जीवन जीने की कला (भाग – २ ) (Art Of Living Part 2 Program in Hindi)

जीवन जीने की कला (भाग – २ ) साधारणतः आवासीय कार्यक्रम है और इसमें  गहन अंतर्मुखी होने, मानसिक अशांति से मुक्त होने, गहन विश्राम और आंतरिक  मौन के अनुभव के लिए सर्वोत्कृष्ट वातावरण उपलब्ध कराया जाता है। जीवन जीने की कला (भाग – १) में सिखाई गयी श्वास की तकनीक, सुदर्शन क्रिया, इस कार्यक्रम का आधार है। 

मानसिक और आध्यात्मिक नवीनीकरण  के लिए, अपनी उर्जा और ध्यान को बाहरी आकर्षण से  स्वेच्छा से हटाने के लिए मौन के मार्ग का अभ्यास भिन्न भिन्न परम्पराओं में कई सदियों से होता रहा है। अपने सामान्यतः सक्रिय रहने वाले मन को स्थिरता की और ले जाने हेतु  विशेष रूप से बनायीं गयी विभिन्न प्रक्रियाओं में भाग लेने से हमें असाधारण शांति व  नवीन जीवन शक्ति का अनुभव होता है, जो हमारे  प्रतिदिन के जीवन का हिस्सा बन जाती है।  

पूर्वापेक्षा : 

जीवन जीने की कला (भाग – १) |Happiness Program

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  • लाभ
  • प्रमाणक
  • तकनीक
  • “ ध्यान एक यात्रा है, गतिविधि से स्थिरता तथा ध्वनि से मौन की ओऱ “ – श्री श्री रवि शंकर

    •  गहन शांति और समाधी का अनुभव कीजिये।
    • आत्मबोध में वृद्धि और विचारों में अधिक स्पष्टता की स्थिति लाइए।
    •   ऊर्जा में  वृद्धि कीजिये।
  • जीवन जीने की कला (भाग – २) के दौरान ध्यान और मौन का हर एक पल मेरे लिए एक नया अनुभव था: – नीता।


    मैं सीधे सीधे कुछ नहीं बता सकता पर जीवन जीने की कला (भाग – २) करने के बाद  मेरे अन्दर बड़ा भारी परिवर्तन आ गया है । मुझे ऐसा लगता है की मैं एक नया  इन्सान   हूँ, तो मैं ये कह सकता हूँ की जीने की कला (भाग – २) मेरे लिए मेरे नए स्वयं की शुरुआत है । मैं धन्य और अति प्रसन्न अनुभव कर रहा हूँ : -- शोको।


  • यह कार्यक्रम प्ररुपिकतया आवासीय है और इसका आयोजन प्राकृतिक रूप से सुन्दर और शांति पूर्ण स्थान पर किया जाता है । कोई आश्चर्य नहीं हैं की अनेक सहभागी इसे शरीर, मन और आत्मा के लिए एक आदर्श अवकाश कहते हैं ।

    • श्री श्री रवि शंकर जी के द्वारा बनाये गए अद्वितीय निर्देशित ध्यान ।
    • इस कार्यक्रम मे  श्वसन   की  विकसित  तकनीक सिखाई जाती है।