दूरदर्शी दृष्टिकोण और लक्ष्य

आर्ट ऑफ लिविंग संगठन की स्थापना सन 1981 में श्री श्री रवि शंकर जी के द्वारा की गई। यह संगठन शैक्षिक और मानवीय मूल्यों के विकास कार्यों में रत हैं। इसके शिक्षात्मक कार्यक्रम तनाव को मिटाने और कुशल मंगल की भावना उत्पन्न करने के साधन प्रदान करते हैं। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 152 देशों में सक्रिय रूप से सेवा कार्य कर रहा है। आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों ने लाखों लोगों के जीवन को छुआ है।

सभी कार्यक्रम श्री श्री के शांति सिद्धांत से प्रेरित हैं। उनका कहना है कि "जब तक हमारा मन तनाव रहित और समाज हिंसा मुक्त नहीं होता तब तक विश्व में शांति की स्थापना नहीं हो सकती" |आर्ट ऑफ लिविंग तनाव को दूर करने वाले कार्यक्रम प्रदान करता है जिनमें सांस की क्रियाएँ ,ध्यान और योग शामिल हैं |

श्री श्री के मार्गदर्शन में मानवतावादी कार्यक्रमों के माध्यम से आर्ट ऑफ लिविंग विभिन्न समुदायों में शांति स्थापना के प्रयासों में रत है।इसमें द्वन्द समाधान, प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों की सहायता, चिरस्थायी  ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, कैदियों का पुनरुद्धार, सब के लिए शिक्षा और पर्यावरण के दीर्घकालिक विकास जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

हमारी यात्रा

सेवा एक उत्सव-२५ वर्ष की यात्रा

वसुधैव कुटुम्बकम् (विश्व एक परिवार ),इस प्राचीन मूल्य की स्थापना भारत में स्थित बेंगलुरु शहर में फ़रवरी २००६ में हुई। पूरी दुनिया में एक लहर उठी ,जब आर्ट ऑफ लिविंग की २५ साल के समारोह में २५ लाख लोग शामिल हुए। एक पुरानी हवाई पट्टी से ३८०० भारतीय शास्त्रीय संगीतकारों द्वारा रची सिम्फनी, स्नेह, ख़ुशी और शांति की प्रतिध्वनि बनी। इसने जाति ,पंथ ,रंग ,राष्ट्रीयता ,धर्म, जैसी मानव निर्मित बाधाओं को भी तोड़ दिया।

इन ३ दिनों के उत्सव में शामिल हुए -

• २५ लाख लोग
• १००० धार्मिक एवं आध्यात्मिक अतिथि
• ७५० मुख्य राजनितिक नेता
• ४५ विभिन्न भाषायें बोलने वाले ११० देशों के प्रतिनिधि
• एक सन्देश -शांति,स्नेह,सदभावना

एकजुटता का उत्सव
३ दशकों का महोत्सव

बर्लिन के ऐतिहासिक ओलंपिक मैदान  पर आर्ट ऑफ लिविंग की तीसवीं वर्षगाँठ मनाई गई। इस महोत्सव में विश्व भर से हज़ारों लोग जो विभिन्न महाद्वीपों ,धर्मों एवं परम्पराओं से एकत्रित हुए और दुनिया के समृद्ध सांस्कृतिक विविधता की सराहना की।

देश  विदेश से ६३० गणमान्य अतिथि यहाँ एकत्रित हुए, जिनमें रूस के उप विदेश मंत्री, अनेक देशों के पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री ,मंत्री ,कांग्रेसी , यूरोप पार्लियामेंट  के अनेक सदस्य ,जर्मन पार्लियामेंट ,राजदूत, उच्च व्यवसायी ,शिक्षाविदों ,गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि ,धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेता  यहाँ उपस्थित थे।