जनवरी 2010 में आए विनाशकारी भूकंप ने एक ऐसे देश को हिला कर (झकझोर कर) रख दिया जो पहले से ही गरीबी और राजनैतिक अस्थिरता की वेदना से जूझ रहा था। रेड क्रॉस के अनुमान के अनुसार इस भूकंप से तीस लाख लोग प्रभावित हुए। लाखों लोगों की जान चली गई, जबकि कई और घायल हो गए और दस लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए।
हैती में इस विनाशलीला से प्रभावित लोगों को राहत सामग्री के रूप में और आघात से राहत के लिए सहायता उपलब्ध करवाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग ने कई राहत शिविर संचालित किए।
हैतीवासियों के लिए तीन चरणीय सहायता
प्रथम चरण: आघात राहत और राहत सामग्री के रूप में
पहले चरण में स्वयंसेवकों द्वारा खाद्य सामग्री, वस्त्र, दवाइयों आदि के रूप में आवश्यक सामग्री का वितरण किया गया। आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षकों ने आघात राहत कार्यशालाओं का आयोजन किया जिससे पीड़ितों को अपने परिजनों को खोने और घरों को हुए नुकसान से लगे मानसिक आघात का सामना करने में सहायता मिली। बहुत से स्वयंसेवकों ने अस्पतालों में जा कर तबाही से ग्रस्त लोगों को ढाढ़स बंधाया।
भूकंप से प्रभावित एक महिला, मायला विलार्ड के शब्दों में “मैंने अपना घर खो दिया है और अब मैं अपने पति और बच्चों के साथ सड़क पर रहने को मजबूर हूँ। बारिश में रात को सोना बहुत कठिन है और यह तनावपूर्ण भी है।” मायला ने एक आघात राहत कार्यशाला में भाग लिया जहाँ उन्हें आघात का सामना करने तथा जीवन नए सिरे से आरम्भ करने के लिए प्रेरणा मिली। मायला एक स्वयंसेवक के साथ अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं, “जब मैं श्वास प्रक्रियाओं का अभ्यास करती हूँ तो भूल जाती हूँ कि मैं सड़क पर सोती हूँ। यह ऐसा है जैसे कि मेरे जीवन में कोई समस्या ही नहीं है। मैं अनुभव करती हूँ कि मेरा मन और सोच में स्पष्टता है। मैं शान्त अनुभव करती हूँ।”
द्वितीय चरण: हैती के युवाओं को नेतृत्व के लिए सशक्त बनाना
12 अप्रैल 2010 को हैती में राहत कार्य का दूसरा चरण आरम्भ हुआ जब इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज़ (IAHV) द्वारा ‘नौवेल विए यूथ कॉर्प्स’ अथवा ‘न्यू लाइफ यूथ कॉर्प्स’ के नाम से एक गहन कार्यक्रम आरम्भ किया गया। हैती में वर्ष 2007 में आई ए एच वी (IAHV) द्वारा आरम्भ किए गए यूथ लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम (YLTP) में प्रशिक्षित 16 होनहार प्रशिक्षुओं को कैप हैतियन, कैरेफर, हिंच तथा लेस केयस नामक स्थानों से चुना गया। इन युवाओं को आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षकों तथा पर्माकल्चर (चिरस्थायी कृषि) विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है। यूथ कॉर्प्स का उद्देश्य समुदायों को पुनर्गठित करने, आघात राहत कार्यशालाओं के आयोजन तथा चिरस्थायी खाद्यान्न आपूर्ति के लिए स्थायी कृषि तकनीकों को अपना कर हैती का पुनर्निर्माण करना है।
मात्र 16 दिन में ही यूथ कॉर्प्स ने गलियों में, शिविरों में और अस्थायी आश्रयों में 7 आघात राहत शिविरों का आयोजन कर के लगभग 350 लोगों को प्रशिक्षित किया। इसके अतिरिक्त हैती की सबसे अधिक हिंसक झुग्गी झोपड़ी बस्ती, साइट सोलेली, के अनाथ बच्चों, बलात्कार पीड़ितों तथा युवाओं सहित लगभग 1,000 लोगों ने ब्रेथ वाटर साउंड (BWS) कार्यशाला में भाग लिया, जो आपदा और गरीबी से ग्रस्त लोगों के लिए विशेष रूप से बनाया गया कार्यक्रम है।
इन सब के साथ साथ टीमों ने लोगों को कम्पोस्ट खाद बनाने और लघु स्तर के कृषि फ़ार्म विकसित करने के लिए प्रशिक्षित किया जिससे वे अधिक आत्मनिर्भर हो सकें। वाई एल टी पी (YLTP) प्रशिक्षुओं ने खाद मिश्रण करके चावलों के खाली कट्टों जैसे पुनर्चक्रित पात्रों में फलों और सब्जियों के 100 से अधिक पौध रोपित किए। इन को साइट सोलेली के अनाथ बच्चों, स्कूलों के विद्यार्थियों तथा युवाओं में वितरित किया गया। इस प्रोग्राम से होने वाले लाभों की खबर राहत शिविरों तथा सहयोगी सामाजिक संगठनों में शीघ्र ही फैल गई।
आर्ट ऑफ लिविंग की कार्यशालाओं ने व्यक्तियों को सशक्त बनाया और वे समाज के लिए जिम्मेदारी उठाने को प्रोत्साहित हुए। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने 40,000 लोगों को आश्रय दे रहे एक शिविर में पूरे शिविर के लिए सफाई अभियान चलाया। कूड़ा उठाने जैसे साधारण से कार्य ने उनमें गरिमा तथा स्वामित्व की भावना जागृत की।
तृतीय चरण: अधिक युवा नेताओं का निर्माण
परियोजना के आगामी चरणों में नौवेले विए यूथ कॉर्प्स ने 100 और युवाओं को प्रशिक्षित किया जो आगे चल कर आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक तथा पर्माकल्चर प्रशिक्षक बने। दो वर्ष के लिए हैती के समुदायों की सेवा को समर्पित यूथ कॉर्प्स ने व्यक्ति सशक्तिकरण तथा सामाजिक विकास के लिए समाधान प्रस्तुत किए और उनका प्रचार प्रसार किया।
हैती राहत के लिए समझौता ज्ञापन
हैती के पुनर्निर्माण प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने उत्तरी मियामी के मेयर, श्रीमान आंद्रे डी० पियरे के साथ 20 अप्रैल 2010 को हैती के पुनर्निर्माण के लिए एक सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस सहयोग ज्ञापन का उद्देश्य हैती में राहत कार्यों को बढ़ाना और देश की असामान्य चुनौतियों के लिए चिरस्थायी समाधान उपलब्ध कराना था।