ध्यान (meditation)

क्रोध से कैसे निपटें

हम सभी जानते हैं क्रोध क्या है और यह क्या करता है? हमनें सुना है कि क्रोध सम्बन्धों को खराब कर सकता है| हमें हानि पहुंचा सकता है और हमें ऐसे संकट मे भी डाल सकता है जिससे हम अपना सम्मान खो बैठें। जिसने भी इन प्रबल सम्वेदनाओ को अनुभव किया है, उन्होने हजारों बार सुना है कि ‘क्रोध मत करो’। हममें से कुछ ही जवाब ढूंढ पाऐ हों कि कैसे क्रोधित न हों।आज हम इसी विषय पर बात करेंगे।

क्रोध से निकलने के रामबाण तरीक़े

क्रोध संचालित करने का एक तरीका है- ध्यान। यह सहज, तीव्र, प्रबल, निशुल्क तरीका है। भावनाओं कि खोज यात्रा किये बिना, क्रोध को नियंत्रण करने के निम्न लिखित तरीकें:-

1. श्वास से तनाव मुक्ति

सुदर्शन क्रिया एक शक्तिशाली श्वास प्रणाली है। यह हमारे शरीर व मन में एकत्रित हुए तनाव को श्वास के द्वारा निकाल फेंकती हैं। यह हमारी सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक प्रणाली का शुध्दिकरण करती है और उसमें एकलयता लाती है। आदित्य सिंह तनेजा बताते हैं- 

पहले उन्हें बहुत गुस्सा आता था और उनके दोस्त भी साथ समय बिताने से बचते थे। सुदर्शन क्रिया के निरंतर अभ्यास से उनका क्रोध कम हुआ है और अब उनके दोस्त ही बतातें हैं कि वे उनके साथ अब ज्यादा अच्छा महसूस करते हैं।

2. शान्ति प्राप्ति के लिए मंत्र

सहज समाधि ध्यान मे मंत्र के द्वारा ध्यान कि गहराई मे जाया जा सकता है। यह मंत्र बहुत शक्तिशाली होता है और यह चेतना की परतों में संग्रहित संस्कारो की छाप को मिटाने की ताकत रखता है। सहज समाधि ध्यान के निरंतर अभ्यास से जीवन में धारणा की अद्भुत स्पष्टता और अविचल शांति बनी रहती हैं।

3. क्रोध को नियंत्रित करने के सुझाव

शायद आपने यह कहानी सुनी हो, एक लड़का हर बार गुस्सा आने पर बाडे पर एक कील लगा देता था। आपको ऐसा करने की आवश्यकता नहीं अपितु क्रोध का अनुभव होते ही, अपनी भावनाओं के प्रति सजग हो जाऐं। जैसे ही आप सजकता में आ जाऐंगें, वैसे ही मन में एक बदलाव का अनुभव करेंगें और क्रोध छूट जाएगा। क्रोध की अवस्था में सजग रहना कठिन है इसीलिए प्रतिदिन ध्यान करना आवश्यक है। यह आपको अपने मन और भावनाओं के उतार चढ़ाव को साक्षी भाव से देखने मे सहयोग करता है।

4. कुशलता परिस्थितियों को स्वीकार करने मे है।

 गुरुदेव कहते हैं “क्रोध इसलिये आता है क्योंकि हम सम्पूर्णता से प्रेम करते हैं ”।

 क्रोध सामान्य रुप से किसी इच्छा की पूर्ति न होने के कारण आता है। परन्तु, जब आप सामान्य रूप से क्रोधित हो उठते है, अंत में आप पछतावे की भावना से अच्छा महसूस नहीं करते, है ना? यह पछतावा आगे चलकर मन में व्याकुलता  का कारण बनता है।

कुशलता परिस्थितियों को स्वीकार करने मे है। यह जानिये क्रोध का आना सहज ही है। क्रोधित होने पर स्वयं को स्वीकार करना, आपको शांत करता है। शांत मन रचनात्मक सोचने की क्षमता देता है। याद रखें अच्छा काम शांत मन से होता है। केवल सजगता से ही हम कुछ सुधार कर सकते हैं और यह याद रखना अच्छा है कि कोई भी गलती क्रोध से ठीक नहीं हो सकती। अगर आप जल्दी क्रोध की  अवस्था मे आते हैं, तब :-

  • खान-पान पर ध्यान दें। ध्यान रखें आपके शाकाहारी भोजन में, अन्न , हरी सब्जियाँ, फल व सलाद हो।
  • प्रतिदिन 6-8 घंटे आराम करें।
  • प्रतिदिन ध्यान करें। आप दिन मे किसी भी समय ध्यान कर सकते हैं। एकांत मे ध्यान आपको गहरा अनुभव देता है।
  • आप अपने दोस्तों के साथ भी ध्यान कर सकते हैं- एक समूह मे ध्यान करना प्रभावशाली होता है।

5. क्रोध दिखाएं, मगर क्रोधित न हों 

कभी ऐसा लगता है किसी काम की पूर्ति के लिये क्रोध आवश्यक है। जैसे कि आप एक छोटे बच्चे के माता- पिता हैं जानिए आप उसके साथ दृढ़ होते हैं व अपना क्रोध दिखाते है।आप क्रोध का दिखावा करते हैं मगर भीतर से मन शांत होता है। प्रतिदिन आप क्रोधित हुए बिना क्रोध को दिखा सकते है।

दीप्ति सचदेव कहती हैं - प्रतिदिन ध्यान करने से उनके मन को हर स्थिति मे शांत रहने में सहायता मिली है। अब अगर ऐसी परिस्थिति भी उत्पन्न हो, वे स्वयं को क्रोध मे बाधित नहीं करती, वह क्रोध दिखाते हुए भी भीतर से शांत रहती है।

6. क्रोध को मूल्यवान और मुस्कुराहट को सुलभ बनाएं 

क्रोध को संचालित करने का रहस्य है प्रायः बार-बार मुस्कुराते रहना। अगर आप मुस्कुराने में व्यस्त हैं तो क्रोध नहीं करेंगे। आप एक ऐसे व्यक्ति होने पर गर्व करें जो कभी-कभी ही क्रोधित होता है और मुस्कुराता रहता है। प्रतिदिन ध्यान के अभ्यास से ऐसी स्थिति को प्राप्त किया जा सकता है।

7. सब लेबल छोड़ दें 

अगर आप किसी कारण वर्तमान क्षण मे क्रोधित हैं। गुरुदेव कहते हैं, “जितनी        देर पानी पर खिंची लकीर ठहरती है, तब तक ही कोई भाव ठहरे”। क्रोध के साथ भी ऐसा ही है जिस क्षण आए और दूसरे क्षण चला जाऐ। हालांकि अगर आप आध्यात्मिक प्रक्रियाओं का अभ्यास करते रहें, क्रोध आने की तीव्रता सामान्य रूप से कम अनुभव करेंगे। आप ऐसा अनुभव करेंगे जो परिस्थितियाँ पहले परेशान करती थीं, वे अब नहीं करतीं।

यह आवश्यक है कि हम क्रोध को अपने मन में उबाल उसे घृणा का रूप लेने की जगह न दें। यह हमारे जीवन मे उत्साह और प्रेम को हटा देता है। खुश रहना विलास नहीं अपितु यह एक आवश्यकता है। सच्चा आनंद  ध्यान के माध्यम से  अपनी भीतर से जुड़ने में है|

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