योग के बारे में (yoga)

नृत्य और योग | Yoga For Dancers

नृत्य एक जन्मजात प्रतिभा है जिसे अभिव्यक्ति की एक सर्वोतम विधा के रूप में जाना जाता है। हमारी प्राचीन नृत्य शैलियाँ एक अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। ये नृत्य शैलियां हमें हमारी समृद्ध परम्पराओं से जोड़ कर रखने में सहायक हुई है। चाहे उत्साह से भरा भांगड़ा नृत्य हो, या मनमोहक बैले नृत्य, या रोमांटिक सालसा- ये सभी नृत्य अनूठे है और हमें आनन्द से विभोर कर देते हैं। चाहे आप बंद कमरे में नृत्य करें या सार्वजनिक रूप से, चाहे हिप हॉप डांस करे या टैप डांस (पैरों से ताल देते हुए), आप आनन्द से सरोबार हो जाते है और अत्यंत सुख व संतोष अनुभव करते हैं।

नृत्य में अवरोध

ऐसे सभी नृत्य आनन्द प्रदायक होते है जिसमें नर्तक पूरे जोश के साथ अपना नृत्य करे और स्वयं नृत्य में आनन्द अनुभव करे। ऐसा तभी संभव है जब नर्तक का तन स्वस्थ हो और मन प्रसन्न व मुक्त हो। अगर नृत्य के समय आप तनाव ग्रस्त है अथवा शारीरिक कठोरता का अनुभव कर रहे हैं तो हो सकता है कि आप अच्छा प्रदर्शन न कर पाएं तथा निराशा का अनुभव करें। ऐसे अवरोध आपके नृत्य कौशल को हानि पहुंचाते हैं और इनका प्रभावी निराकरण अत्यंत आवश्यक है।

 

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नृत्य और योग का सहयोग क्यों?

योग शारीरिक व्यायाम व सांस की क्रियाओं का अनूठा मिश्रण है जो शरीर को स्वस्थ व मन को शांत रखने में सहायक है। यह एक प्राचीन तकनीक है जो नर्तक को भाव भंगिमाओं की अभिव्यक्ति की कुशलता प्रदान करती है। इससे शरीर लचीला व आकर्षक बनता है तथा नर्तक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। मोनिका का मानना है कि “योग एक प्रकार का धीमी गति का नृत्य है जो शरीर को आवश्यकता के समय अधिक शक्ति व क्षमता प्रदान करता है। "

6 नृत्य के अभ्यास में सहायक कुछ योगासनों पर एक नजर। 6 yoga asana jo dance ki practice mein madd karenge

  1. त्रिकोणासन | Trikonasana
  2. उत्कटासन | Utkatasana
  3. पूर्वोत्तानासन | Poorvottanasana
  4. अधोमुख श्वानासन | Adho Mukha Svanasana
  5. सेतुबंधासन | Setu Bandhasana
  6. शवासन | Shavasana

योगाभ्यास का प्रारंभ शरीर को ढीला करने वाले चक्रीय घुमावों से करे जैसे गर्दन को घुमाना, कंधो, घुटनों व टखनों को घुमाना इत्यादि।

Trikonasana

यह आसन नर्तक की टांगों, घुटनों, टखनों, भुजाओ व छाती को बल प्रदान करता है साथ ही यह कूल्हों, घुटनस, पिंडली, कंधो व रीढ़ को सुदृढ़ बनाता है एवं जकड़न को मिटाकर इन्हें सक्रिय बनाता है। यह आसन नर्तक को शारीरिक व मानसिक सम्बल प्रदान कर उसे तनाव चिंता व पीठ के दर्द से मुक्ति प्रदान करता है।

 

Utkatasana (Chair Pose)

कुर्सी पर बैठेने की मुद्रा वाला यह आसन पीठ के निम्न भाग व धड़ को बल प्रदान करता है। इससे रीढ़ कूल्हों व छाती की मांसपेशियों का व्यायाम होता है तथा जांघ, टांगों, टखने व घुटनों की मांसपेशियां पुष्ट हो जाती है। यह आसन नर्तक को शारीरिक बल प्रदान करता है तथा उसके मन की संकल्प शक्ति को बढाता है।

 

Poorvottanasana in Hindi

पूर्वोत्तानासन कलाई, बाजु, कंधे, पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है। यह पैरों और कूल्हों में खिंचाव लाता है।

 

यह आसन सम्पूर्ण शरीर को शक्ति व नवजीवन प्रदान करता है और भुजाओं, कन्धों, टांगों, व पैरों के लिए विशेष लाभकारी है। यह मांसपेशियों को बल प्रदान करता है, रक्त संचार बढाता है, रीढ़ को लम्बा व छाती की मांसपेशियों को सुदृढ़ करता है। इसके अभ्यास से मन शांत होता है तथा थकान व सिरदर्द से मुक्ति मिलती है।

 

यह आसन पीठ की मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाता है, छाती, गर्दन, व रीढ़ में खिंचाव उत्पन्न कर पीठ के दर्द से मुक्ति प्रदान करता है।

 

savasana

यह आसन शरीर को गहन विश्राम व ध्यान की स्थिति प्रदान करता है जिससे शरीर में स्फूर्ति व नवजीवन का संचार होता है। सभी आसनों के अंत में कुछ मिनटों के लिए इस आसन में लेट कर विश्राम करना चाहिए।

नृत्य प्रस्तुति के पूर्व की तैयारियां:

नृत्य की प्रस्तुति के पूर्व शरीर के विभिन्न अंगों के घुमाव व खिंचाव वाले व्यायाम का अभ्यास करना चाहिए। सूर्य-नमस्कार (Surya Namaskar) के कुछ चक्रों का अभ्यास भी शरीर को लचीलापन व स्फूर्ति प्रदान करता है। नृत्य के समय अगर आप हताशा महसूस करते हैं तो भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से लाभ होता है। शरीर के अंगो को कंपकंपाहट पूर्वक हिलाने से भी नर्तक तनाव से मुक्त हो सकते हैं।

नृत्य को उत्कृष्ट बनायें

जैसे ही आप योगाभ्यास से शारीरिक मानसिक व भावनात्मक सुदृढ़ता प्राप्त करते है आपका नृत्य सहज व प्रयास रहित होने लगता है। योगाभ्यास एक नए डांसर के आत्मविश्वास में वृद्धि करता है, मन की शांति बनाये रखता है तथा किसी भी विषम स्थिति को स्वीकार कर सहज बने रहने में मदद करता है। अनुभवी व पेशेवर नर्तक भी योगाभ्यास से अधिक स्वस्थ व स्फुर्तवान बने रहते है।

"एक नृतक, भावनाएं व्यक्त करने के लिए नृत्य करता है, न कि किसी को प्रभावित करने के लिए" अनिता नृत्य के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए। इस पर अपना मत देते हुए मोनिका बताती हैं, "अपने शरीर को हिलाना, नृत्य नहीं कहलाता है बल्कि यह तो ध्यान की तरह है". जूनून किसी भी प्रकार के नृत्य का सार है और योग उस सार को बनाये रखने में मदद करता है। नृत्य से पहले कुछ समय ध्यान व योग करने से आप अभ्यास के दौरान अपने मन और शरीर में सही सामंजस्य बना सकते हैं। अपनी अभ्यास की दिनचर्या में योग को जोड़ने से आप अपने नृत्य को अधिक भावनाओं और जूनून से कर सकते हैं।

अपने अंदर के जूनून को बनाएं रखें

"एक नृतक, भावनाएं व्यक्त करने के लिए नृत्य करता है, न कि किसी को प्रभावित करने के लिए" अनिता नृत्य के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए। इस पर अपना मत देते हुए मोनिका बताती हैं, "अपने शरीर को हिलाना, नृत्य नहीं कहलाता है बल्कि यह तो ध्यान की तरह है"। जूनून किसी भी प्रकार के नृत्य का सार है और योग उस सार को बनाये रखने में मदद करता है। नृत्य से पहले कुछ समय ध्यान व योग करने से आप अभ्यास के दौरान अपने मन और शरीर में सही सामंजस्य बना सकते हैं। अपनी अभ्यास की दिनचर्या में योग को जोड़ने से आप अपने नृत्य को अधिक भावनाओं और जूनून से कर सकते हैं।

यद्यपि योगाभ्यास शरीर और मन के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, फिर भी इसे दवा के बदले आजमाना उचित नही है। योगासनों का अभ्यास श्री श्री योग (Sri Sri Yoga)के प्रशिक्षक की निगरानी में ही करना सर्वथा लाभप्रद होगा। अगर कोई शारीरिक या मानसिक खामी हो, तो वैद्यकीय सलाह और श्री श्री योग के प्रशिक्षक की निगरानी में ही करना सर्वथा लाभप्रद होगा। अगर कोई शारीरिक या मानसिक खामी हो, तो वैद्यकीय सलाह और आर्ट ऑफ लिविंग योग के प्रशिक्षक की अनुमति के पश्चात ही योगाभ्यास करें। श्री श्री योग कोर्स आपके नज़दीकी आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र में आप सीख सकते हैं। अगर आप विविध कोर्सों के बारे में जानकारी पाना चाहते हैं या सुझाव देना चाहते हैं तो हमें संपर्क करें info@artoflivingyoga.in.

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