कपालभाति प्राणायाम क्या है?

कपाल = मस्तक (सिर); भाति = चमकने वाला; प्राणायाम = सांस लेने की प्रक्रिया

यह एक ऊर्जा से परिपूर्ण (श्वांस के द्वारा किए जाने वाला) प्राणायाम है, जो वजन कम करने में मदद करता है और पूरे शरीर को संतुलित कर देता है।

कपालभाति प्राणायाम का महत्व (Significance of Kapalbhati in Hindi)

जब  कपालभाति प्राणायाम करते हैं तो शरीर से 80% विषैले तत्त्व बाहर जाती सांस के साथ निकल जाते हैं। कपालभाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से शरीर के सभी अंग विषैले तत्व से मुक्त हो जाते हैं। किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को उसके चमकते हुए माथे (मस्तक या सिर) से पहचाना जा सकता है। कपालभाति प्राणायाम की उचित व्याख्या है, “चमकने वाला मस्तक”। मस्तक पर तेज या चमक प्राप्त करना तभी संभव है जब आप प्रतिदिन इस प्राणायाम का अभ्यास करें। इसका तात्पर्य यह है कि आपका माथा केवल बाहर से नहीं चमकता परंतु यह प्राणायाम आपकी बुद्धि को भी स्वच्छ व तीक्ष्ण बनाता है।

डॉक्टर सेजल शाह, आर्ट ऑफ लिविंग योग प्रशिक्षक, कपालभाति प्राणायाम का महत्व बताते हुए कहती हैं।

कपालभाति प्राणायाम करने की विधि (Kapalbhati Steps)

  • रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएँ हाथों को आकाश की ओर, आराम से घुटनों पर रखें।
  • एक लंबी गहरी सांस अंदर लें।
  • सांस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे। पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे कि वह रीढ़ की हड्डी को छू ले। जितना हो सके उतना ही करें। पेट की मासपेशियों के सिकुड़ने को, पेट पर हाथ रख कर महसूस कर सकते हैं। नाभि को अंदर की ओर खींचे।
  • जैसे ही पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ते हैं , सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुँच जाती है।
  • कपालभाति प्राणायाम के एक क्रम (राउंड) को पूरा करने के लिए 20 सांस छोड़ें।
  • एक राउंड खत्म होने के पश्चात, विश्राम करें और आँखों को बंद कर लें। शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करें।
  • कपालभाति प्राणायाम के दो और क्रम (राउंड) को पूरा करें।

कपालभाति प्राणायाम वीडियो

4 सलाह जो आप कपालभाति प्राणायाम करते समय उपयोग कर सकते हैं

  • कपालभाति प्राणायाम करते समय, जोर से सांस को बाहर छोड़ें। ताकत के साथ सांस को बाहर की ओर फेंकें।
  • सांस लेने के लिए अधिक चिंता न करें। जैसे ही पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, अपने आप ही सांस लेने लग जाते हैं।
  • ध्यान बाहर जाती हुई सांस पर रखें।
  • इस प्राणायाम की प्रक्रिया को किसी भी आर्ट ऑफ़ लिविंग योग प्रशिक्षक से सीखें और फिर अपने घर पर इसका अभ्यास खाली पेट पर करें।

कपालभाति प्राणायाम के 8 लाभ (Kapalbhati ke fayde)

  • यह चयापचय प्रक्रिया को बढ़ाता है और वजन कम करने में मदद करता है।
  • नाड़ियों का शुद्धिकरण करता है।
  • पेट की मासपेशियों को सक्रिय करता है जो कि मधुमेह के रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  • रक्त परिसंचरण को ठीक करता है और चेहरे पर चमक बढ़ाता है।
  • पाचन क्रिया को अच्छा करता है और शरीर में पोषक तत्वों का संचरण करता है।
  • पेट की चर्बी भी अपने आप कम हो जाती है।
  • मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को ऊर्जान्वित करता है।
  • मन को शांत करता है।

कपालभाति प्राणायाम करते समय क्या नहीं करना चाहिए?

  • यदि आप हर्निया, मिर्गी, स्लिप डिस्क, कमर दर्द, अथवा स्टेंट के मरीज हैं तो यह प्राणायाम न करें। यदि आपकी कुछ समय पूर्व पेट की सर्जरी हुई है तब भी यह प्राणायाम न करें।
  • महिलाओं को यह प्राणायाम गर्भावस्था के दौरान अथवा उसके तुरंत बाद नहीं करना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान भी यह प्राणायाम नही करना चाहिए।
  • हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) के मरीजों को यह प्राणायाम किसी योग प्रशिक्षक के नेतृत्व में ही करना चाहिए।

योग, शरीर व मन का विकास करता है। इसके अनेक शारीरिक और मानसिक लाभ हैं परंतु इसका उपयोग किसी दवा आदि की जगह नहीं किया जा सकता। यह आवश्यक है कि आप यह योगासन किसी प्रशिक्षित श्री श्री योग शिक्षक के निर्देशानुसार ही सीखें और करें। यदि आपको कोई शारीरिक दुविधा है तो योगासन करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी भी श्री श्री योग शिक्षक से अवश्य संपर्क करें।

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