इस योगासन का नाम कृषकों द्वारा भूमि को जोत कर उसे बीज बोने लायक तैयार करने के लिए उपयोग में लिए जाने वाले लोकप्रिय उपकरण, ‘हल’ के नाम पर रखा गया है। अपने नाम की तरह, यह आसन शरीर और मन को गहन पुनर्जीवन के लिए तैयार करती है।

पार्श्व हलासन हलासन की आगे की स्थिति है।

हलासन करने की विधि

  1. अपनी पीठ के बल लेट जाएँ। दोनों बाजुओं को अपनी बगल में रखें। हथेलियों नीचे जमीन की ओर हों।
  2. गहरी लंबी साँस लें, अपने पेट की माँसपेशियों का उपयोग करते हुए दोनों पाँव को भूमि से ऊपर की ओर उठाते हुए, दोनों टाँगों को 90 डिग्री (समकोण) बनाते हुए सीधी आकाश की ओर खड़ी कर लें।
  3. सामान्य गति से साँस लेते रहें और अपने कूल्हों तथा पीठ को हाथों की सहायता से जमीन से ऊपर उठाएँ।
  4. अपनी दोनों टाँगों को सिर के ऊपर से 180 डिग्री (लम्बवत्) घुमाते हुए, इतना पीछे ले जाएँ कि आपके पाँव की उँगलियाँ फर्श को छूने लगें। आपकी पीठ फर्श से समकोण पर होनी चाहिए। आरंभ में यह थोड़ा कठिन लग सकता है किन्तु कुछ सेकंड तक प्रयास करते रहें। निरंतर अभ्यास से यह होने लगेगा।
  5. इस मुद्रा में कुछ समय बने रहें और साँस को स्थिर रखते हुए, प्रत्येक बाहर जाती श्वास के साथ शरीर को शिथिल करते जाएँ।
  6. लगभग एक मिनट (नौसिखिओं के लिए कुछ सेकंड या क्षमता अनुसार) तक आसन में विश्राम करने के उपरांत, साँस छोड़ते हुए दोनों टाँगों को आगे की ओर नीचे ले आएँ।

हलासन वीडियो

हलासन के लिए कुछ सूत्र

यह आसन धीरे धीरे और आराम से करें। यह आवश्यक है कि आपकी गर्दन पर दबाव या खिंचाव न पड़े अथवा वह फर्श की ओर न धँसे।
कंधों को अपने कानों की ओर उठाते हुए, अपनी पीठ को कंधों का सहारा दें।
ध्यान रहे कि टाँगों को नीचे लाते समय शरीर को कोई झटका न लगे।

हलासन की तैयारी से पूर्व कुछ प्रारंभिक आसन

  • पूर्व हलासन पूर्ण हलासन से पहले करने का आसन है। यह करने में अपेक्षाकृत सुगम है।
  • आसनों की पद्मसाधना श्रृंखला करते समय हलासन से पहले सामान्यतः सर्वांगासन किया जाता है। सर्वांगासन करने के लिए जब आप अपनी टाँगों तथा कूल्हों को ऊपर उठाते हो तो अपनी टाँगों को सिर के ऊपर से 180० पर लम्बवत् ले जाने के स्थान पर, अपनी पीठ को हाथों का सहारा देकर, उन्हें ऊपर आकाश की ओर इस प्रकार तान दें कि आपका शरीर आपके कंधों पर खड़ा हो। सामान्यत: हलासन और सर्वांगासन, दोनों आसन साथ साथ ही किए जाते हैं।
  • सेतुबन्ध आसन एक और आसन है जो हलासन से पहले किया जा सकता है।

हलासन के उपरांत किए जाने वाले आसन (अनुवर्ती आसन)

हलासन के पश्चात् भुजंगासन किया जा सकता है।
हलासन के उपरांत पवनमुक्तासन में शरीर को ऊपर-नीचे या दाएँ-बाएँ हिलाया जा सकता है।

हलासन के लाभ

  1. हलासन गर्दन, कन्धों, पेट और पीठ की माँसपेशियों को खोल कर उन्हें सुदृढ़ करता है।
  2. तंत्रिका तंत्र (स्नायु तंत्र) को शांत करता है, थकान और तनाव को कम करता है।
  3. टाँगों की माँसपेशियों को बलशाली और उन्हें लचीला बनाता है।
  4. थायरॉइड ग्रंथि को उत्प्रेरित करता है तथा रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है।
  5. महिलाओं को रजोनिवृत्ति में सहायता करता है।

निषेध

  • यदि आपकी गर्दन चोटग्रस्त है, आप उच्च रक्तचाप अथवा अतिसार से पीड़ित हैं तो यह आसन न करें।
  • महिलाओं को माहवारी चक्र के प्रथम दो दिन तथा गर्भावस्था में हलासन नहीं करना चाहिए।

यदि आप हाल ही में किसी दीर्घकालीन रोग से अथवा रीढ़ की हड्डी में किसी समस्या से पीड़ित रहे हैं तो आपको हलासन का प्रयोग करने से पूर्व अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए।

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