योग के बारे में (yoga)

योग निद्रा द्वारा अपने आपको निद्रा जैसा विश्राम दें

साधारण रूप से विश्राम, योग निद्रा द्वारा किसी भी योगासन क्रम के बाद आवश्यक है। योगासन शरीर को गरमाहट देता है और शरीर को शांत करता है।

योग अभ्यास शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है। योग निद्रा इस ऊर्जा को संरक्षित एवं समेकित करती हैं जिससे शरीर व मन को विश्राम मिलता है। योग निद्रा आपको प्राणायाम और ध्यान के लिए तैयार करती है। अतः यह आवश्यक है कि योगासन के पश्चात् आप उचित समय योग निद्रा के लिए रखें।

योग निद्रा के लाभ 

  • योगासन के पश्चात् शरीर को आराम देता है।
  • शरीर का तापमान सामान्य बनाने मे मदद करता है। योगासन के प्रभाव को अवशोषित करके तंत्रिका तंत्र को सक्रिय बनाता है।

योग निद्रा करने के लिए कैसे तैयार हों

  • अभ्यास के पूर्व पेट हल्का रखें। योगासन एवं योग निद्रा के पूर्व भर पेट भोजन नही करना चाहिए।
  • आरामदायक एवं अव्यवस्था रहित स्थान होना चाहिए। एक योगी का घर शांत, आरामदायक एवं अव्यवस्था रहित होता है।
  • कुछ लोगो को योग निद्रा के पश्चात् हल्की ठंढ का आभास होता है। अतः साथ में एक कम्बल रखना चाहिए।

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योग निद्रा की विधि 

  1. पीठ के बल शवासन में लेट जाएँ। नेत्र बंद कर विश्रामवस्था में आयें। कुछ गहरी साँस लें और छोड़ें। ध्यान रहे साधारण साँस लेना हैं, उज्जई साँस नहीं।
  2. अपना ध्यान अपने दाहिने पंजे पर ले जाएँ ।कुछ सेकंड तक यहाँ अपना ध्यान बनाये रखें। पंजों को विश्रामावस्था में लायें। इसके पश्चात अपना ध्यान क्रमशः दाहिने घुटने, दाहिने जंघा तथा दाहिने कूल्हे पर ले जाएँ। इसके पश्चात अपने पूरे दाहिने पैर के प्रति सचेत हो जाये।
  3. यही प्रक्रिया बाएं पैर में दोहरायें।
  4. अपना ध्यान शरीर के सभी भागों जननांग, पेट, नाभि और छाती में ले जाये।
  5. अपना ध्यान दाहिने कंधे, भुजा, हथेली, उंगलियो मेँ ले जाएं।यही प्रक्रिया बाएँ कंधे, भुजा, हथेली, गर्दन एवं चेहरे और सिर के शीर्ष तक ले जाएँ।
  6. एक गहरी साँस लें। अपने शरीर में हो रही संवेदनाओं के प्रति सजग रहें। कुछ मिनट इसी स्थिति में आराम करें।
  7. अपने शरीर एवं आस-पास के वातावरण के प्रति सचेत हो जाएँ। दाहिने करवट ले के कुछ समय लेटे रहें । बायीं  नासिका से श्वास बाहर छोड़ें जिससे शरीर में ठंडेपन का अनुभव होगा।
  8. अपना समय लेते हुए धीरे-धीरे उठकर बैठें। जब आप आराम महसूस करें तो धीरे-धीरे नेत्र खोलें।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा निर्देशित योग निद्रा 

विशेष: ध्यान रखें कि योग निद्रा ‘प्रयास’ नहीं ‘विश्राम’ हैं।

जैसे किसी पल आप एक शब्द 'सेब’ सुनते हैं, तुरंत उसका प्रतिबिम्ब आपके मन में आ जाता है। आपको यह प्रयास नहीं करना पड़ता कि वह छोटा है या बड़ा है या लाल है या हरा। यही स्थिति योग निद्रा में होती है।

आपको इस बात पर एकाग्र या फोकस नही होना पड़ता कि पैर क्या है या नाक को स्पर्श नहीं करना होता। न ही आपको शरीर के इन भागों को हिलाना होता है। केवल आप अपनी चेतना को उन स्थानों पर ले जाते हैं और गहरी साँस लेते हैं। योग निद्रा पूर्ण सचेतावस्था में गहरा विश्राम देती है। यह प्रयास रहित सचेत शरीर और मन का विश्राम है।

यह प्राकृतिक है कि योग निद्रा के समय कुछ विचार आये, उसे नियंत्रण करने का प्रयास न करें। यदि आप प्राकृतिक  रूप से सो जाते हैं तो अपराधबोध से ग्रसित न हों। इस प्रकार योग निद्रा आनंदपूर्ण प्रयासरहित तरीका है जो योगासन के बाद करना चाहिए। आइये योगनिद्रा से आनंद का अनुभव  करें।

"जैसे नींद के पश्चात ताज़गी का अनुभव होता हैं, योग निद्रा वही अनुभव देती है, यह मेरी सबसे प्यारी झपकी है जो मुझे गहन विश्राम और ताजगी देती है, इसके लिए चाय या कॉफ़ी की आवश्यकता नहीं हैं।" - प्रतीक नैयर, एक उत्सुक ध्यानकर्ता

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यह लेख वरिष्ठ श्री श्री योग शिक्षक दिनेश काशीकर एवं श्रीराम सर्वोत्तम द्वारा संकलित है।

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