सर्वांगासन एक योग आसन है जिसमें पूरे शरीर को कंधों पर संतुलित किया जाता है। सर्व’ का अर्थ है सभी, ‘अंग’ का अर्थ है शरीर का कोई अंग और ‘आसन’ मुद्रा है। जैसा कि नाम से पता चलता है, सर्वांगासन आपके शरीर के सभी हिस्सों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। यह आसन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में अत्यधिक लाभकारी है और इसे ‘आसनों की रानी’ भी कहा जाता है।

यह पद्म साधना योग अनुक्रम का भी एक हिस्सा है।

सर्वांगासन कैसे करें?

  • अपनी पीठ के बल लेट जाएँ और अपने हाथों को बगल में रखें।
  • एक ही बार में अपने पैरों, नितंबों और पीठ को ऊपर उठाएँ ताकि आप अपने कंधों पर ऊपर आ जाएँ। अपने हाथों से अपनी पीठ को सहारा दें।
  • अपनी कोहनियों को एक दूसरे के करीब लाएँ और अपने हाथों को अपनी पीठ के साथ कंधे की हड्डियों की ओर ले जाएँ। कोहनियों को जमीन पर तथा हाथों को पीठ की ओर दबाते हुए पैरों और रीढ़ को सीधा रखें। आपका वजन आपके कंधों और ऊपरी भुजाओं पर होना चाहिए, न कि आपके सिर और गर्दन पर।
  • पैरों को दृढ़ रखें। अपनी एड़ियों को इस प्रकार ऊपर उठाएँ जैसे आप छत पर अपने पैरों का निशान बना रहे हों। अपने बड़े पैर के अंगूठे को नाक के ऊपर सीधा लाएँ। अब पैर की उंगलियों को ऊपर की ओर उठाएँ। अपनी गर्दन पर ध्यान दें। गर्दन को जमीन पर न दबाएँ। इसके बजाय गर्दन की माँसपेशियों को थोड़ा सा कस कर गर्दन को मजबूत बनाए रखें। अपनी उरोस्थि को ठोड़ी की ओर दबाएँ। यदि आपको गर्दन में कोई खिंचाव महसूस हो तो आसन से बाहर आ जाएँ।
  • गहरी साँस लेते रहें और ३० से ६० सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें।
  • आसन से बाहर आने के लिए घुटनों को माथे तक नीचे लाएँ। अपने हाथों को जमीन पर लाएँ, हथेलियाँ नीचे की ओर हों। सिर को ऊपर उठाए बिना धीरे धीरे अपनी रीढ़ की हड्डी को, एक एक रीढ़ कर के, पूरी तरह से फर्श पर ले आएँ।
  • पैरों को जमीन पर नीचे लाएँ। कम से कम 60 सेकंड तक आराम करें।
  • अपनी सुविधा के अनुसार सर्वांगासन को एक से पाँच मिनट तक करें। इस आसन को दो या तीन बार दोहराएँ।

सर्वांगासन के लाभ

  • थायरॉयड और पैराथायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है और उनके कार्यों को सामान्य करता है।
  • बाजुओं और कंधों को मजबूत बनाता है और रीढ़ को लचीला रखता है।
  • मस्तिष्क को अधिक रक्त से पोषण मिलता है।
  • हृदय में अधिक शिरापरक रक्त वापस लाकर हृदय की माँसपेशियों को खींचता है।
  • कब्ज, अपच और वैरिकाज नसों से राहत दिलाता है।

निषेध

यदि आपको निम्नलिखित में से कोई भी स्वास्थ्य समस्या हो तो सर्वांगासन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें: गर्भावस्था, मासिक धर्म, उच्च रक्तचाप, हृदय की समस्या, ग्लूकोमा, स्लिप डिस्क, स्पोंडिलाइटिस, गर्दन में दर्द और तीव्र थायरॉयड समस्या।

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सर्वांगासन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

एक शुरुआती को इन चरणों का पालन करते हुए सर्वांगासन का अभ्यास करना चाहिए: पीठ के बल लेट जाएँ। हाथ बगल में रखें। अपने हाथों से अपनी पीठ को सहारा देने के लिए तैयार रहें। एक ही बार में अपने पैरों, नितंबों और पीठ को ऊपर उठाकर अपने कंधों पर ले आएँ। अपने पैरों को स्थिर रखते हुए अपनी एड़ियों को ऊपर उठाएँ। अपनी गर्दन को फर्श पर न दबाएँ। इसे दृढ़ बनाए रखें। साँस लेते हुए इस मुद्रा में 30 सेकंड या 3 मिनट तक रहें। अपने घुटनों, पैरों, रीढ़ की हड्डी और कशेरुकाओं को एक एक कर के फर्श पर टिकाएँ। हाथों को बगल में ले आएँ। एक मिनट तक आराम करें।
३० सेकंड तक सर्वांगासन की मुद्रा में रहें। अगर आपको सहज महसूस हो तो धीरे धीरे इस आसन का समय बढ़ाकर ३ मिनट कर दें। आसन के बाद एक मिनट तक आराम करें।
सर्वांगासन निम्नलिखित के लिए अच्छा है: अंगों को मजबूत करना, रीढ़ को लचीला बनाना, कब्ज, वैरिकाज़ वेंस, थायरॉयड और पैराथायरायड ग्रंथियों को उत्तेजित करना, मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण में सुधार करना।
किन लोगों को सर्वांगासन नहीं करना चाहिए: उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी समस्याएँ, ग्लॉकोमा, स्लिप डिस्क, स्पोंडिलाइटिस और गर्भावस्था व मासिक धर्म में तीव्र थायरॉयड समस्या।

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