वर्टिगो क्या है?

वर्टिगो मस्तिष्क में संतुलन और साम्यावस्था में गड़बड़ी के कारण चक्कर आने, असंतुलन और सिर घूमने जैसे लक्षण वाली एक समस्या है। इस समस्या में हमारी गतिशीलता की दिशा को नियंत्रित करने वाला क्षेत्र यानि कान का आंतरिक भाग, उसमें कैल्शियम या द्रव्य जमा होने या किसी वायरस के कारण प्रभावित होता है। तथापि, इस बात के प्रमाण हैं कि कुछ योगासन हमारी संतुलन क्षमता में सुधार और स्नायु तंत्र को उत्तेजित करते हैं, जिससे शारीरिक तंत्र से वर्टिगो की समस्या समाप्त हो जाती है।

कारण और लक्षण

वर्टिगो अथवा चक्कर आने की समस्या का मुख्य कारण है कान के भीतरी भाग में पर्याप्त रक्त संचार का न होना। इसके अतिरिक्त जुकाम या फ्लू जैसे रोग फैलाने वाले कुछ वायरस भी हमारे कान के भीतरी भाग पर आक्रमण कर के मस्तिष्क से जुड़ने वाली  नाड़ियों पर असर डाल सकते हैं जिससे वर्टिगो की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। खोपड़ी (मस्तिष्क) को होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान से भी जी मिचलाने और बहरेपन जैसी अवस्था सहित भयंकर वर्टिगो हो सकता है। कुछ खाद्य पदार्थ अथवा हवा में मौजूद धूल, फफूंद, पराग के कण या बालों की रूसी के कण भी वर्टिगो के लक्षण पैदा कर सकते हैं, विशेष तया उन लोगों में जिनको इन कणों से एलर्जी होती है।

स्नायु नाड़ियों के रोग, जैसे कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस, सिफलिस, ट्यूमर आदि भी हमारे संतुलन को प्रभावित करते हैं।

वर्टिगो के उपचार में योगासन कैसे लाभकारी हैं

इसमें ऐसे आसनों का चुनाव किया जाता है जो हमारे स्नायु तंत्र और कान के भीतरी भाग में उपस्थित संतुलन केंद्र को प्रोत्साहित करते हैं और हमारे फोकस तथा एकाग्रता को बढ़ाते हैं। इनका हमारे मोटर नर्वस सिस्टम (संवेदी तंत्रिका तंत्र) पर भी सीधा असर होता है और यह सिर तथा शरीर के अन्य अंगों में रक्त संचार को सुचारू बनाते हैं। मस्तिष्क की कोशिकाओं में स्वस्थ, शुद्ध रक्त का प्रवाह वर्टिगो के उपचार के मूल में है। इसलिए ऐसे आसन जो हमारे तंत्रिका तंत्र को प्रोत्साहित करते हैं और मस्तिष्क को जाने वाले रक्त को शुद्ध करते हैं, इस उपचार के लिए सबसे उपयुक्त हैं।

वर्टिगो के मरीजों के लिए विशेषतया उपयोगी योग व्यायाम :

ऐसे आसनों का चुनाव किया जाता है जो हमारे स्नायु तंत्र और कान के भीतरी भाग में उपस्थित संतुलन केंद्रों को प्रोत्साहित करते हैं और हमारे फोकस तथा एकाग्रता को बढ़ाते हैं। वर्टिगो के उपचार के लिए यह साधारण व्यायाम मोटर नर्वस सिस्टम (संवेदी तंत्रिका तंत्र) पर सीधा डालते हैं और सिर तथा शरीर के अन्य अंगों में रक्त संचार को सुचारू बनाने में सहायता करते हैं।

1. षणमुखी मुद्रा

यह व्यायाम मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और व्याकुलता, उत्तेजना तथा क्रोध को रोकने और कम करने में सहायक है। यह आँखों को और चेहरे की नाड़ियों तथा टिश्यू को भी विश्राम देता है।

2. नाड़ी शोधन प्राणायाम

नाड़ी शोधन प्राणायाम के लाभ

Yoga Alternate Nostril Breathing (Nadi Shodhan pranayama) - inline

यह प्राणायाम हमारे रक्त तथा श्वसन तंत्र को शुद्ध करता है। गहरी साँस लेने से रक्त ऑक्सीजन से परिष्कृत होता है, श्वसन तंत्र सशक्त बनता है और तंत्रिका तंत्र संतुलित होता है।

3. सलम्ब शीर्षासन

हमारे अंगों पर प्राकृतिक गुरुत्वाकर्षण के विपरीत खिंचाव के प्रभाव से यह व्यायाम लिवर, गुर्दों, पेट, आँतों तथा जननेन्द्रियों की समस्याओं को दूर करने में सहायक है। लंबे समय तक इसका अभ्यास करने से वर्टिगो का उपचार करने के अतिरिक्त, यह आसन शारीरिक विकास और सेक्स हॉर्मोन्स उत्पादित करने में सहायक ग्रंथियों, पिट्यूटरी और पीनियल को भी उत्तेजित करता है।

4. हलासन

halasana - inline

हलासन एक ऐसा आसन है जो गर्दन, कंधों, पेट और पीठ की माँसपेशियों को सशक्त बनाता और उन्हें खोलता है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, तनाव घटाता है और थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है। महिलाओं की रजोनिवृत्ति में भी यह लाभकारी है। Learn हलासन करने की विधि सीखें।

5. पश्चिमोत्तानासन

Paschimottanasana inline

यह योगासन एक तनाव उन्मूलक आसन है जो चिंता, क्रोध तथा चिड़चिड़ाहट को भी दूर करता है। यह मासिक चक्र को संतुलित करता है, इसलिए महिलाओं के लिए इसकी अत्यधिक अनुशंसा की जाती है, विशेषतया प्रसव के पश्चात।
पश्चिमोत्तानासन के विषय में विस्तार से जानें।

6. शवासन

Shavasana - inline

शवासन के लाभ :
यह आसन गहरे ध्यान की अवस्था में ले जा कर विश्राम देता है जो कोशिकाओं और टिश्यूज की मरम्मत करने और तनाव को दूर करने  में सहायक  होती है। यह रक्तचाप, चिंता तथा अनिद्रा कम करने में भी सहायता करता है।

जो आसन नहीं करने चाहिए

सामान्यतः वर्टिगो पीड़ितों को ऐसे आसन नहीं करने चाहिए जिनमें झटके के साथ आगे की ओर झुकना होता है। इसी प्रकार सिर को नीचे की ओर कर के किए जाने वाले आसनों को करने से भी बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त चक्कर आने से बचाव के लिए वर्टिगो से ग्रस्त लोगों को सभी आसन धीरे धीरे करने चाहिए।

अंत में हम कह सकते हैं कि मस्तिष्क की कोशिकाओं को स्वस्थ, शुद्ध रक्त का संचार वर्टिगो की उपचार प्रक्रिया का सार है। ऐसे व्यायाम जो तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करते हैं और मस्तिष्क को जाने वाले रक्त को शुद्ध करते हैं, इसके उपचार के लिए सबसे उपयुक्त हैं।

art of living store logo white

गुरुदेव का कालातीत ज्ञान

पुस्तक, फोटो फ्रेम और भी बहुत कुछ

    Wait!

    Don't leave without a smile

    Talk to our experts and learn more about Sudarshan Kriya

    Reverse lifestyle diseases | Reduce stress & anxiety | Raise the ‘prana’ (subtle life force) level to be happy | Boost immunity

     
    *
    *
    *
    *
    *