योग के बारे में (yoga)

जलनेति करें और नासिका सम्बंधित रोगों से रहें मुक्त

जलनेति एक तकनीक है, जिसे योगी बीमारियों से मुक्त रहने और मुख्य रूप से अपने योग अभ्यासों में बिना किसी अवरोध के श्वास लेने के लिए प्रयोग करते थे। जिस प्रकार से दांतों को साफ करने से दांत स्वच्छ रहते हैं, उसी प्रकार से जलनेति का अभ्यास करने से नासिका स्वच्छ रहती है। इस तकनीक में शुद्धिकरण के लिए पानी का प्रयोग किया जाता है और नासिका से लेकर गले तक के मार्ग को स्वच्छ किया जाता है।

जलनेति छः शुद्धिकरण प्रक्रियाओं या षटकर्मों में से एक है, जिनका वर्णन हठयोग प्रदीपिका में किया गया है।

जलनेति करने के लिए आपको किस चीज की आवश्यकता है?

  • जलनेति का पॉट
  • चुटकी भर नमक
  • गुनगुना पानी

जलनेति का पॉट सामान्यतः छोटा और एक ओर से लंबी गर्दन वाला होता है, जो इतना छोटा होता है कि प्रक्रिया के दौरान वह नासिका में सरलता से चला जाता है।

 

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जलनेति से लाभ

  • प्रतिदिन इसका अभ्यास करने से नासिका स्वच्छ रहती है और नासिका में मौजूद श्लेष्मा के साथ ही धूल और बैक्टीरिया के कण निकल जाते हैं।
  • यह नासिका में मौजूद संवेदनशील तंतुओं को कोमलता प्रदान करते हैं, जिनके कारण एलर्जी हो जाती है।
  • यह अस्थमा में बहुत लाभदायक है और श्वास लेने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
  • यह टिनिटस और मध्य कान के संक्रमण को कम करता है।
  • यह सायनस या माइग्रेन के दर्द की रोकथाम करता है।
  • यह ऊपरी श्वसन संबंधी समस्याओं, जैसे - गला खराब होना,टॉन्सिल और सूखे कफ को दूर करता है।
  • यह आंख की नलियों को साफ करता है और दृष्टि में सुधार करता है।
  • नासिका मार्ग स्वच्छ होने से गंध लेने की क्षमता में सुधार होता है और फिर इससे पाचन भी सुधरता है।
  • यह तंत्रिका तंत्र और मन को शांति प्रदान करता है। यह तनाव से छुटकारा दिलाने और मन में स्पष्टता लाने में भी मदद करता है।
  • जलनेति के निरंतर अभ्यास से लोगों ने यह अनुभव किया कि उनके क्रोध में कमी आयी है।
  • इससे आपके ध्यान की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

जलनेति में सावधानियां

  • प्रक्रिया के पश्चात नासिका भलीभांति सूख जानी चाहिए।
  • नासिका को सुखाते समय उच्च रक्त चाप वाले लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।नासिका को सुखाते समय यदि किसी को चक्कर आने लगें,तो उसे सीधे खड़े होकर यह प्रक्रिया करनी चाहिए।
  • इस बात का ध्यान रखिए कि नासिका के मार्ग में बिल्कुल भी पानी ना रह जाए,अन्यथा इसके कारण संक्रमण हो सकता है।
  • किसी अन्य योग अभ्यास की भांति इसे भी एक प्रशिक्षित अभ्यासकर्ता से सीखें।
  • जलनेति नासिका के मार्ग की सफाई से परे है और यह आपके शरीर,मन और आत्मा में एकत्व लाने में मदद करती है। इसीलिए, इसका अभ्यास केवल नासिका में अवरोध या ठंड लग जाने पर ही नहीं, बल्कि प्रतिदिन करना चाहिए।

डॉ सेजल शाह, एक डॉक्टर और श्री श्री योग विशेषज्ञ कहती हैं," जलनेति के विवरण से हतोत्साहित ना हों। यह इतना कठिन नहीं है,जितना कि लग रहा है। सामान्यतः जब लोग जलनेति के बारे में सुनते हैं,तो उनकी पहली प्रतिक्रिया होती है - मैं अपनी नाक में पानी कैसे डाल सकता हूं? लेकिन,जब एक बार वे इस प्रक्रिया को कर लेते हैं, तब वही लोग आकर कहते हैं - यह बहुत सरल और अद्भुत है! मेरे सभी विद्यार्थियों के साथ मेरा यही अनुभव रहा है।"

श्री श्री योग लेवल २ प्रोग्राम में जलनेति का अभ्यास करना सीखें।

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