क्रोध क्यों आता है ?
जो लोग भी क्रोध करते हैं, वे सिर्फ सच्चाई को ही आधार मान कर क्रोधित होते हैं। लेकिन सच्चाई की कल्पना करना काफी सीमित है। इस दुनिया में सभी प्रकार की चीजें होती हैं और आपको सिर्फ धैर्य रखने की आवश्यकता है।
सच्चाई की कामना करना और यह कहते रहना कि ‘मुझे सच्चा रहना है और मैं चाहता हूं कि सभी अभी ही सच्चे बन जाएं’, यह संभव नहीं है।
सब सच्चे और अच्छे रहें, यह कामना करना ठीक है, लेकिन आपको लोगों को लंबा समय देना चाहिये। धैर्य के साथ सच्चाई की कामना करें। फिर क्रोध हावी नहीं होगा। अन्यथा जब आप कहते हैं, "मैं सच्चा हूं" और फिर जब यह मांग करते हैं, "मुझे यह चाहिए" - तब क्रोध आता है, और जब क्रोध आता है तब आप अपनी सच्चाई और अच्छाई को स्वयं ही गंवा देते हैं। जब आप क्रोधित होते हैं, वह उतना ही बुरा है, जैसे कोई व्यक्ति बुरा कर रहा हो।
यदि किसी ने इस स्थान को साफ नहीं किया, यहां सिर्फ गंदगी है और आप यहां पर आते हैं तो क्रोधित हो जाते हैं। उस व्यक्ति ने एक गलती करी है, उसने सफाई नहीं करी। क्या यह ठीक है? नहीं। लेकिन उस पर आपका परेशान होना और चिल्लाना एक दूसरी गलती है।
क्रोध पर नियंत्रण
दो गलतियां एक गलती को ठीक नहीं कर सकती। यदि किसी ने कोई गलती करी है तो उसे धैर्य के साथ दो तीन बार समझायें और शिक्षित करे। शिक्षक होने के लिये आप में बहुत धैर्य होना चाहिए। स्कूल के शिक्षकों के सामने यह एक चुनौती है। वे बच्चों को एक ही बात दस बार बताते हैं, लेकिन बच्चे फिर भी नहीं सुनते। बच्चों में ध्यान की कमी का सिंड्रोम होता है। बच्चे उस पर ध्यान नहीं देते। इसलिये धैर्य की आवश्यकता होती है। धैर्य एक गुण या खूबी होती है। यह छः संपत्तियों में से एक है। शम - मन की शांति, दम - आत्म संयम या स्वयं पर नियंत्रण, उपरति - सांसारिक सुखों और वस्तुओं से दूरी, तितिक्षा - धैर्य की शक्ति या सहनशीलता, श्रद्धा - विश्वास, समाधान - आत्म संतुलन या मन का केंद्रित होना। समाधान, संतोष और धैर्य पाने के लिये होता है। यह अत्यंत आवश्यक है।
सुदर्शन क्रिया (Sudarshan Kriya) अपने आप को शांत करने हेतु काफी असरदार है। आप भी इसका अनुभव कर सकते हैं। सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ लिविंग के हैप्पीनेस प्रोग्राम (Happiness Program) में सिखाई जाती है।
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