योग के बारे में (yoga)

अपनी साँस द्वारा गहरे विश्राम का अनुभव करें| Breathing Exercises for Relaxation

साँस । Breath

ज़िन्दगी का पहला कृत्य - श्वास लेना

ज़िन्दगी का आखरी कृत्य - श्वास छोड़ना

इन दोनों कृत्यों के बीच हमारी दुनिया बसती है। "साँस" हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसके बिना जीवन संभव नही है। क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है? क्या कभी भी हम रुक कर साँस अंदर और बाहर लेने की प्रक्रिया पर ध्यान देते है? हमे ज़रूरत ही नहीं महसूस होती क्योंकि श्वास की प्रक्रिया इतनी सहज है। पर क्या आपको पता है कि श्वास पर ध्यान देने से कई स्वास्थ्य सम्बंधित फायदे है? - बेहतर रोग प्रतिरोधक शक्ति, मन में स्थिरता और प्रसन्न मन - सही तरीके से श्वास लेने के कुछ फायदे हैं।

आप में से अधिकांश लोग इस समय यह सोच रहे होंगे कि साँस के बारे में ऐसा क्या हो सकता है जो सीखा जा सकता है? क्या यह प्रक्रिया अपने-आप नही होती रहती? हाँ, यह सच है कि साँस लेना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है परंतु प्राणायाम (साँस के कुछ व्यायाम) द्वारा साँस के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है। प्राणायाम करने से हमारे शरीर के भीतर नाड़ियाँ खुल जाती हैं जो हमारे मन व शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं और स्वस्थ बनाती है।

आइये जानते हैं योग और साँस किस तरह सम्बंधित है?

प्राणायाम के द्वारा आप अपनी मनोस्थिति बदल सकते हैं

श्वास आपकी सबसे नज़दीकी साथी है। एक ऐसा साथी जो आपके मनोभावो का हर पल खबर रखता है। एक बार विचार करे - जब आपको गुस्सा आता है तब आपकी श्वास तेज़ हो जाती है; जब आप शांत होते है तब आपकी श्वास धीमी हो जाती है। इसका तात्पर्य यह है कि श्वास शरीर से ही नहीं मन से भी जुडी हुई है। और हम सब एक सुखी मन चाहते है, है न? इधर प्राणायाम उपयोगी है।

प्राणायाम दो शब्दो से बना है - प्राण यानि जीवन शक्ति और आयाम यानी नियमित करना। श्वास के सामान्य प्रतिमान को हम प्राणायाम के द्वारा तोड़ते है और श्वास ध्यान दे पाते है। श्वास पर ध्यान देने से हम मन को भी प्रभावित कर पाते है। इसलिए प्राणायाम करने से शरीर में भरपूर प्राण शक्ति का प्रवाह होता है औऱ व्यक्ति तरो ताज़ा महसूस करता है।

 

श्वास पर ध्यान केंद्रित करके आप मुश्किल योगासनों में भी विश्राम कर सकते हैं।

आप विपरीत शलभासन या नौकासन जैसे मुश्किल आसनों में विश्राम करना सोच भी सकते है? पर यह बिलकुल मुमकिन है। आप आसन करते हुए बस अपनी श्वास पे ध्यान दे। ऐसा करने से मन शांत हो जाता है जिस वजह से आप किसी भी योगासन में विश्राम कर पाते है।

मन और श्वास में समन्वय स्थापित करने का एक और फायदा है - योग करते हुए मन को वर्तमान क्षण में लाना। ऐसा बहुत बार होता है की जब आप योग कर रहे है, आपका मन कहीं और ही चला जाता है। ऐसी स्थिति में मन को वर्तमान क्षण में लाकर आप अपने योगाभयास को सुधार सकते है। श्वास पर ध्यान देने से आप अपने योगाभ्यास में शत प्रतिशत लगा सकते है। इसके अतिरिक्त योग करते हुए एक हलकी सी मुस्कान बना के रखे। ऐसा करने से आप अपने योगाभयास के दौरान विश्राम कर पाएंगे और योग का आनंद भी ले पाएंगे।

श्वास व योगासन में ताल-मेल कैसे स्थापित करें?

  1. कोई भी योगासन करते समय यदि आप अपने शरीर को फैला रहे हैं तो सांस अंदर ले।  जैसे कि, यदि आप योगासन करते समय अपने हाथों को फैला रहे हैं अथवा पीछे की तरफ झुक रहे हैं तब सास अंदर ले।
  2. कोई भी योगासन करते समय यदि आप शरीर को सिकोड़ रहे हैं तब सांस को बाहर छोड़े। जैसे कि, यदि आप योगासन करते समय आगे की ओर झुक रहे हैं अथवा मुड़ रहे हैं तब सांस को बाहर की ओर छोड़े।
  3. योगासन करते समय तब तक सांस को न रोकें जब तक आपको इसके लिए कोई निर्देश न दिया गया हो। यदि आप योगासन करते हुए सांस को रोक रहे हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप आसन में पूरी तरह विश्राम नहीं कर रहे।

योग शरीर व मन का विकास करता है। योग के शारीरिक और मानसिक लाभ हैं परंतु इसका उपयोग किसी दवा आदि की जगह नही किया जा सकता। यह आवश्यक है की आप यह योगासन किसी प्रशिक्षित श्री श्री योग (Sri Sri Yoga) प्रशिक्षक के निर्देशानुसार ही सीखें और करें। यदि आपको कोई शारीरिक दुविधा है तो योगासन करने से पहले अपने डॉक्टर या किसीभी श्री श्री योग प्रशिक्षक से अवश्य संपर्क करें। श्री श्री योग कोर्स करने के लिए अपने नज़दीकी आर्ट ऑफ़ लिविंग सेण्टर पर जाएं। किसी भी आर्ट ऑफ़ लिविंग कोर्सके बारे में जानकारी लेने के लिए हमें info@artoflivingyoga.org पर संपर्क करें।

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