शीर्षासन क्या है?

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शीर्ष का अर्थ है, ‘सिर’’; शीर्षासन – सिर के बल किए जाने वाला आसन।

शीर्षासन सभी योगासनों का राजा है क्योंकि इस आसन में शरीर को सिर पर टिका कर संतुलित करना होता है। यह एक अग्रिम स्तर का योगासन है और इसे किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। इस आसन से होने वाले अनेक प्रकार के लाभों के कारण यह आसन अति लोकप्रिय भी है। यह शरीर में रक्त संचार की गति को तीव्र करता है तथा मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन से भरपूर रक्त का प्रवाह भी सुनिश्चित करता है।

शीर्षासन करने की विधि:

  1. अपनी टी शर्ट को अच्छे से ट्रैक पैंट के अंदर कर लें, ताकि जब आप उल्टे हों, तो यह आपको परेशान न करे।
  2. यदि आपने चश्मा, अँगूठियाँ, चूड़ियाँ या घड़ी पहनी हैं, तो आसन में बैठने से पहले ही उन्हें उतार दें। उन्हें अपनी योग चटाई से पर्याप्त दूरी पर सुरक्षित रख दें, ताकि संतुलन बिगड़ने की दशा में आप उनमें से ही किसी पर न गिरें। अपने पालतू जानवरों को भी दूर रखें।
  3. वज्रासन में बैठ जाएँ और दोनों हाथों की उँगलियों को एक दूसरे में फंसाकर, दोनों बाहों की कलाईयों को जोड़ कर भूमि पर टिकाते हुए आगे की ओर झुक जाएँ।
  4. अब आपका सिर और हाथ जमीन पर एक त्रिकोण बना रहे हैं।
  5. अपने सिर के शीर्ष भाग को आपस में फंसी हुई उँगलियों के बीच रख दें।
  6. धीरे धीरे सिर को उँगलियों पर संतुलित करें।
  7. अपने घुटनों और नितम्बों को फर्श से ऊपर उठाएँ और उन्हें सीधा करें।
  8. धीरे धीरे पैरों को भी अपने धड़ के समीप लाएँ।
  9. अब स्वयं को फर्श से ऊपर उठाने के लिए तैयार हो जाएँ। घुटनों को मोड़ें, दोनों पाँव की एड़ियों को कूल्हों के समीप लाएँ और धीरे धीरे कूल्हों को इस प्रकार सीधा करें कि दोनों जघाएँ फर्श से लंबरूप (90०) में हों।
  10. अब धीरे धीरे घुटनों और पिंडलियों को भी सीधा करें ताकि पूरा शरीर सीधा एक रेखा में खड़ा हो जाए। आपके पाँव विश्राम स्थिति में हों।
  11. अपने शरीर को इस मुद्रा में संतुलित करें और आसन को कुछ सेकंड अथवा जब तक आपको सुविधाजनक हो, तब तक बनाए रखें। अग्रिम स्तर के योग अभ्यर्थी इस आसन को एक मिनट से लेकर कम से कम पाँच मिनट तक बनाए रख सकते हैं।
  12. अपना सारा ध्यान श्वास पर तथा सिर पर बनाए रखें।
  13. वापिस आते हुए उपरोक्त अवस्थाओं को विपरीत क्रम में करें।
  14. धीरे धीरे टाँगों को मोड़ें और जंघाओं को लंबरूप में लाएँ।
  15. धीरे से टाँगों को जमीन पर टिका दें।
  16. उल्टी दशा में रहने के कारण पुनः शरीर को संतुलन में लाने के लिए कुछ समय तक शिशुआसन में विश्राम करें।
  17. अब हाथों को खोलें और वज्रासन में बैठ जाएँ।
  18. तत्पश्चात् कुछ मिनट के लिए शवासन में विश्राम करें।

शीर्षासन वीडियो

नए अभ्यर्थियों के लिए शीर्षासन

मकर अधोमुख शवासन अथवा डॉलफिन प्लैंक मुद्रा फलकासन अथवा ऊँचा प्लैंक मुद्रा अधोमुख श्वान आसन अथवा नीचे मुख किए हुए कुत्ते जैसा आसन एकपाद शीर्षासन अथवा एक टाँग पर शीर्षासन दीवार के सहारे शीर्षासन।

यदि आपने अभी थोड़े समय से ही योगाभ्यास करना आरंभ किया है तो यह आवश्यक है कि आप नीचे दिए गए सूक्तों को भली भाँति समझ कर उनका पालन करें :

  • यह सुनिश्चित करें कि जब आप शीर्षासन कर रहे हों तो आपके निकट कोई प्रशिक्षित योग शिक्षक उपस्थित है।
  • संतुलन करने वाले आसन में स्थिरता के लिए किसी दीवार अथवा अन्य सहारे के साथ करना उत्तम होता है।
  • ऊपर दिए गए आठवें पद के पश्चात अपनी टाँगों को फर्श से एक एक कर ऊपर उठाएँ। इसी प्रकार वापस आते हुए भी एक समय में एक टाँग को ही नीचे लाएँ।
  • आरंभ में यह आसन केवल कुछ सेकंड के लिए ही करें और धीरे धीरे अपनी सुविधा का ध्यान रखते हुए अपनी सहनशक्ति और समय बढ़ाते जाएँ।

शीर्षासन करने के लाभ

  • यह सजगता लाता है।
  • सिद्ध आसन (शीर्षासन) पूरे शरीर और मन में संतुलन बनाने में सहायता करता है।
  • एकाग्रता लाने और उसे बढ़ाने में सहायक है। जब एकाग्रता केंद्रित और अविभाजित होती है, तो ध्यान लगने लगता है।

योग एक निरंतर की जाने वाली प्रक्रिया है, इसलिए इसका नित्य अभ्यास करते रहें! अपने योगाभ्यास में जितना गहरा आप जाएँगे, उसका उतना ही गहरा सकारात्मक प्रभाव आएगा। शीर्षासन अभ्यास का आनन्द लें और अधिकतम लाभ के लिए इसके सभी चरणों/ पदों में निपुणता प्राप्त करें!

ध्यान रहे, योगाभ्यास करने से शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर अनेक लाभकारी प्रभाव पड़ते हैं किंतु यह किसी भी उपचार पद्यति का विकल्प नहीं है। यदि आपको किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श कर के किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में ही योग आसन सीखें।

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