24 मार्च 2020, लॉकडाउन की घोषणा से मात्र चंद घंटे पहले, वापी, गुजरात में, 10 जोड़ी हाथ, बहुत जल्दी जल्दी, राशन के किट तैयार करने में जुटे थे।

“रविवार के जनता कर्फ्यू के पश्चात मुझे यह आभास हो गया था कि जल्द ही लंबी अवधि का लॉकडाउन लगने जा रहा है। इसलिए हमने दोपहर बाद से ही राशन के किट तैयार करने आरंभ कर दिए। उस दिन, रात के 1:00 बजे तक हम औद्योगिक तथा निर्माण कार्य में लगे 300 मजदूरों में राशन किट वितरित कर चुके थे”, यह कहना है एक स्वयंसेवक का।

कोलकाता में स्वयंसेवकों की एक अन्य टीम लॉकडाउन की घोषणा होते ही हरकत में आ गई। “हमने पुलिस वालों और सड़क पर भोजन वितरण में लगे लड़कों को कोल्ड कॉफ़ी तथा भोजन बाँटना आरम्भ किया, क्योंकि उन लोगों को अचानक से ही लंबे समय तक कार्यरत होने की आवश्यकता थी” – उस शहर के एक स्वयंसेवक ने बताया।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर की प्रेरणा से प्रोत्साहित हो कर आर्ट ऑफ लिविंग के सैंकड़ों-हजारों की संख्या में स्वयंसेवक लॉकडाउन के कारण संकट में फंसे दिहाड़ी मजदूरों व अन्य पीड़ितों तक पहुँचे हैं। हमारा प्रयास मुख्यतः तैयार भोजन तथा राशन के किट बाँटने पर रहा है। हमारे स्वयंसेवक लॉकडाउन में चिंता और तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए एक निशुल्क हेल्पलाइन सेवा भी चला रहे हैं।

गुरुदेव ने इस कठिन समय में प्रत्येक व्यक्ति को आगे आकर, एक दूसरे की सहायता के लिए हर संभव प्रयास करने का आह्वान किया है। श्री दर्शक हाथी, प्रेसिडेंट, आई ए एच वी (IAHV) इंटरनेशनल, तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर, आर्ट ऑफ़ लिविंग के अनुसार, “आर्ट ऑफ़ लिविंग बिरादरी, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करते हुए, अपने अपने पास पड़ोस में लोगों तक पहुँच कर सामग्री और मानसिक राहत के रूप में सहायता कर रहे हैं।”

लॉकडाउन लगने के उपरांत से अब तक आर्ट ऑफ लिविंग ने,  अपने सहयोगी संगठन, इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वेल्यूज (IAHV) के साथ मिल कर देश भर में 500 टन राहत सामग्री उपलब्ध कराई है। राहत सामग्री के प्रत्येक किट में गेहूँ, चावल, दालें, खाना पकाने का तेल, नमक, मसाले तथा साबुन डाला गया है। स्वयंसेवक नॉवल कोरोनावायरस का प्रसार रोकने के बताए गए सख्त सुरक्षा निर्देशों का पालन सुनिश्चित करते हुए, विभिन्न गाँवों, कस्बों तथा शहरों में दिहाड़ी मजदूरों तक इन किटों को पहुँचा रहे हैं। अनेक स्थानों पर हमारे स्वयंसेवक तैयार भोजन भी उपलब्ध करा रहे हैं।

सेवा कार्य के आंकड़े

  • मुंबई: 2,00,000 मजदूर परिवारों को राशन के किट बांट कर सहायता।
  • गुजरात: 14,173 किट बांटे गए।
  • राजकोट, गुजरात: राजकोट म्युनिसिपल कारपोरेशन (नगर निगम ) को 4 टन गेहूँ का आटा और चावल दिया गया।
  • पंजाब: 9,000 परिवारों को राशन वितरित किया गया।
  • राजस्थान: 38 टन खाद्य सामग्री वितरित की गई।
  • पश्चिम बंगाल: 150,000 लोगों तक पहुंचे।
  • हिमाचल प्रदेश: 300 परिवार लाभान्वित हुए।
  • छत्तीसगढ़: 290 से अधिक परिवार लाभान्वित हुए।
  • जम्मू कश्मीर: 4,500 परिवार।
  • दिल्ली: 2.13 लाख प्रवासी मजदूरों को सहायता पहुंचाई गई।
  • तेलंगाना: 3,000 राशन किट वितरित।
  • असम: 2,441 परिवारों तक सहायता पहुंचाई गई।
  • बेंगुलूरु: बैंगलोर आश्रम द्वारा प्रतिदिन 5,000 पके हुए भोजन के पैकेट वितरित किए गए।
  • केरल: 12 टन सामग्री के ट्रक बाँटे गए।
  • Bihar: 1,275 परिवारों तक तैयार खाना पहुंचाया गया।
  • उड़ीसा: 70 टन राहत सामग्री वितरित की गई।

लोगों को आश्वस्त करना

लॉकडाउन की घोषणा के तीन दिन पश्चात, डर के मारे लाखों प्रवासी मजदरों का हजूम दिल्ली के आनंद विहार बस स्टेशन पर उमड़ पड़ा; जबकि बस सेवाओं सहित, सब गतिविधियाँ बंद थीं। दिल्ली के हमारे कई स्वयंसेवक मास्क पहन कर तुरंत उस बस स्टेशन पर पहुँचे और मजदूरों में अल्पाहार तथा मास्क बांटे। 

राजधानी के एक स्वयंसेवक के शब्दों में, “हमें पता था कि इतने सारे लोगों के एक साथ जमा होने से वह बस स्टेशन संक्रमण का बड़ा केंद्र बन सकता है। उनको मास्क बाँटना न्यूनतम आवश्यकता थी।”

हमारे स्वयंसेवकों ने मजदूरों को आश्वस्त भी किया कि लॉकडाउन में उन्हें भोजन और राशन उपलब्ध कराया जाएगा। दिल्ली के एक स्वयंसेवक के अनुसार, “हमने उन्हें रुकने को मनाने के प्रयास किए। उनमें से बहुत सारे तो रुक गए, जबकि बहुत से अन्य नहीं माने; और वे अपने मूल निवास की ओर पैदल ही निकल पड़े।”

लॉकडाउन की अवधि में दिल्ली की टीम के स्वयंसेवकों ने 2,13,000 प्रवासी मजदूरों, झुग्गी झोपड़ी के निवासियों तथा दिल्ली और इसके आस पास के ग्रामीणों में राशन के किट वितरित किए हैं। यह टीम लॉकडाउन की अवधि में प्रतिदिन 7,000 से  10,000 लोगों तक तैयार भोजन भी पहुंचा रही है।

चंडीगढ़ में स्वयंसेवकों ने दिहाड़ी मजदूरों के सामाजिक नेताओं को अपने फ़ोन नंबर दिए हैं ताकि किसी प्रकार की आवश्यकता के लिए वे उनसे संपर्क कर सकें। शहर के एक स्वयंसेवक के शब्दों में, “उनमें से बहुत से लोग अपने घर जाना चाहते थे, किंतु लॉकडाउन के कारण नहीं जा सके। हम उनकी चिंताओं और तनाव को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। भोजन से भी अधिक, उनको यह आश्वस्त करना आवश्यक है कि सहायता के लिए उनके पीछे कोई खड़ा है।”

सभी ओर से सहयोग

#स्टैंड विद ह्यूमैनिटी के बैनर तले आरम्भ किए गए सेवा प्रयास को कॉर्पोरेट सहयोगियों, सिनेमा जगत, सामाजिक संगठनों तथा सरकारी संस्थानों से भी सहयोग मिला है। कॉर्पोरेट सहयोगियों में कुछ नाम हैं, बोश, गेटवे डिस्ट्रीपार्क, मेट्रो, ग्लोबल इंश्योरेंस, स्क्रीन मैजिक सर्विस, फाइज़र, बी न वाय मेलों, शैफ़लर इंडिया, हीकल लिमिटेड, क्रिसिल, इनक्रेड फाइनेंशियल सर्विसेज, अदानी फाउंडेशन, जीवन बीमा निगम आदि।

सिनेमा जगत के कुछ लोकप्रिय कलाकारों ने भी इस पहल में अपना सहयोग देने का वादा किया है।

सरकार से भी जमीनी स्तर पर इस पहल के लिए समर्थन मिल रहा है; दिहाड़ी मजदूरों तक राशन किट तथा भोजन पहुँचाने में। दिल्ली, वड़ोदरा, मुंबई आदि सहित अनेक शहरों के नगर निगम, नगरपालिकाएँ तथा पुलिस विभाग भी सहायता और सहयोग के लिए आगे आए हैं।

अनेक गैर सरकारी संगठन भी साथ मिल कर इस उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं। जैसा कि रायपुर के एक स्वयंसेवक ने बताया, “हम दूसरे गैर सरकारी संगठनों के साथ मिल कर जरुरतमंद लोगों तक भोजन सामग्री ले कर पहुँच रहे हैं। यह एक ऐसा समय है जब हर कोई – सरकारी, गैर सरकारी संगठन, तथा नागरिक समाज, सब मिल कर, सहायता करने के लिए एक टीम के रूप में कार्यरत हैं।”

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