मेडिटेशन और नींद | Meditation and Sleep : Similar yet different

"मैं बहुत थका हुआ हूँ, और कुछ देर सोना चाहता हूँ।" - स्वयं को ऐसी स्थिति में पाना स्वाभाविक ही तो है। फिर भी क्या ऐसा कुछ है निद्रा के इलावा जो हमें गहरा विश्राम दे और पुनः ऊर्जित कर दे। ऊर्जा के चार स्रोत होते हैं, जिन में एक निद्रा है और एक है ध्यान।

देखा जाए तो मेडिटेशन और नींद एक दूसरे के बहुत समान है और बिलकुल अलग भी, जैसे की -

ध्यान और निद्रा कुछ बातों में समान हैं फिर भी एक दूसरे से बहुत भिन्न

  • ध्यान उपापचय या रस प्रक्रिया (मेटाबोलिज़म) की गति को कम करता है | Meditation Reduces Rate of Metabolism
  • ध्यान, नींद का एक सच्चा पूरक | Meditation Truly Complements Sleep
  • ऊर्जा के स्रोत से जुड़ना | Tapping the Energy Source
  • गहरा विश्राम | Deep Rest
  • असीम विश्राम | Rest Unlimited
  • सजगता की वृद्धि | Awareness Alert
  • मन को मुक्त करें | Free Your Mind
  • चुनने की स्वतंत्रता | Freedom to Choose

ऊर्जा के स्रोत से जुड़ना | Tapping the Energy Source

ध्यान के द्वारा हमें जितनी ऊर्जा मिलती है उतनी हमें नींद से नहीं मिलती। श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं, "ध्यान के द्वारा आप अपने शरीर में ऊर्जा के स्रोत को जगा कर बिजलीघर जैसा बना सकते हैं।"


गहरा विश्राम | Deep Rest

ध्यान व निद्रा दोनों हमें गहरा विश्राम देते हैं पर ध्यान के फलःस्वरूप उत्पन्न हुए विश्राम की गुणवत्ता कहीं और भी अधिक होती है। श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं, "ध्यान आपको गहरी से गहरी नींद से भी अधिक गहरा विश्राम देता है।" 20 मिनट का ध्यान 8 घंटे की नींद के समान हो सकता है।


असीम विश्राम

जब हम सामान्य से ज़्यादा सोते हैं, तो क्या होता है? हम आलस व सुस्ती का अनुभव करते हैं। नींद का आदर्श समय प्रतिदिन केवल 6-8 घंटे है कम या ज़्यादा नींद, तनाव या असंतुलन का कारण बन सकती है, जबकि ध्यान के कारण इस प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

परंतु, गहरे अनुभव के लिए हमें दिन भर ध्यान करने की ज़रूरत नहीं है। बस दिन में दो बार 20 मिनट का ध्यान ही पर्याप्त है।


ध्यान नींद का एक सच्चा पूरक

ध्यान आपकी नींद की गुणवत्ता को बढ़ाता है; यद्यपि, ध्यान नींद का विकल्प नहीं है। हमें नींद व ध्यान दोनों की ही आवश्यकता है। वास्तव में ध्यान नींद का पूरक है। ध्यान के नियमित अभ्यास से हम एक गहरी व अच्छा विश्राम देने वाली नींद का अनुभव करते हैं। यदि आप अनिद्रा से परेशान हैं, तो नियमित ध्यान का अभ्यास अनिद्रा के उपचार के लिए सबसे अच्छा पायेंगे।


ध्यान उपापचय या रस प्रक्रिया (मेटाबोलिज़म) की गति को कम करता है 

ध्यान व निद्रा दोनों में उपापचय की गति कम हो जाती है। उपापचय की गति में कमी, मन को शांत अवस्था में ले आती है।


सजगता की वृद्धि 

चेतना की चार अवस्थाएं होती हैं  - जाग्रत, सुषुप्ति, स्वप्न व तुरीय अथवा निर्गुण ब्रह्म अवस्था (ध्यानावस्था)। नींद में हमें विश्राम मिलता है पर कोई सजगता नहीं प्राप्त होती है। जागते समय हम बस ताज़ा अनुभव करते हैं लेकिन हमें कुछ भी याद नहीं रहता है कि नींद में क्या हुआ। जबकि ध्यान से सजगता के साथ साथ विश्राम की भी प्राप्ति होती है। श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं, "जागृति और सुषुप्ति, सूर्योदय और अंधेरे के समान हैं; स्वप्न गोधूलि बेला जैसे बीच की अवस्था है; और ध्यान जैसे आकाश की यात्रा है जहाँ कोई सूर्योदय नहीं, सूर्यास्त नहीं, कुछ भी नहीं।"


मन को मुक्त करें

नींद और ध्यान दोनों मन को ताज़ा कर देते हैं। लेकिन ध्यान हमें हमारे पुराने संस्कारों से भी मुक्त करा देता है। लगातार ध्यान करने से हम हमारे मन में इकट्ठे हुए वर्षों का भावनात्मक कचरा साफ कर देते हैं, एवम् पुनः ऊर्जित अनुभव करते हैं।


चुनने की स्वतंत्रता

वास्तव में, हमें सोना है की नहीं, हम इसका चुनाव नहीं कर सकते हैं। आप तभी सो सकते हैं जब आप को नींद आ रही हो। जबकि ध्यान आप कभी भी कर सकते हैं जब भी आप चाहें। दिन में कोई भी समय हो सकता है, पर सुबह का समय श्रेस्यकर होता है।

आपको इस बात का आभास हो गया होगा कि ध्यान के द्वारा आप गहरा विश्राम चुन सकते हैं, सजगता को बढ़ा सकते हैं और अनंत ऊर्जा के स्रोत से जुड़ सकते हैंl बस इसी क्षण मन में निश्चय कर लें कि ध्यान को अपने जीवन में अपना लेना है।

श्री श्री रविशंकर जी की ज्ञान वार्ता से उद्धृत

“ध्यान नींद का विकल्प नहीं है। नींद व ध्यान दोनों के अपने अपने लाभ हैं। जब आप नियमित अभ्यास करते हैं तो ध्यान आपकी नींद की गुणवत्ता को भी बढ़ा देता है।”

ध्यान अनुभाग

  1. ध्यान करें, सिरदर्द से दूर रहें  - Meditation Tips to Get Rid of Headache (in Hindi)
  2. क्रोध को नियंत्रित कैसे करें: कुछ सुझाव - Tips to Control Anger (in Hindi)
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