde)

    दालचीनी का वैज्ञानिक नाम: सिनॅमोमम झेलॅनिकम (Cinnamon) दालचीनी का संस्कृत नाम: त्वाक दालचीनी का अंग्रेजी नाम: Cinnamon दालचीनी के फायदे (Dalchini ke fayde) पाचन विकार के लिए एक शानदार दवा दालचीनी जुकाम के लिये है रामबाण स्त्री रोग में बहुत असरदार है दालची ...
  2. खजूर खाने के फायदे (Khajur Khane ke Fayde)

    संस्कृत नाम: खर्जुरम् वैज्ञानिक नाम: Phoenix Dactylifera अंग्रेजी नाम: Dates आईये, ऐसे उपयोगी खजूर के बारे में जान लें। खजूर का पेड़ 30-40 फीट तक बढ़ता है। इसका तना शाखाविहीन, कठोर, गोलाकार और खुरदरा होता है। इसकी उपज रेगिस्तान में, कम पानी और गर्म मौसम की ...
  3. दही के फायदे (dahi ke Fayde)

    “ दही चावल- पौष्टिक भोजन”- जागतिक आरोग्य संघटन। स्वादिष्ट दही के स्वास्थ्य से भरे उपयोग। ठंडा और स्वादिष्ट दही किसे पसंद नही है? दही किसी भी चीज के साथ खाईये, उसका स्वाद बढ़ता ही है।  दही ना ही सिर्फ भोजन का स्वाद बढाता है, बल्की उसे पौष्टिक भी बनाता है।   ...
  4. गौमूत्र के फायदे और महत्व (Gomutra ke fayde)

    आयुर्वेद के अनुसार देसी गाय का "गौमूत्र" एक संजीवनी है। गौ मूत्र एक अमृत के समान है जो दीर्घ जीवन प्रदान करता है, पुनर्जीवन देता है, रोगों को दूर रखता है, रोग प्रतिकारक शक्ति एवं शरीर की माँसपेशियों को मज़बूत करता है। आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर म ...
  5. आयुर्वेद द्वारा खाँसी का घरेलू इलाज (Khansi ka Ilaj)

    आयुर्वेद द्वारा खाँसी का घरेलू उपाय  हल्दी पाउडर  काली मिर्च  तुलसी  अदरक का काढ़ा  प्याज  अदरक लहसुन की चाय  यष्टिमधु लौंग अडूसा  हल्दी पाउडर हल्दी में रोगाणुरोधक (एंटीसेप्टिक), जीवाणुरोधी (एंटीबैक्टीरियल), जलन को रोकने की दवा (एंटी इंफ्लेमेटरी),  रोग प् ...
  6. मर्म चिकित्सा: शरीर के 107 मूल बिदुओं में छिपा है अच्छे स्वास्थ्य का रहस्य

    मर्म चिकित्सा क्या है? मर्म चिकित्सा आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण अंग है जो की शरीर की बाधित ऊर्जा केन्द्रों की सफाई कर शरीर के स्वास्थ्य को बनाये रखता है। मर्म शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘मृण मणआय’ से हुई है। संस्कृत के वाक्यांश ‘मृणआयते अस्मिन इति मर्म’ ...
  7. आयुर्वेद की दृष्टि से दैनिक जल सेवन

    पानी, सोम का प्रतिनिधित्व है, पौष्टिक, शीतलन गुण जो चंद्रमा की ऊर्जा से जुड़ा है। यह पाचन में मदद करता है, पित्त दोष को शीतल एवं संतुलित करता है, कफ प्रकृति का सहयोग करता है, और वात की शुष्कता का प्रतिकार करता है। यह पोषण करता है, शरीर में चिकनाई देता है ...
  8. कफ असंतुलन- आयुर्वेद के साथ शरीर को संभालें और स्वस्थ रहें

    'कफ' जड़ शब्द 'स्लिश' में से आता है जिसका अर्थ है बांधना या एक साथ रखना। इसमें पृथ्वी और जल के तत्व शामिल हैं और, यह शरीर की कोशिकाओं को एक साथ रखने के लिए गोंद प्रदान करता है। अष्टांग हृदयँ सूत्रस्थान में कफ का इस प्रकार वर्णन किया गय ...
  9. गले की खराश के लिए 7 घरेलू नुस्खे

    क्या आपके गले में गांठ है जिससे आपको निगलने में कठिनाई हो रही है? शायद आप अपने गले में दर्द, कोमलता, स्वर बैठना, सूखापन या खोखलापन महसूस कर रहे हैं? यदि हां, तो आप शायद गले में खराश की शुरुआत का अनुभव कर रहे हैं। गले की खराश के कारण  गले में खराश के कारण ...
  10. दीपावली के बाद आप आयुर्वेदिक उपचारों से खुद को कैसे डिटॉक्स कर सकते हैं?

    बहुरंगी आकाश में तारों के विस्फोट की मृगतृष्णा, हवा में थिरकते हुए उत्सव की कान-फटने की आवाजें, पूजा की शुभ सुगंध, आपके चारों ओर चमक-दमक की चकाचौंध, मिठाइयों और स्नैक्स की समृद्ध सुगंध का उल्लेख नहीं है हर घर के माध्यम से। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ...