ध्यान और शरीर | Meditation & The Body

ध्यान और शरीर : बेहतर स्वास्थ्य के लिए। Meditation and The Body - For Better Health

"हमारा शरीर एक अनमोल उपहार है। इसलिए सदा अपने शरीर का सम्मान करें l"

अपने शरीर को पवित्र बनाये रखें क्योंकि यह एक चलता फिरता मंदिर है। अँग्रेज़ी शब्द "नर्व" (तंत्रिका), संस्कृत शब्द "नर" से लिया गया है। मनुष्य की तंत्रिकाओं में परम प्रभु नारायण वास करते हैं।  इसलिए हमें अपने शरीर को पवित्र रखना अत्यावश्यक है। "ॐ" शब्द का बार बार उच्चारण करने से शरीर पवित्र और शुद्ध हो जाता है।

जब हम अपने पूर्ण अस्तित्व के प्रभाव को मन में केंद्रित कर लेते हैं तो ध्यान हो जाता है। अपने श्वास के द्वारा हम इसी प्रभाव को शारीरिक स्तर पर भी ला सकते हैं।

शरीर की भी एक अपनी भाषा होती है जिसे अँग्रेज़ी में बॉडी लैंग्वेज (Body language) कहते हैं। इस भाषा से यह ज्ञात हो जाता है कि आपके भीतर आप क्या हैं। यदि कोई सदा अकड़न भरे और बुलंद कंधे के साथ चलता है, तो उसकी शारीरिक भाषा से पता चलता है कि उस व्यक्ति में बहुत अहंकार और अकड़ है। वे अपनी गर्दन को मोड़ कर कुछ विशेष ढंग से चलते हैं और अन्य लोगों के साथ सहज नहीं हो पाते हैं। इसलिए जितने कठोर भीतर से आप हैं उतने ही कठोर आपके शरीर और मन भी होंगे। अपने मन और अहंकार को ढीला करने के लिए, और स्वयं को विस्तृत करने के लिए, आपको आसन और ध्यान करने की आवश्यकता हैं क्योंकि आप केवल मन ही नहीं हैं; आप केवल शरीर भी नहीं हैं। और योग में शरीर, श्वास और मन सभी पूर्ण रूप से जुड़े जाते हैं।

प्राणायाम और ध्यान करें। इससे आपका शरीर सुदृड़ और बुद्धि तीव्र हो जायेगी। तब आपकी जो भी मनोकामना होगी और उसके लिए आप प्रार्थना करेंगे तो आपकी कामना अवश्य पूर्ण होगी। ध्यान में आप अनुभव करेंगे कि आप केवल शरीर ही नहीं हैं बल्कि शरीर से भी कहीं अधिक हैं।

 
Founded in 1981 by Sri Sri Ravi Shankar,The Art of Living is an educational and humanitarian movement engaged in stress-management and service initiatives.Read More