जीवन की ओर एक सकारात्मक पहल

42 वर्षीय, हरारे जिम्बाब्वे की एलीनर अल्फ्रेड जो कि प्यार से माई तफारा ( तफारा की माँ– ताफारा उनकी निवासी उप बस्ती है) के नाम से जानी  जाती हैं, अपने जीवन की कहानी सुनाती हैं

मैं और मेरे पति दोनों में एचआईवी का रोग निदान हुआ। उनकी कुछ वर्ष पूर्व मृत्यु हो गई और उसके बाद मैं बीमार पड़ गई। मेरी परिस्थिति मुश्किल थी पर मैं बेहतर हो गई।

मैंने एचआईवी ग्रस्त लोगों की देखभाल करने का निर्णय लिया। मैं वर्ष 2006 में, तफारा, मुब्वुकु और हरारे के केलेडोनिया फॉर्म पर 1 से 16 वर्ष के 20 एचआईवी ग्रस्त बच्चों की देखभाल करने लगी जहाँ पर मेरी मुलाकात एक दंपति से हुई। उन्होंने मेरे दान पुण्य के काम की उपलब्धियों में मदद की और मेरा आर्ट ऑफ लिविंग से परिचय करवाया। 

मुझे बच्चों के स्कूल के योगदान देय करने में और दूसरी जरूरतें पूरी करने में भी आर्ट ऑफ लिविंग के शुभचिंतकों की मदद मिलती रही है।

हम लोग बच्चों के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना करने की प्रक्रिया में हैं जिसका कि नाम माँ तारा ट्रस्ट होगा। मैं शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर ज्यादा मजबूत हो गई हूँ।

ये सच है कि एक व्यक्ति भी परिवर्तन ला सकता है। अब मैं जानती हूँ कि ऐसा कुछ नहीं है जो में नहीं कर सकती।