संस्कृति

रंगों का त्यौहार : होली

होली क्या है?

भारत में, होली हिन्दू वर्ष की अंतिम पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली के बाद आने वाली पूर्णिमा नए वर्ष की होती है । इसलिए नए वर्ष से पहले पुरानी वस्तुओं को  आग में जलाकर रंगों से होली खेलने की परंपरा है।

इसका एक निहितार्थ यह भी है कि नया वर्ष शुरू करने से पूर्व जो कुछ भी सुखद असुखद घटा उसको अग्नि को समर्पित करके नए सिरे से शुरुवात हो | इसीलिए कहते हैं, दोस्ती दुश्मनी सब भूल कर होली का उत्सव मनाएं और बिना किसी राग, द्वेष के नए साल की शुरुआत करें |

होली रंगों का त्यौहार है। सदियों से, यह त्यौहार सभी वर्गों, जातियों, आयु समूहों और पीढ़ियों के लोगों को एकजुट करता रहाहै। होली के उपलक्ष्य में हर कोई एक साथ आता है और मानवता की एकता का उत्सव मनाता है | यही होली का संदेश है।

यदि आप एक कमरे में कई अलग-अलग पृष्ठभूमि के बच्चों को स्वतंत्र छोड़ दें तो आप जानते हैं कि वे क्या करेंगे ? वे बिना किसी भेद-भाव के आपस में मिल-जुल कर खेलने लगेंगे। इसी तरह, होली एक ऐसा त्यौहार है जो विविध पृष्ठभूमि और व्यवसायों के लोगों को एकजुट करता है।

समाज लोगों को विभाजित करता है, कभी पेशे के आधार पर, कभी लिंग के आधार पर, कभी आयु वर्ग के आधार पर। होली वह समय है जब हम लिंग, राष्ट्रीयता, नस्ल और धर्म के इन सभी अवरोधों को तोड़ते हैं - बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, आप सभी को गले लगाते हैं और उन पर रंग डालते हैं। यह एक पूरे समाज को एकीकृत करने का उत्सव है।

होली की तरह, जीवन भी होना चाहिए रंगीन

होली की तरह ही हमारा जीवन भी रंगीन होना चाहिए, उबाऊ नहीं। जब प्रत्येक रंग को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त होता है, तो उसमे एक अनोखी सुन्दरता होती है। जब सभी रंग मिश्रित हो जाते हैं, तो वहाँ काला रंग बन कर तैयार हो जाता है और  किसी भी रंग का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रह पाता । इसी तरह, हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में, हम विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं। जीवन में प्रत्येक भूमिका और भावना को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने की आवश्यकता है। अलग-अलग भावनाओं की कुशल अभिव्यक्ति, जीवन में बड़ी से बड़ी समस्या से निपटने में अहम् भूमिका निभाती है|

मान लीजिये कि आप एक पिता हैं तो आपको एक पिता की भूमिका निभानी होगी। लेकिन आप कार्यस्थल की भूमिका के स्थान  पर तो पिता की भूमिका नहीं निभा सकते| वहाँ आपको एक कर्मचारी की भूमिका निभानी होती है । जब आप अपने जीवन की अलग-अलग भूमिकाओं को एक में मिला देते हैं, तो आप गलतियाँ करने लगते हैं। इसीलिए जीवन के किसी विशेष समय पर आप जिस भी भूमिका में हों उसे 100% निभाएं|

अज्ञानता में, कई बार अत्यधिक भावनात्मक होना एक समस्या बन जाता है लेकिन ज्ञान में, वही भावनाएं जीवन को रंगीन बना देती हैं । अपने आप को बताएं कि आप अपनी सभी भूमिकाओं के साथ न्याय करेंगे। आप सभी भूमिकाएँ निभा सकते हैं: एक अच्छा जीवनसाथी, अच्छी संतान, अच्छे माता-पिता और एक अच्छा नागरिक। मान लें कि आप में ये सभी गुण हैं। और बस उन्हें खिलने दें ।

होलिका जलाने का महत्व

मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि होलिका में जलाई जाने वाली  अलाव का आने वाले मानसून पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। तो होली से एक दिन पहले जगह – जगह होलिका जलाई जाती है |

हिरन्यकश्यप और प्रहलाद की कहानी

होली के त्यौहार के विषय में एक किम्वदंती प्रचलित है | एक समय में एक युवा बालक था, जिसका नाम प्रहलाद था | प्रहलाद भगवान विष्णु  का  बहुत बड़ा भक्त  था, लेकिन उसके पिता नास्तिक थे। उसके पिता हिरन्यकश्यप एक बहुत ही अहंकारी और क्रूर राजा थे और वह अपने पुत्र को सबक सिखाना चाहते थे क्योंकि उन्हें दुख था कि पुत्र उनका स्वामित्व स्वीकार करने की बजाय भगवान विष्णु के नाम का प्रचार कर रहा था।

उन्होंने अपने बेटे को बदलने के लिए कई तकनीकें अपनायीं लेकिन प्रहलाद अपनी अनन्य भक्ति पर अटल रहा तो हिरन्यकश्यप ने निर्णय लिया कि वह प्रहलाद को मृत्युदंड देगा।

अनन्य भक्ति और निष्ठा की प्रतीक है होलिका दहन

ऐसा कहा जाता है कि हिरन्यकश्यप की बहन होलिका को ये वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती | इसलिए हिरन्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को कहा कि वह प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए । वरदान के अनुरूप इस तरह से प्रहलाद जल जाएगा और होलिका जीवित बच जाएगी | लेकिन जब वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठी तब वह स्वयं ही जल गयी और छोटा प्रहलाद सुरक्षित निकल आया | प्रहलाद की भगवान विष्णु के प्रति अनन्य श्रध्दा ने उसे जीवित बचा लिया |

भारत के कुछ गाँवों में, लोग अग्नि-व्रत करते हैं वे नंगे पाँव अग्नि पर चलते हैं लेकिन उन्हें कोई नुक्सान नहीं होता है| उनके पैरों में एक भी छाला भी नहीं होता | विश्वास में बहुत शक्ति होती है | होलिका दहन के पीछे यही संदेश है।

इस वर्ष कब मनाई जाएगी होली

इस वर्ष होली 29 मार्च 2021 को मनाई जाएगी |

इस वर्ष होलिका कब जलायी जाएगी ?

इस वर्ष होलिका 28 मार्च 2021 को जलाई जाएगी !

 

इस होली पर  अपने जीवन में खुशियों के रंग लाइए | सुदर्शन क्रिया सीखिए और भीतर से खुशियों की होली मनाइए : https://www.artofliving.org/in-hi/online-meditation-breath-workshop

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