ऋषि वशिष्ठ को भारतवर्ष के सबसे सम्मानीय संतो में से माना जाता है। ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषि मंडल के एक ऋषि हैं। वे ऋग्वेद मंडल के सबसे प्रधान व मुख्य लेखक भी हैं।

ऋषि वशिष्ठ के पास एक गाय थी जिसका नाम कामधेनु था। उस गाय का एक बछड़ा था जिसका नाम नन्दिनी था। उस गाय के पास दैविक शक्तियाँ थी और उसने ऋषि वशिष्ठ को बहुत धनवान बना दिया था। इसलिए वशिष्ठ का वास्तविक अर्थ धनवान है।

यह आसन शरीर के ऊपरी हिस्से (छाती, पेट और कंधे) को मज़बूत बनाता है और उसमे स्थिरता लाता है।

 वशिष्ठासन करने की प्रक्रिया

  1. दंडासन में आ जाएँ।
  2. धीरे से अपने शरीर का सारा वज़न अपने दाएँ हाथ और पैर पर रखें। ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि आपका बहिना हाथ और पैर हवा में झूल रहे है।
  3. अपने बाहिने पैर को दाहिने पैर पर रखें और बाहिने हाथ को अपने कूल्ह पर रखें।
  4. आपका दाहिना हाथ आपके कंधे के साथ होना चाहिए। ध्यान दे की वह आपके कंधे के नीचे न हो।
  5. ध्यान दें कि आपके हाथ ज़मीन को दबाएँ और आपके हाथ एक सीध में हो।
  6. साँस अंदर लेते हुए अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाएँ। ऐसा प्रतीत होना चाहिए की आपका हाथ ज़मीन पर सीधा खड़ा हुआ है।
  7. अपनी गर्दन को अपने उठे हुए हाथ की तरफ मोड़ें और साँस अंदर और बहार करते हुए अपनी हाथों की उँगलियों को देखें।
  8. साँस छोड़ते हुए अपने हाथ को नीचे ले आएँ।
  9. धीरे से दंडासन में आ जाएँ और अंदर-बहार जाती हुई साँस के साथ विश्राम करें।
  10. यही प्रक्रिया दुसरे हाथ के साथ दोहराएँ।

वशिष्ठासन के लाभ

  • हाथों, कलाई व पैरों की मासपेशियों को मजबूत बनाता है।
  • पेट की मासपेशियों को मजबूत बनाता है।
  • शरीर में स्थिरता बनाता है।

निषेध

जिन लोगो को कलाई में कभी भी चोट लगी हो, वो यह आसन न करें। यदि किसी को कंधे अथवा कोहनी में चोट लगी हो, वो भी यह आसन न करें।

सभी योगासन
पिछला योगासन: ऊर्ध्व मुख श्वानासन
अगला योगासन: अधोमुख श्वानासन

    Hold On! You’re about to miss…

    The Grand Celebration: ANAND UTSAV 2025 

    Pan-India Happiness Program

    Learn Sudarshan Kriya™| Meet Gurudev Sri Sri Ravi Shankar Live

    Beat Stress | Experience Unlimited Joy

    Fill out the form below to know more:

    *
    *
    *
    *