योग के बारे में (yoga)

डायबिटीज़ के लक्षण, कारण और योगासन जो डायबिटीज़ में आपको बहुत मददगार होंगे

डायबिटीज़ क्या है?

जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुँचना  कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज या मधुमेह या शुगर  कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो कि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। डायबिटीज़ हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देता है।

यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। डायबिटीज़ ज्यादातर वंशानुगत या खराब जीवनशैली  के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले डायबिटीज़ को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है।

डायबिटीज़ के प्रमुख लक्षण

  • वजन में कमी आना।
  • अधिक भूख प्‍यास व मूत्र त्याग 
  • थकान, पिडंलियो में दर्द।
  • बार-बार संक्रमण होना या देरी से घाव भरना।
  • हाथ पैरो में झुनझुनाहट, सुन्नपन और जलन रहना।
  • नपुंसकता।

कुछ लोगों में डायबिटीज़ अधिक होने की संभावना रहती है,  जैसे-मोटे व्‍यक्तियों  या जिनके परिवार या वंश में किसी को डायबिटीज़ रही हो, उच्‍च रक्‍तचाप के रोगियों और शारीरिक श्रम न करने वालों में इसका खतरा अधिक रहता है। ऐसा देखा जाता है कि शहरी व्‍यक्तियों को ग्रामीणो की अपेक्षा मधुमेह रोग होने की अधिक संभावना रहती है।

डायबिटीज़ के कारण 

यदि आप डायबिटीज़ (मधुमेह या शुगर) की बीमारी से ग्रस्त हैं तो उसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि सही समय पर व्यायाम न करना, गलत भोजन करना। आजकल की तनावग्रस्त आधुनिक जीवनशैली इस समस्या को और अधिक जटिल कर देती है। इस समस्या का निवारण करने हेतु आपको आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाना भी अति आवश्यक है।

शुगर की समस्या को पूर्णतः ठीक करने के लिए अपनी जीवन शैली में योगासन, प्राणायाम व ध्यान को जोड़ना शानदार उपाय है। इन विशेष योग क्रियाओं को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाएँ और मधुमेह से आसानी से निपटें।

अच्छे परिणाम प्राप्त करने हेतु आपको योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा। इसके लिए आपको निरंतर अनुशासन में रहना होगा। आप ये योगासन सुबह अथवा शाम, जो भी समय आपको ठीक लगता है, उस समय कर सकते हैं। जो भी समय आपने अपने योगासन करने के लिए निर्धारित किया है, उसके प्रति अनुशासित रहें। आप कुछ ही समय में बहुत अच्छे परिणाम देखेंगे।

योग सीखें और बीमारियों से रहें दूर

मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए करें ये योगासन, रहेंगे स्वस्थ 

  1. सुप्त मत्स्येन्द्रासन
  2. धनुरासन
  3. पश्चिमोत्तानासन
  4. अर्धमत्स्येन्द्रासन
  5. शवासन
  6. सुदर्शन क्रिया 

1. कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम आपके तंत्र तंत्रिकाओं और मस्तिष्क की नसों को ऊर्जा प्रदान करता हैं। यह प्राणायाम डायबिटीज़ के रोगियों  के लिए बहुत अच्छा हैं क्योंकि यह पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है। यह प्राणायाम रक्त परिसंचरण को सुधारता है व मन को भी शांति प्रदान करता है।

2. सुप्त मत्स्येन्द्रासन

सुप्त मत्सेन्द्रयासन शरीर के अंदरूनी अंगों  की मालिश करता है व पाचन क्रिया में सहायता करता है। यह आसन पेट के अंगो को सक्रिय करता है और डायबिटीज़ या मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत अच्छा होता है।

 

 

3. धनुरासन

यह आसन अग्नाशय (pancreas) को सक्रिय करता है और शुगर के मरीजों के लिए अत्यधिक लाभदायक है। यह योगासन पेट के अंगो को मज़बूत बनाता है और तनाव से मुक्ति देता है।

4.पश्चिमोत्तानासन

यह आसन पेट व श्रोणि के अंगो को सक्रिय करता है जो कि शुगर या डायबिटीज़ के मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है। पश्चिमोत्तानासन शरीर में प्राण ऊर्जा को बढ़ाता है और मन को शांति प्रदान करता है।

 

5. अर्धमत्स्येन्द्रासन

यह आसन पेट के अंगो की मालिश करता है व फेफेड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। अर्धमत्स्येन्द्रासन रीढ़ की हड्डी को भी मज़बूत बनाता है। इस योगासन को करने से मन शांत होता है व रीढ़ की हड्डी के हिस्से में रक्त संचालित हो जाता है।

6. शवासन

शवासन पूरे शरीर को विश्राम देता है। यह आसन व्यक्ति को गहरे ध्यान की अवस्था में ले जाता है जिससे मन शांत व नवीन ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है।

 

डायबिटीज़ को गहराई से समझने के लिए "मुक्त मूलकों" ('free radicals) के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। 'मुक्त मूलक' अणु तत्त्व होते हैं जो नेगेटिव चार्ज रहते हैं और जो हमारे वातावरण में कुछ समय के लिए (नैनो सेकंड) मौजूद होते हैं। अपने ऊपर नेगेटिव चार्ज होने के करण यह जल्दी से जल्दी अपना निराकरण (neutralization) करवाना चाहते हैं। हमारा शरीर जीवाणुओं  से लड़ने के लिए इन 'मुक्त मूलकों' का सहारा लेता है। शरीर में 'मुक्त मूलकों' का निवाकरण होना  आवश्यक है और उसके लिए हमारा शरीर एंटीऑक्सिडेंट्स की सहायता लेता है। हमारे शरीर में तीन एंटीऑक्सिडेंट्स तत्त्व- ग्लूटाथिओन, कैटालासे और एस.ओ.डी. (S.O.D) होना बहुत आवश्यक होता है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स तत्त्व विटामिन-सी, विटामिन-ई  व कुछ मिनरल द्वारा प्राप्त किए जा सकते हैं।

सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ़ लिविंग कोर्स का अभिन्न अंग है। यह क्रिया हमारे शरीर में ग्लूटाथिओन, कैटालासे और एस.ओ.डी. (S.O.D) की मात्रा को बढ़ाती है। एंटीऑक्सिडेंट्स का केन्द्रीकरण बाहरी स्रोतों से बढ़ाने में मदद करती है और डायबिटीज़ जैसे रोगों का निवारण करने में सहायता करती है।

सुदर्शन क्रिया श्वास लेने की एक प्रभावशाली प्रक्रिया है जो हमारे मन व शरीर को अनेक विषैले तत्वों से मुक्त करता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को पूर्णतः तनावमुक्त कर देती है। विश्व भर में लगभग 45 करोड़  से भी अधिक लोगों को इस तकनीक से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में काफी राहत मिली है। सुदर्शन क्रिया को आसानी से सीखा जा सकता है और कोई भी व्यक्ति इसका अभ्यास कर सकता है। आप सुदर्शन क्रिया और इसके लाभ के बारे में अधिक जानकारी पा सकते हैं। यहाँ क्लिक करें

क्या आप किसी योगासन के बारे में जानना चाहते हैं? 

यद्यपि योगाभ्यास शरीर और मन के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, फिर भी इसे दवा की जगह पर उपयोग करना उचित नही हैl  अगर कोई शारीरिक या मानसिक समस्या हो, तो वैद्यकीय सलाह और आर्ट ऑफ लिविंग योग प्रशिक्षक की अनुमति के पश्चात ही योगाभ्यास करेंl आप आर्ट ऑफ लिविंग योग कोर्स अपने नज़दीकी आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र में सीख सकते हैंl अगर आप विविध कोर्सों के बारे में जानकारी पाना चाहते हैं या सुझाव देना चाहते हैं तो हमें संपर्क करें info@artoflivingyoga.in

योग सीखें और बीमारियों से रहें दूर

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