किसी कुर्सी पर बैठना; सुनने में अति सरल और आरामदेह लग सकता है। किंतु किसी काल्पनिक कुर्सी पर बैठना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है! और उत्कटासन अथवा कुर्सी आसन में हम ठीक यही करते हैं। उत्कटासन का शाब्दिक अर्थ है, गहन आसन या शक्तिशाली आसन।

उत्कटासन में कुछ लंबे समय के लिए स्थिर बने रहने के लिए हमें थोड़ी सी संकल्पशक्ति की आवश्यकता होती है। इस आसन को करने से पूर्व कृपया उसकी निषिद्धताओं और विरोधाभासों से अवगत अवश्य हो जाएँ।

उत्कटासन करने की प्रक्रिया

  1. अपने दोनों पैरों में थोड़ा अंतर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ।
  2. अपनी दोनों भुजाओं को सामने की ओर फैला लें। हथेलियाँ नीचे फर्श की ओर होनी चाहिएँ। कुहनियों को सीधा रखें, मोड़ें नहीं।
  3. अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए अपने वस्ति प्रदेश (श्रोणी क्षेत्र) को नीचे की ओर इस प्रकार लाएँ जैसे आप किसी काल्पनिक कुर्सी में बैठ रहे हों।
  4. इस मुद्रा में आराम से बने रहें या ऐसा समझते रहें ! कुर्सी पर बैठने के अपने अनुभव को अधिक उत्तम बनाने के लिए आप कोई काल्पनिक समाचारपत्र पढ़ सकते हैं अथवा अपने काल्पनिक लैपटॉप पर कुछ टाइप भी कर सकते हैं।
  5. सुनिश्चित करें कि आपके हाथ जमीन के समानांतर ही रहें।
  6. सजगता पूर्वक रीढ़ की हड्डी को ऊपर की ओर खींचते हुए, सीधे बैठे रहें और विश्राम करें।
  7. गहरी लंबी साँसें लेते छोड़ते रहें और देश विदेश की काल्पनिक खबरों का आनंद लेने के लिए समाचारपत्र के पृष्ठों को पलटते रहें।
  8. कुछ समय के पश्चात् धीरे धीरे नीचे जमीन की ओर आते जाएँ। किंतु ध्यान रखें कि आपके घुटने किसी भी स्थिति में पाँव के पंजों से आगे न जाएँ।
  9. अब धीरे धीरे नीचे आएँ और आराम से सुखासन में बैठ जाएँ। यदि आप चाहें तो अपनी पीठ के बल लेट कर विश्राम भी कर सकते हैं।

एक योग विशेषज्ञ द्वारा सुझाए गए कुछ सूत्र: पूरा समय अपनी मुस्कान बनाए रखें। यह आपको आसन में अधिक समय तक बने रहने में सहायता करेगा। योगाभ्यास में खड़े होकर किए जाने वाले सभी आसन करने के उपरांत कुर्सी आसन करना एक श्रेष्ठतर विचार है। तत्पश्चात् आप बैठ कर किए जाने वाले अथवा लेट कर किए जाने वाले आसन कर सकते हैं।

उत्कटासन करने के लाभ

  • रीढ़ की हड्डी, कूल्हों तथा छाती की माँसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है।
  • पीठ के निचले भाग और धड़ को सशक्त बनाता है।
  • जंघाओं, एड़ियों, टाँगों तथा घुटनों की माँसपेशियों को लचीला बनाता है।
  • शरीर को संतुलित करता है और मानसिक दृढ़ता में वृद्धि करता है।

निषेध

  • यदि आपके घुटनों में दर्द रहता है, आप गठिया रोग पीड़ित हैं, एड़ी में मोच है; घुटनों में कोई भी समस्या है अथवा लिगामेंट क्षतिग्रस्त हैं; सिर दर्द या अनिद्रा से पीड़ित हैं।
  • यदि आपको पीठ के निचले भाग में दर्द है अथवा महिलाओं में मासिक चक्र का समय है, तो इस आसन को धीरे धीरे करें और अपना विशेष ध्यान रखें।

खड़े हो कर किए जाने वाले सभी योगासन देखें

सभी योगासन
पिछला योगासन: गरूड़ासन
अगला योगासन: कोणासन

    Hold On! You’re about to miss…

    The Grand Celebration: ANAND UTSAV 2025 

    Pan-India Happiness Program

    Learn Sudarshan Kriya™| Meet Gurudev Sri Sri Ravi Shankar Live

    Beat Stress | Experience Unlimited Joy

    Fill out the form below to know more:

    *
    *
    *
    *