महाशिवरात्रि का उत्सव मनाने के पीछे केवल एक ही उद्देश्य है- आपके शरीर में मौजूद हर एक कण को जीवन्त करना। उत्सव के माध्यम से आपको यह याद दिलाया जाता है सभी तरह के संघर्ष का त्याग करें, सत्य, सुंदरता, शांति और परोपकार के पथ पर चलें – जो कि शिव के ही गुण हैं।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

महाशिवरात्रि के पर्व पर हम शिव जी की उपासना करते हैं। भक्तजन सारी रात जागकर इस शुभ प्रहर में शिवरात्रि का उत्सव मनाते हैं। यज्ञ, वेद मंत्रों के उच्चारण, साधना और ध्यान के माध्यम से वातावरण में दिव्यता की अनुभूति होती है। इन पवित्र क्रियाकलापों के माध्यम से आप स्वयं के साथ और पूरी सृष्टि के साथ एकरस हो जाते हैं।

जहाँ एक ओर शिव जी के बारे में ढेरों कहानियाँ एवं किम्वदंतियाँ प्रचलित हैं और इनका अपना भी महत्व है, वहीं गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर महाशिवरात्रि की महत्ता के ऊपर प्रकाश डालते हुए कहते हैं।

शिव कोई पुरुष नहीं है अपितु वह उर्जा शक्ति है जिसमें संपूर्ण ब्रह्मांड वास करता है और हर जीव के भीतर इस ऊर्जा का निवास है। इसी उर्जा को शिव तत्व कहते हैं।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

महाशिवरात्रि का अर्थ

“रात्रि” का अर्थ है – रात या विश्राम करने का समय। महाशिवरात्रि के समय, हम अपनी चेतना में विश्राम करते हैं। यह समय है अपनी अंतरात्मा और चेतना के साथ उत्सव मानाने का, महाशिवरात्रि के दिन साधना के माध्यम से हम दिव्य चेतना की शरण में चले जाते हैं। दिव्य चेतना की शरण में जाने के दो तरीके हैं – ध्यान (साधना) और समर्पण। समर्पण अर्थात् यह विश्वास रखना कि कोई शक्ति है जो हर पल, हर घड़ी हमारा ख्याल रख रही है और हमारी रक्षा भी कर रही है। साधना और समर्पण के माध्यम से हमारे भीतर शांति रहती है जिससे महाशिवरात्रि का सार अनुभव करने में हमें मदद प्राप्त होती है।

भगवान शिव के प्रतीक

भगवान शिव हर जगह व्याप्त हैं। हमारी आत्मा में और शिव में कोई अंतर नहीं है। इसलिए यह भजन भी गाते हैं, “शिवोहम शिवोहम…” मैं शिव स्वरुप हूँ। शिव सत्य के, सौंदर्य के और अनंतता के प्रतीक हैं। हमारी आत्मा का सार हैं शिव। हमारे होने का प्रतीक हैं शिव। जब हम भगवान शिव की पूजा करते हैं तो उस समय हम, हमारे भीतर उपस्थित दिव्य गुणों को सम्मान कर रहे होते हैं।

शिव तत्व

महाशिवरात्रि, शिव तत्त्व का उत्सव मनाने का दिन है। इस दिन सभी साधक और भक्त मिलकर उत्सव मनाते हैं। शिव तत्व यानी वह सिद्धांत या सत्य जो हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है। यह वही परम सत्य है जिसकी हम खोज कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि साधना, शरीर, मन और अहंकार के लिए गहन विश्राम का समय है। जो भक्त को परम ज्ञान के प्रति जागृत करता है।

महाशिवरात्रि और साधना का महत्व

यदि आपको इस भौतिक जगत के पार जाना है तो अनासक्ति और साधना के माध्यम से ही जाया जा सकता है। हमारे अस्तित्व के कई आयाम हैं। जिन्होंने भी इस सृष्टि के सूक्ष्म स्तर में प्रवेश पाया है, उनके अनुभव में यही आया है कि शिव नित्य निरंतर गतिमान हैं। इसका आनंद यदि आपको लेना हो तो शरीर, मन, बुद्धि, चित और अहंकार के परे जाना ही होगा।

महाशिवरात्रि और साधना

भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, एक वर्ष में कुछ विशेष समय और दिन होते हैं जो आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान करने के लिए अनुकूल माने जाते हैं। महाशिवरात्रि उन्ही में से एक है। ध्यान, आपको मन और बुद्धि के परे ले जाता है। ध्यान के दौरान एक ऐसा बिंदु आता है जहाँ हम ‘अनंत’ में प्रवेश कर जाते हैं; यह वो अनंत है जहाँ ‘प्रेम’ भी है और ‘शून्यता’ भी। यह अनुभव हमें चेतना के चौथे स्तर पर ले जाता है, जिसे “शिव” कहते हैं।

एक साधक के लिए शिवरात्रि का महत्व

ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन, शिव तत्व का पृथ्वी संपर्क से होता है। ऐसा कहा जाता है कि हमारी चेतना और हमारा आभामंडल भौतिक स्तर से कुछ 10 इंच ऊपर होता है और महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्माण्डीय चेतना पृथ्वी तत्व को छूती है। मौन में रहने का या अपनी चेतना के साथ रहने का यह सब से उत्तम समय होता है। इसलिए महाशिवरात्रि का उत्सव साधक के जीवन में विशेष महत्व रखता है। यह भौतिकता और अध्यात्म के विवाह का समय है।

    Hold On! You’re about to miss…

    The Grand Celebration: ANAND UTSAV 2025 

    Pan-India Happiness Program

    Learn Sudarshan Kriya™| Meet Gurudev Sri Sri Ravi Shankar Live

    Beat Stress | Experience Unlimited Joy

    Fill out the form below to know more:

    *
    *
    *
    *