पंच महाभूत स्थल – वे पाँच मंदिर जो भगवान शिव को समर्पित हैं

 

भगवान शिव के प्राचीन 5 मुख्य मंदिरों के बारे में जानें 

भगवान शिव की पूजा-आराधना संपूर्ण भारत में की जाती है। हालाँकि, दक्षिण भारत में भगवान शिव को पंच भूतों के अधिपति के रूप में पूजा जाता है। यहाँ भगवान शिव को भूताधिपति व भूतनाथ भी पुकारा जाता है।

न| म| शि| वा| य| - यह पाँच अक्षर पाँच तत्त्वों (जिनको संस्कृत में भूत भी कहा जाता है) – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का वर्णन करते हैं। इन पाँच तत्त्वों से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है और यह पाँच तत्त्व सब जगह व्याप्त हैं, यहाँ तक की मानव शरीर में भी इनका वास होता है। भगवान शिव इन पाँच तत्त्वों के अधिपति हैं।

भारत में एक पुरानी कहावत है – भगवान शिव की इच्छा के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता है। भगवान शिव के इन्हीं  स्वरूपों की पूजा इन पंच भूत स्थलों – भगवान शिव के प्राचीन पाँच मंदिरों में की जाती है। यह सभी प्रकृति के पाँच तत्त्वों की अभिव्यक्ति करते हैं। ये सभी मंदिर दक्षिण भारत में स्थित हैं और हर मंदिर की अपनी ही एक कहानी और आध्यात्मिक पहलू हैं।

अपने जीवन में आप इन पाँचों मन्दिरों का भ्रमण करें, उससे पहले तस्वीरों के माध्यम से एक छोटी सी यात्रा करते हैं।

पृथ्वी तत्त्व| कांचीपुरम, तमिलनाडु

यहाँ एकाम्बरेश्वर मंदिर में, मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा होती है जो पृथ्वी को अभिव्यक्त करता है। इनको पृथ्वी लिंगम के नाम से भी पुकारा जाता है। भगवान को एकाम्बरनाथ या एकाम्बेश्वर के नाम से भी पुकारा जाता है। जिसका अर्थ होता है आम के पेड़ का देवता और इसी से जुड़ी एक रोचक कहानी भी है।

एक बार, देवी पार्वती आम के पेड़ के नीचे गहन तप में विलीन थीं। देवी के तप की परीक्षा लेते हुए भगवान शिव ने देवी के तप को भंग करने की सोची और गंगा नदी की धारा वहाँ छोड़ी। देवी पार्वती ने गंगा जी से प्रार्थना की और कहा कि, “हम दोनों बहनें हैं , कृपया कर मुझे कोई हानि न पहुँचायें , तब गंगा जी ने उनका कहा माना और उनके तप को भंग नहीं किया। फिर देवी पार्वती ने भगवान शिव के स्मरण में वहीं आम के पेड़ के नीचे मिट्टी के शिवलिंग की स्थापना की, जिसे भगवान ने स्वीकार किया। यहाँ तक की, आज भी शिव लिंग को दूषित होने से बचाने के लिए, चमेली के तेल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है|

सारांश:-

भगवान को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष शिला से मूर्ति निर्माण की अवश्यकता नहीं है, अगर आपकी भक्ति में सच्चाई है तो केवल एक मुट्ठी रेत ही पर्याप्त है।

एकाम्बरेश्वर मंदिर से जुड़े 5 तथ्य

  1. यह भारत का दसवाँ सबसे बड़ा मंदिर है, जो 23 एकड़ क्षेत्र में फैला है।
  2. यहाँ 190 फीट का सबसे बड़ा गोपुरम (अलंकृत प्रवेश द्वार) है, जो की दक्षिण भारत में सबसे बड़ा है|
  3. पिछले 600 वर्षों से एकाम्बरेश्वर मंदिर अस्तित्व में है और यह भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है
  4. मंदिर के अंदर आम का एक वृक्ष है, ऐसा कहा जाता है कि इस वृक्ष का अस्तित्व पिछले 3000 वर्षों से है
  5. मंदिर के वास्तु-कला में बहुत से राजाओं ने योगदान किया है