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  1. घटनाओं पर विजय पाने का सर्वोत्तम उपाय

    जीवन में सभी समस्याएँ इसलिए आती हैं क्योंकि आप घटनाओं को अत्यधिक महत्व दे देते हैं। परिणाम स्वरूप घटनाएँ बड़ी हो जाती हैं और आप छोटे रह जाते हो।  मान लीजिए: आप एक व्यस्त सड़क पर मोटर साईकिल पर जा रहे हैं और आपके आगे एक अन्य वाहन धुआँ छोड़ते हुए चल रहा है ...
  2. आपकी बुद्धि किस प्रकार की है?

    यह समूची सृष्टि एक ही ऊर्जा, एक ही शक्ति से बनी है। यहाँ सब-कुछ एक ही वस्तु से बना है।  जब कभी भी कोई चीज़ आपको परेशान करे, इस एक सिद्धांत पर वापस आओ- कि एक ही ऊर्जा है जिससे सब कुछ बना है। इस सत्य में बहुत सी संभावनाएँ हैं। यह सोच ही आपके लिए बहुत बड़ी  ...
  3. उल्लासपूर्ण जीवन के 5 रहस्य

    प्रसन्नता एक ऐसा विषय है जिससे कोई भी अछूता नहीं है । हम सब को पता है कि प्रसन्नता क्या है। इस क्षण आप खुश हैं । तभी एक अप्रिय फ़ोन आता है, क्या तब भी आप अपनी प्रसन्नता को बनाये रख पाते हैं? केवल एक अप्रिय फ़ोन कॉल और आपकी ख़ुशी ग़ायब! आपकी ख़ुशी क्षण भंग ...
  4.  यदि तुम ध्यान नहीं कर सकते- बेवकूफ हो जाओ!

      यदि तुम ध्यान नहीं कर सकते- बेवकूफ हो जाओ! यदि तुम ध्यान करने में असमर्थ हो, यदि तुम्हारा मन अत्यधिक बातें कर रहा है और कुछ भी काम नहीं कर रहा, सिर्फ महसूस करो कि तुम थोड़े से बेवकूफ हो। तब तुम गहनता में डूब सकोगे। तुम्हारी बुद्धि तुम्हारी सम्पूर्ण चेतन ...
  5. दिवाली समय है ज्ञान के दीपक जलाने का, भीतर व बाहर उत्सव मनाने का।

    दिवाली शब्द का अर्थ  संस्कृत से उत्पन्न दिवाली शब्द, का वस्तुतः अर्थ है पंक्तियाँ(आवली) प्रकाश (दीप) की। भारतीय पंचांग के अनुसार यह प्रकाश उत्सव  कार्तिक मास कि कालरात्रि(अमावस्या) को मनाया जाता है और यह अज्ञानता (अंधकार) पर ज्ञान (रौशनी) की विजय का प्रती ...
  6. अनेकान्तवाद के प्रतिपादक: भगवान महावीर

    यह लेख 29 मार्च 2018 को, महावीर जयंती के उपलक्ष्य में, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा दिए गए एक व्याख्यान पर आधारित है ! आज एक महान संत,  महावीर का जन्म दिवस है जिन्होंने जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। वे भारत के सर्वाधिक प्रबुद्ध संतो में से एक और ...
  7. गुरु के समीप

    यदि तुम, खुद को, गुरु के निकट अनुभव नहीं कर रहे हो, तो इसका कारण, तुम ही हो। तुम्हारा मन, तुम्हारा अहंकार, तुम्हें दूर रख रहा है। जो कुछ भी, तुम्हारे लिए महत्वपूर्ण है, अंतरंग है, उसे गुरु के साथ, बाँट लो, बता दो। संकोच मत करो, शरमाओ नहीं, इस पर, स्वयं अप ...
  8. वास्तुशास्त्र को कितना महत्व दिया जाना चाहिए?

    श्री श्री रवि शंकर वास्तुशास्त्र का इतिहास वास्तुशास्त्र अपने आप में एक प्रकार का विज्ञान है। प्राचीन काल में इस विज्ञान का जन्म एव ...
  9. आदतें और संकल्प (प्रतिज्ञा) | Habits and vows in Hindi

    व्यसन या आदत से मुक्ति कैसे पाई जाए? जो लोग अपनी आदतों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक बड़ा प्रश्न है। हम आदतों से मुक्ति चाहते हैं क्योंकि यह हमें पीड़ा देती हैं और बंधन में बांधती हैं। व्यसन हमें कष्ट देते हैं और सीमित करते हैं जबकि जीवन उन्मुक्त ...
  10. शिव स्वंय अपने पुत्र को कैसे नहीं पहचान सके? | How Shiva Did Not Recognize His Own Son?

    पुराणों में बहुत सी असाधारण एवं अविश्वसनीय घटनाएँ उल्लिखित हैं। परंतु इन घटनाओं का अभिप्राय बच्चों की कहानियों की तरह से नहीं लगाना चाहिए। इन घटनाओं व कहानियों में प्रयुक्त भाषा शेक्सपीयर के नाटकों में प्रयुक्त भाषा की तरह है जिसमें बहुत से गूढ़ार्थ निहित ...