जीवन को एक उत्सव बना रहे हैं।
सन् 1981 से योग, ध्यान और श्वास कार्यक्रमों के माध्यम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा दे रहे हैं।
समाधान ढूंढ़ें...
एक वैश्विक आंदोलन...
- 43 वर्षों की विरासत
- 180 देशों में 10,000 से अधिक केन्द्र
- 50 करोड़ से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित किया
ध्यान कार्यक्रम
ध्यान, कुछ न करने की कोमल कला है।
संपूर्ण भारतहैप्पीनेस प्रोग्राम
आनंद उत्सव
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के साथ विशेष ● लाइव सत्र
सुदर्शन क्रिया™ ऑनलाइन/ऑफलाइन सीखें
13 अगस्त 2024 से शुरू हो रहा है
अधिक जानेंजीवन परिवर्तन करने वाला।
एक सरल सी श्वास तकनीक जो आपकी चिंता को 44% कम कर सकती है।
सुदर्शन क्रिया शरीर में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है।
जीवन बदलने वाली श्वास तकनीक
सुदर्शन क्रिया™
आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों की आधारशिला, सुदर्शन क्रिया™ तकनीक ने तनाव कम करने, बेहतर विश्राम पाने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु दुनिया भर में लाखों लोगों की मदद की है। येल और हार्वर्ड सहित चार महाद्वीपों पर किए गए अध्ययन और सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में प्रकाशित अध्ययनों ने कोर्टिसोल, तनाव हार्मोन, में कमी से समग्र जीवन संतुष्टि बढ़ाने तक लाभों की व्यापक श्रृंखला प्रदर्शित की है।
उत्पत्ति और लाभयोग कार्यक्रम
शरीर और मन का मिलन योग है।
मेरा ऊर्जा का स्तर बढ़ गया था, और सबसे अहम तो मुझे एक यन्त्र मिल गया जो कि नकारात्मक्ता को मेरे शारीरिक प्रणाली से साफ कर सकती है। जब मेरा…
शशांक दीक्षित, 40
आई टी सुरक्षा विशेषज्ञ
सबसे बढ़िया बात तो ये है कि मैं कम समय में ज्यादा उपलब्धि पाने मे समर्थ रहा और वो कर पाया जो मैं हमेशा करना चाहता था। मैं अपने काम…
अमन के लोहिया, 35
सोफ्टवेयर प्रोफेशनल
सुदर्शन क्रिया के बाद, मैं बहु-आयामी हो चला हूँ । मेरा नियोजन और समन्वय का कौशल बहुत अच्छा हो गया। इसने विभिन्न लोगों और परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करने में…
सौरभ पॉल
इंजिनीयर और तबला वादक
मै सोचा करती थी कि उदास रहना साधारण बात है, लेकिन सुदर्शन क्रिया के अभ्यास के बाद मेरा नाम ही बदल कर "खुशी" कर दिया गया। अब खुशी ही मेरे…
शैलजा, 38
आई टी प्रोफेशनल, प्रशिक्षक
संस्थापक, आर्ट ऑफ लिविंग
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी एक वैश्विक मानवतावादी, आध्यात्मिक गुरु और शांति दूत हैं। मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के माध्यम से गुरुदेव के व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण ने 180 से अधिक देशों में 50 करोड़ से अधिक लोगों के जीवन का उत्थान कर एक वैश्विक आंदोलन को प्रज्वलित किया है।
जीवनीमै कार्यक्रम मे शामिल होना चाहता हूँ लेकिन ......
क्या ध्यान 60 वर्षों से ऊपर के लोगो के लिए नहीं है?
अगर आप ध्यान, जो लाभ हमारे जीवन में लाता है, की तरफ देखें तो इसे प्रसंगोचित पाएंगे। प्राचीन समय मे ध्यान को ज्ञानोदय के लिये आत्मा की खोज का जरिया समझा जाता था। ध्यान, दुखों और समस्याओं पर जीत प्राप्त करने का तरीका था। यह स्वयं की क्षमताओं को विकसित करने का मार्ग था।
अगर आप चाहे तो ज्ञानोदय को अलग रखें। आज का तनाव और चिंता, ध्यान की दरकार रखता है। अगर आप ज्यादा जिम्मेदारियां उठा रहे है तो ज्यादा ध्यान की जरुरत है। आप पर जितनी ज्यादा जिम्मेदारियां और महत्वकांक्षा उतनी ही ज्यादा जरुरत ध्यान की।
अगर आपके पास करने को कुछ नहीं है तो शायद आपको ध्यान करने की उतनी ज्यादा जरूरत नहीं है। जितने ज्यादा व्यस्त आप, उतना कम समय आपके पास और उतनी ज्यादा इच्छाएं और महत्वाकाक्षाएं होगी आपके पास - उतनी ही ज्यादा आपको आवश्यकता होगी ध्यान की। क्योंकी ध्यान न केवल तनाव और थकान से राहत देगा, बल्कि आपकी क्षमताओं को चमकाएगा, आपके स्नायु तंत्र को और मन को भी मजबूत करेगा । यह न केवल शरीर से विषैले तत्व बाहर करते हुए तनाव और चिन्ताओं को दूर करेगा और मन को आराम देगा, बल्कि ये आपको ज्यादा सक्षम, आपको हर प्रकार से उन्नत करेगा। आपको और क्या चाहिए? अगर आप प्रसन्न और स्वस्थ रहना चाहते है, आपको ध्यान मे बैठना पडेगा!
मै पर्याप्त रुप से लचकदार नहीं हूं ।
आर्ट ऑफ लिविंग प्रदत्त कोर्सेस का लाभ पाने के लिए आपको सिर के बल खडे होने के लिये सक्षम होने की आअवश्यकता नही है!
यहां सिखाए जाने वाले श्वसन तकनीकें और ध्यान तकनीकों के लिए कोई विशेष कौशल की जरुरत नहीं है और विश्व भर में 5 वर्ष से 90 वर्ष तक के लाखों लोगो द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है।
मैं अभी बहुत व्यस्त हूं
इन कार्यक्रमों का सृजन किसने किया?
1982 मे शिमोगा, भारत मे सुदर्शन क्रिया(टी एम) अस्तित्व में आई जब गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर, अब विश्व भर मे एक वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक मार्गदर्शक, दस दिवसीय कालावधी के लिए मौन मे गए। उन्हीं के शब्दो मे :
"मैं पहले ही दुनिया भर मे यात्रा कर चुका हूं। मैंने योगा और ध्यान सिखाया। लेकिन मैं चिन्तित था कि कैसे लोगों को प्रसन्न जीवन देने मे मदद करुं। मैंने महसूस किया कुछ तो अभाव है। वैसे लोग अपनी साधना कर ही रहे थे, उनका जीवन खंडो में था, वे बहुत भिन्न थे जब वे अपनी अपनी जिन्दगियों से बाहर निकले। तो मैंने सोचा कि कैसे आंतरिक मौन और बाह्य अभिव्यक्ति के अन्तर को मिटाये।
इस मौन के दस दिवसीय कालावधी के दौरान सुदर्शन क्रिया एक प्रेरणा बनकर प्रकट हुआ। प्रकृति को पता है कि क्या देना है और कब देना है। जब मैं मौन से बाहर आया, मैं जो भी जानता था, सिखाना शुरु किया और लोगों को बहुत बढ़िया अनुभूतियां होने लगी। "
- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
तब से सुदर्शन क्रिया(टी एम) - एक शक्तिशाली, लयात्मक श्वसन तकनीक सभी आर्ट ऑफ लिविंग कोर्सेस की आधारशिला बनी हुई है। श्री श्री रवि शंकर ने सबसे पहला कोर्स शिमोगा में सिखाया। श्री श्री रवि शंकर ने प्राचीन ज्ञान को इस आधुनिक समय में काफी यथार्थ बनाया और पिछले चार दशकों में योग, प्राणायाम और ध्यान को लोगों के दैनिक जीवन मे सूत्रपात किया।
मुझे इसके परिणाम कब तक मिलने लगेंगे?
आप इसका शुल्क क्यों लेते हैं?
आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रम महंगे नहीं होते। जब कार्यक्रम आयोजित किये जाते है तब ये खर्च होते है। स्वयं सेवकों को हॉल, अन्य सामग्री किराये से लेनी पड़ती है। इसीलिये, एक प्रतिशत कार्यक्रम के लिये योगदान, कार्यक्रम पर खर्च किये जाते है। बाकि बची हुई राशी भारत मे सर्वत्र सेवा प्रकल्पों को जाती है।
साथ ही, अगर आप कार्यक्रम को मुफ्त मे प्रदान करेंगे तो इसको कोई अहमियत नहीं देगा। लोग बैठकर सीखने की जिम्मेदारी नहीं लेंगे।
जीवन परिवर्तन करने वाला एक अनुभव
हम ध्यान रखते हैं, हम साझा करते हैं
आर्ट ऑफ लिविंग का सामाजिक प्रभाव
अपनी जड़ें मजबूत करें, अपना दृष्टिकोण विस्तृत करें और मानवता की सेवा करें, यह आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्निहित सिद्धांत हैं। बाल शिक्षा से नदियों के पुनर्जीवन तक, कीटनाशक मुक्त खेती से व्यापार में नैतिकता तक, युद्ध वियोजन से आपदा राहत तक, आर्ट ऑफ लिविंग भारत और दुनिया भर के लोगों के लिए मानवता की सेवा करने का एक मंच बन गया है।
अधिक जानेंज्ञान
प्रेम के साथ ज्ञान परमानन्द है। ज्ञानरहित प्रेम दुख: है।