भुजंगासन क्या है?

भुजंगासन शब्द भुजंग से आया है जिसका अर्थ है साँप। यह आसन सूर्य नमस्कार के साथ साथ पद्म साधना में भी उपस्थित है।

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क्या आप अपने पेट को पतला करना चाहते हैं लेकिन जिम जाने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं? क्या आप अत्यधिक कार्यभार के कारण थका हुआ या तनावग्रस्त महसूस कर रहे हैं?

भुजंगासन इन और कई अन्य समस्याओं को हल करने का एक समाधान है, बस घर पर बैठे (या लेटकर)! भुजंगासन, एक ऐसी आसन है जिसे आप पेट के बल लेटकर करते हैं। यह आपके शरीर (विशेषकर पीठ) को अच्छा खिंचाव देता है, जिससे आपका तनाव लगभग तुरंत दूर हो जाता है!

भुजंगासन कैसे करें?

  1. अपने पेट के बल लेट जाएँ, अपने पैरों के अंगूठे जमीन पर सपाट रखें, तलवे ऊपर की ओर हों; माथा जमीन पर टिकाएँ।
  2. अपने पैरों को एक दूसरे के पास रखें, तथा अपने पैरों और एड़ियों को एक दूसरे से हल्के से स्पर्श करते रहें।
  3. दोनों हाथों को इस प्रकार रखें कि हथेलिययाँ आपके कंधों के नीचे जमीन को छू रही हों, तथा कोहनियाँ समानांतर तथा आपके धड़ के पास हों।
  4. गहरी साँस लेते हुए धीरे धीरे अपने सिर, छाती और पेट को ऊपर उठाएँ। अपनी नाभि को जमीन पर रखें।
  5. अपने हाथों के सहारे अपने धड़ को पीछे की ओर खींचकर फर्श से ऊपर उठाएँ। ध्यान रखें कि आप दोनों हथेलियों पर समान दबाव डाल रहे हैं।
  6. अपनी रीढ़ की हड्डी को एक एक कर के मोड़ते हुए सजगता से साँस लेते रहें। यदि संभव हो तो अपनी पीठ को जितना हो सके उतना झुकाकर अपनी भुजाओं को सीधा करें; अपने सिर को पीछे झुकाएँ और ऊपर देखें।
  7. ४-५ बार समान रूप से साँस लेते हुए इस मुद्रा को बनाए रखें।
  8. अब साँस छोड़ें और धीरे से अपने पेट, छाती और सिर को फर्श पर वापस लाएँ और विश्राम करें।
  9. ४-५ बार दोहराएँ।

भुजंगासन वीडियो

भुजंगासन के लाभ

  • दर्द से राहत पाने के लिए कंधों और गर्दन को खोलें
  • पेट को टोन करता है
  • संपूर्ण पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है
  • ऊपरी और मध्य पीठ के लचीलेपन में सुधार करता है
  • छाती को फैलाता है
  • रक्त परिसंचरण में सुधार करता है
  • थकान और तनाव कम करता है
  • अस्थमा जैसे श्वसन संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी

आवश्यक बातें

अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इस आसन को आदर्श शारीरिक स्थिति में करना सर्वोत्तम है।

  • सुनिश्चित करें कि आप इस आसन को अपने मुख्य भोजन के ४-५ घंटे बाद करें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आपको पेट के बल लेटने में कोई असुविधा न हो।
  • सुनिश्चित करें कि आपने अपनी भुजाओं, कंधों, गर्दन और पीठ को ढीला करने के लिए कुछ बुनियादी वार्म-अप और स्ट्रेचिंग व्यायाम किए हैं।
  • योगासन का अभ्यास सदैव सुबह के समय करना सर्वोत्तम होता है। हालाँकि, यदि आप ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो शाम को समय निकालें।

प्रारंभिक आसन

भुजंगासन तब अधिक सहज हो जाता है जब आप निम्नलिखित प्रारंभिक आसनों के साथ इसमें सहजता से शामिल हो जाते हैं:

  • अधोमुखश्वानासन
  • सलम्बा भुजंगासन

अब आप भुजंगासन का प्रयास कर सकते हैं। यह अत्यंत सरल है, विशेषकर इस चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका के साथ।

शुरुआती लोगों के लिए सुझाव

मुस्कुराते रहें और साँस लेते रहें। मुस्कुराते हुए साँप! यद्यपि भुजंगासन के अनेक लाभ हैं और लगभग सभी लोग इसे कर सकते हैं, फिर भी कुछ मामलों में इसे करने से बचने की सलाह दी जाती है।

  1. झटके और अधिक खिंचाव से बचें।
  2. आप सहज रूप से अपने कंधों को अपने कानों से दूर कर सकते हैं। उन्हें आराम की स्थिति में रखें, भले ही इसके लिए आपको अपनी कोहनियों को मोड़ना पड़े। नियमित अभ्यास से आप कोहनियों को सीधा कर के खिंचाव को गहरा कर सकेंगे।
  3. सुनिश्चित करें कि आपके पैर अभी भी एक दूसरे के करीब हों।
  4. इस मुद्रा को बनाए रखते हुए समान रूप से साँस लें।
  5. यदि आप गर्भवती हैं तो भुजंगासन का अभ्यास करने से बचें।
  6. यदि आपकी पसलियों या कलाई में फ्रैक्चर है या हाल ही में हर्निया जैसी पेट की सर्जरी हुई है तो इसका अभ्यास न करें।
  7. यदि आप कार्पल टनल सिंड्रोम से पीड़ित हैं तो भुजंगासन करने से बचें।
  8. अस्थमा के दौरे के दौरान इस योग मुद्रा का अभ्यास न करें।
  9. यदि आप अतीत में किसी दीर्घकालिक बीमारी या रीढ़ संबंधी विकार से पीड़ित रहे हैं तो किसी प्रशिक्षित प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में भुजंगासन का अभ्यास करें।

आदर्श रूप से, सभी योगासन किसी प्रशिक्षित शिक्षक के उचित मार्गदर्शन में ही किए जाने चाहिए। ऑनलाइन श्री श्री योग कार्यक्रम के साथ हमारे योग कार्यक्रमों का अन्वेषण करें।

योग का अभ्यास करने से शरीर और मन का विकास होता है, फिर भी यह दवा का विकल्प नहीं है। प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में योग सीखना और अभ्यास करना आवश्यक है। किसी भी चिकित्सीय स्थिति में, अपने चिकित्सक और श्री श्री योग शिक्षक से परामर्श के बाद ही योग का अभ्यास करें।

भुजंगासन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भुजंगासन की विधि: (आप वीडियो भी देख सकते हैं) पेट के बल लेट जाएँ। कंधों को हथेलियों पर सहारा देते हुए मुद्रा बनाएँ। साँस अंदर लें और अपने सिर, छाती और पेट को ऊपर उठाएँ। एक बार में एक-एक कशेरुका पर जाएँ। भुजाएँ कोहनियों से मुड़ी हुई। धीरे-धीरे अपनी गर्दन को ऊपर उठाएँ, ऊपर की ओर देखें। पेट (नाभि) और पैर की उंगलियों को फर्श की ओर दबाएँ। इस मुद्रा में ४ साँसों तक रुकें। साँस छोड़ें और अपने पेट, छाती और सिर को नीचे लाएँ। इस मुद्रा को ४ बार दोहराएँ।
हम इस मुद्रा को ४-५ साँसों तक बनाए रख सकते हैं। इस मुद्रा को ४-५ बार दोहराएँ। समय अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितनी देर तक इस मुद्रा को धारण कर सकते हैं।
हम भुजंगासन को सुबह या शाम ४-५ बार दोहरा सकते हैं।
भुजंगासन में हमारा ऊपरी शरीर कोबरा की तरह ऊपर की ओर उठा होता है। भुजंगासन दो शब्दों का एक संस्कृत संयोजन है – भुजंग (कोबरा या साँप) आसन (मुद्रा)। यह मुद्रा सूर्य नमस्कार और पद्म साधना में किये जाने वाले आसनों में से एक है।
भुजंगासन को पेट की चर्बी कम करने के लिए एक अच्छा आसन कहा जाता है क्योंकि यह पेट को मजबूत बनाता है।
भुजंगासन छाती को खोलता है इसलिए यह फेफड़ों के लिए अच्छा है। इस आसन के अभ्यास से अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है।
सभी योगासन
पिछला योगासन: धनुरासन
अगला योगासन: सलम्बा भुजंगासन

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