अनंतकाल से कैलास पर्वत भगवान शिव के निवास स्थान, राजसी सुंदरता और मानसरोवर झील के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मानसरोवर झील कैलास का अविभाज्य अंग है। मानसरोवर तिब्बत (चीन) में स्थित एक स्वच्छ जल की विशाल झील है। यह स्थान न केवल हिन्दुओं अपितु जैन, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्त्व रखता है। प्रति वर्ष विश्व भर से लाखों पर्यटक एवं तीर्थयात्री इस स्थान की सुंदरता और पवित्रता का अनुभव करने के लिए यहाँ आते हैं।

भगवान शिव का आवास कैलास पर्वत में है। ‘कैलास’ शब्द के दो अर्थ हैं – पहला, वह स्थान जहाँ केवल और केवल उल्लास है, उत्सव है। दूसरा अर्थ है शमशान, वह जगह जहाँ शून्यता निवास करती है। दिव्यता शून्यता और उल्लास दोनों में निवास करती है। हमारे भीतर शून्यता भी है और उत्सव भी।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

मानसरोवर का अर्थ और इतिहास

मानसरोवर एक अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। किवदंतियों के अनुसार, ब्रम्ह मुहूर्त के समय सभी देवता गण इस झील में स्नान के लिए आते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस झील के निमार्ण का विचार सर्वप्रथम ब्रम्हा जी के मन में आया था, इसी कारण से इस झील का नाम “मानसरोवर” पड़ा। यदि इस शब्द का संधि विच्छेद करें तो ज्ञात होता है कि यह शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘मन’ जिसका अर्थ होता है मानस और ‘झील’ का अर्थ होता है सरोवर, जो शब्द बना वो है “मानसरोवर”।

माना जाता है कि मानसरोवर में कई देवता निवास करते हैं और वे सब ध्यानमग्न हैं। मानसरोवर हर जगह क्यों नहीं हो सकता तो इसका कारण है कि इस स्थान का आभामंडल इसे विशिष्ठ एवं विशेष बनाता है। इस पवित्र झील की तुलना भगवान के मन से की जाती है, जो की झील के जल की तरह की शांत है और अचल की तरह अटल है।

1. मानसरोवर की यात्रा क्यों करें?

धार्मिक महत्त्व: शास्त्रों के अनुसार, झील को पवित्र माना जाता है। कई शास्त्रों में मानसरोवर की सुंदरता और महत्त्व को सुंदरता से वर्णित किया गया है। हिंदू धर्म में कहा जाता है की यदि आपने कैलास मानसरोवर झील में डुबकी लगाई है या फिर इस झील के जल को चखा है, उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं। 

जैन मत के अनुसार, मानसरोवर झील ही वो जगह है जहाँ पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी को मोक्ष प्राप्त हुआ था। 

बौद्ध धर्म में, कैलास पर्वत को मेरु पर्वत के नाम से भी जाना जाता है और ऐसा कहा जाता है की भगवान बुद्ध ने यहाँ ध्यान किया था और कुछ दिन वो यहाँ पर रहे भी थे। 

बॉन धर्म में भी इस स्थान की गहरी महत्त्वता है, तिब्बत में “झांग ज़ुंग” को एक पवित्र स्थान दिया जाता है, ऐसी मान्यता है की बॉन धर्म के संस्थापक टोन्पा शेरनाब जब पहली बार तिब्बत आये थे, तब उन्होंने इस झील में स्नान किया था। 

सिख धर्म के अनुसार मानसरोवर झील वह स्थान है जहाँ गुरु नानक देव जी ने ध्यान करना सीखा था।

2. भौगोलिक महत्त्व

कैलास पर्वत पृथ्वी का मध्य भाग है और यह स्थान चारों ओर से छः अन्य पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है। कैलास पर्वत का परिसर पूरे ब्रम्हांड का केंद्र बिंदु माना जाता है। कैलास मानसरोवर एक सुंदर जगह होने के अलावा, मानसरोवर झील दुनिया की सबसे ऊँची ताजे पानी की झील है, जो समुद्र तल से 4,557 मीटर की ऊँचाई पर खड़ी है, जो इसे दुनिया की सबसे ऊँची झीलों में से एक बनाती है। समाधि में गहराई तक जाने के लिए सबसे अच्छी जगह है। मानसरोवर झील चार प्रमुख नदियों की उपत्ति का बिंदु है, जिनका नाम ब्रह्मपुत्र, घाघरा, सिंधु, सतलुज है।

3. चिकित्सा में महत्त्व

कैलास पर्वत को घेरने वाली जड़ी बूटियों और झाड़ियों को जानने के लिए मानसरोवर की यात्रा एक अच्छा अवसर है। जंगली पौधों और फूलों का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। यहाँ नागमणि फूल जैसे विभिन्न प्रकार के फूल पाए जाते हैं। यहाँ साँप के आकार का एक पत्थर जो कि बहुत सुंदर है और अपनी सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करता है। मानसरोवर में उगाई जाने वाली बिच्छू घास को बिछुआ के पौधे के रूप में भी जाना जाता है, इसके विविध औषधीय लाभ हैं। जोड़ों के दर्द को ठीक करने के स्टिंगिंग बिछुआ (बिच्छू घास) उपयोगी है और एक्यूपंचर के रूप में भी काम करता है।

4. पर्यटक आकर्षण

यदि आप प्रकृति, झीलों, बर्फीले पहाड़ों और हरियाली से प्यार करते हैं, तो कैलास मानसरोवर से भी प्यार करेंगे। पर्वतीय कैलास बाग बगीचों से घिरा हुआ है। आपको कमल, लिली (कुमुद) और हंस जैसे सुंदर फूलों की एक झलक मिलेगी, जिससे झील की सुंदरता बढ़ जाएगी। सूर्योदय के दौरान, आप एवरेस्ट पर्वत के सुनहरे शिखर को देख सकते हैं। कैलास मानसरोवर की प्राकृतिक सुंदरता इतनी व्यापक है कि आप इससे एक पल को भी अपनी आँख हटाना नहीं चाहेंगे। कैलास मानसरोवर एशिया की सबसे सुंदर, चुनौतीपूर्ण और सबसे अधिक भ्रमण की जाने वाली जगहों में से एक है।

मानसरोवर के आसपास पर्यटन स्थल

हालांकि कैलास मानसरोवर की यात्रा अपने आप में दिमाग को ताजा करने वाली और एक साहसिक यात्रा है। लेकिन हम आपके के लिए यहाँ कुछ विशेष तथ्य ताकि आप की यात्रा में आप किसी चीज का आनंद लेना भूल न जाएँ।

गौरी कुंड: यहाँ एक और पर्यटन स्थल है जिसका नाम है गौरी कुंड। इसको पार्वती सरोवर के रूप में भी जाना जाता है। इसी के इर्द गिर्द कई रहस्यमयी कहानियाँ बुनी गई हैं। ऐसा माना जाता है कि यह झील देवी पार्वती का स्नान स्थल रहा है और यही वह स्थल है जहाँ देवी पार्वती ने भगवान गणेश को अपने मैल से आकार दिया था। इस झील को दया की झील भी कहा जाता है।

राक्षस ताल: राक्षस ताल को “रावण झील” या “दानवों की झील” भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि यह रावण का निवास स्थान है और इसलिए इसका नाम राक्षस ताल है। यह झील मानसरोवर के पास स्थित है और इसे तिब्बत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील के रूप में जाना जाता है।

इस झील पर डोला, तोप्सेर्मा, लाचातो और दोसरबा जैसे चार द्वीप शामिल है। इस झील के पास रहने वाले लोग इस ताल में स्नान नहीं करते हैं क्योंकि इस झील का पानी बहुत नमकीन और जहरीला होता है।

कैलास परिक्रमा: कैलास पर्वत को भगवान शिव और देवी पार्वती के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, पर्वत की परिक्रमा करने से अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस परिधि की यात्रा 3 दिन और 53 किमी की है। यह यात्रा बहुत साहसिक है और यहाँ मौसम के उतार चढ़ाव के कारण आपको ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

कैलास मानसरोवर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?

मानसरोवर जाने वाले लोगों का कहना है कि अप्रैल से सितम्बर के बीच कैलास मानसरोवर की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय है। गर्मी में जब बर्फ पिघलना शुरू हो जाती है, तब आप ट्रैकिंग कर सकते हैं और कैलास मानसरोवर की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। 

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर द्वारा दी गई ज्ञान वार्ता से संकलित।

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