सीरिया इक्कीसवीं सदी के सबसे भीषण युद्ध का सामना कर रहा है। 48 लाख से अधिक शरणार्थी सुरक्षा, सम्मानजनक जीवन और युद्ध के आघात से बाहर निकलने के लिए संघर्षरत हैं। आर्ट ऑफ लिविंग और उसकी सहयोगी संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वेल्यूज (IAHV) उस क्षेत्र में इस दुखदायी स्थिति का सामना करने में सहायता के लिए बहुत सी कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं।

अब तक बहुत से लोगों को, जिनमें केवल दमिश्क शहर से ही 300 से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित भी उपस्थित थे, अनेक व्यापक प्रोग्राम जिनमें साक्ष्य आधारित श्वसन तकनीकें, गहन विश्राम, संज्ञानात्मक प्रक्रियाएँ तथा शारीरिक व्यायाम आदि उपयोगी व ज्ञान बोधक प्रोग्राम आयोजित किए जा चुके हैं।

संघर्ष तथा आतंक के साए में रहने वाले लोगों को इन कार्यक्रमों से बहुत राहत मिली है और यह उनके साथी बन चुके भय और मानसिक आघात से छुटकारा पाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। यह संस्था लेबनान और जॉर्डन में रह रहे शरणार्थियों तथा उनके आतिथेय समुदायों के लिए भी काम कर रही है क्योंकि वे लोग भी उतना ही कष्ट झेल रहे हैं।

रोग हरने वाला स्पर्श

आर्ट ऑफ लिविंग, जॉर्डन और लेबनान में वर्षों से कार्यरत है और वहाँ हर वर्ग के असंख्य लोग इनके प्रभावशाली कार्यक्रमों से लाभान्वित हुए हैं। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने अपने शांति मिशन के एक हिस्से के रूप में लेबनान और जॉर्डन की यात्रा भी की। 2006 में, लेबनान-इज़राइल संघर्ष के बीच आर्ट ऑफ लिविंग स्वयंसेवकों ने आगे बढ़ कर दोनों पक्षों के लोगों की त्रासदी का सामना करने में सहायता की।

इन संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों का उद्देश्य हिंसा के मनोवैज्ञानिक प्रभावों, उनके समग्र कल्याण को पुनः सुनिश्चित करना तथा जॉर्डन और लेबनान में युद्ध से प्रभावित बच्चों में हिंसक तथा आतंकी प्रवृत्तियों को रोकना और उनके सगे परिजनों, स्कूलों तथा सामाजिक वातावरण को सशक्त बनाना है।

बच्चों के लिए कार्यक्रम

किसी भी युद्ध या संघर्ष की स्थिति में अक्सर बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित हो जाते हैं। उनमें चिंता, अवसाद, अनिद्रा, आघात जनित तनाव, क्रोध और आक्रोश, सोचने की शक्ति का पतन, घरेलू हिंसा, नशा, बाल मजदूरी और यहाँ तक कि आत्महत्या तक की प्रवृतियाँ बढ़ने की नौबत आ जाती है।

इन लक्ष्णों को कम करने तथा बच्चों को इस नई वास्तविकता का सामना करने में सहायता करने के उद्देश्य से आई ए एच वी (IAHV) ने अब तक 7 से 16 वर्ष आयु वर्ग के 1988 बच्चों के लिए 63 तनाव मुक्ति, लचीलापन और दृढ़ता प्रदान करने वाली (Stress Relief and Resilience – SRR) कार्यशालाएँ संचालित की हैं। इस प्रोग्राम का उद्देश्य संघर्ष तथा हिंसा के मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभावों से बचाना और राहत प्रदान करना है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चे अपनी बाल सुलभ सामान्य मनोदशा में आने लगते हैं और उनका बचपना लौट आता है।

ज़रक़ा में इस्लाम नाम की 12 वर्षीय एक शर्मीली और डरपोक लड़की, जो कार्यक्रम के आरम्भ में संकोची और अलग थलग रहती थी, कार्यक्रम समाप्त होते होते उसके चेहरे पर बहुत बड़ी मुस्कान आ गई थी। और फॉलो अप सत्र में तो वह दमक रही थी और उसके चेहरे से मुस्कान कभी गई ही नहीं!

अपना आत्मविश्वास और प्रसन्नता वापस पाने के बाद उसने कहा , “ऐसा लगता है कि सकारात्मकता की एक लहर मेरे जीवन में आ गई है। मेरा समय हमेशा खुशी भरा नहीं था, कई बार मैं मुस्कुराती थी, परंतु अधिकतर ऐसा नहीं होता था। अब मैं हर समय मुस्कुराती हूँ, विशेष रूप से मेरे प्रशिक्षकों द्वारा सिखाई गई तकनीकों और प्रक्रियाओं का उपयोग जीवन में कर के। अब मैं अपनी क्लास में भी भाग लेती हूँ! ऐसा लगता है जैसे मेरे आसपास के लोगों को भी मेरे जीवन में आए इस सकारात्मक परिवर्तन की लहर दिखाई देती है, क्योंकि मेरी माँ भी कहती है कि मुझमें कुछ परिवर्तन तो हुआ है, और यह सच में अद्भुत है।”

बच्चों में आए परिवर्तन का प्रमाण यह वीडियो है जो उनमें आई ए एच वी (IAHV) द्वारा संचालित सत्रों में दिए गए समग्र प्रशिक्षण से आया है।

केवल बच्चे ही नहीं, अपितु अध्यापक, देखभाल करने वाले, शांति/ सामाजिक/ युवा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता तथा अभिभावक, इन सबको भी क्षेत्र में संघर्ष के कारण उत्पन्न तनाव का सामना करने और अपने बच्चों की सहायता के लिए अधिक कुशल बनने में सहायता की आवश्यकता है।

अध्यापकों/ देखभाल करने वालों के लिए कार्यक्रम

यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चों की देखभाल सही ढंग से हो रही है और उनके लिए अनुकूल वातावरण मजबूत किया जा रहा है, व्यक्तिगत दृढ़ता, तनाव प्रबंधन हेतु पेशेवरों और उनकी स्वयं की देखभाल के लिए 140 अध्यापकों तथा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए 8 प्रशिक्षण कार्यक्रम (पी सी) आयोजित किए गए।

पी सी नित्य प्रति कठिन परिस्थितियों में कार्य कर रहे पेशेवरों के कल्याण, मानसिक दृढ़ता और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने के साथ साथ उनके तनाव नियंत्रण और काम के बोझ से हतोत्साहित होने को भी रोकने में सहायक है।

रुसीफ़ेह में एक अध्यापक के शब्दों में, “मैं दो परस्पर विरोधाभासी जीवन जी रहा था, मेरा एक भाग तो शोक में डूबा हुआ था जबकि दूसरा भाग अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ जीवन को वापस पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहा था। मुझे लगने लगा था कि मेरा जीवन कभी भी पहले जैसा नहीं हो पाएगा और अब मैं जैसा बन पाता जीता, किंतु उसे पसंद भी नहीं करता था। इस कार्यशाला में भाग लेने के बाद मुझे यह समझ में आया कि मुझे अपने अतीत को स्वीकार करना होगा और वर्तमान पल में जो जैसा है, उसी के अनुसार जीना होगा; और अब मुझे वास्तव में यह लगने लगा है कि मैं यह सब अपनी मर्जी से कर रहा हूँ, इसलिए नहीं कि मुझे ऐसा करने को सिखाया गया है।”

इस प्रकार के और भी अनेक अनुभव और उदाहरण हैं जो इन संस्थाओं के अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने की प्रतिबद्धता और संकल्प को दृढ़ बनाते हैं।

अभिभावकों के लिए कार्यक्रम

वयस्क लोगों को भी इन कार्यक्रमों का लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से आई ए एच वी (IAHV) ने विभिन्न क्षेत्रों के स्ट्रेस रिलीफ एंड रिज़िलीअन्स (SRR) कार्यशाला कर चुके बच्चों की 97 माताओं के लिए भी उपचार, दृढ़ता युक्त लचीलापन तथा सशक्तिकरण (हीलिंग, रिज़िलीअन्स एंड एंपावरमेंट ट्रेनिंग – HRE) प्रशिक्षण पर तीन कार्यशालाएँ आयोजित की।

HRE का लक्ष्य परिवार के सदस्यों के कल्याण, मानसिक दृढ़ता तथा समझ को उन्नत करना है ताकि वे अपने बच्चों का संबल बढ़ा सकें, उनका तनाव, चिंताएँ, व्याकुलता कम कर सकें और नई वास्तविकता के अनुसार खुद को ढाल कर जीवन में आगे बढ़ सकें।

ज़रका में अधिकांश प्रतिभागी सीरिया की विधवा माताएँ थीं जो विस्थापन से लेकर अपने परिजनों को खोने तक, अनेक प्रकार की दर्दनाक घटनाओं से गुजर चुकी थीं।

उनमें एक ऐसी ही एक माँ, जिसने प्रोग्राम में भाग लिया, अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि, “मैंने एक के बाद एक, कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया है। इस कार्यशाला के कारण मुझे अपने भीतर जमा हुए शारीरिक तथा भावनात्मक तनाव से मुक्त होने में सहायता मिली और अब मैं महसूस करती हूँ कि मुझे जो चाहिए था, वह स्वयं को दिया है और अब मैं इसे अपने आसपास के लोगों को देने के लिए तैयार हूँ।”

पृष्ठभूमि

इस क्षेत्र की आबादी तक सहायता पहुँचाने के लिए इतनी तत्परता और गहनता से पहुँचने का मुख्य कारण है कि यह संघर्ष काफी लंबे समय से चल रहा है, जिससे अधिकांश नागरिक बहुत सी  मानसिक समस्याओं से लगने वाले आघात के प्रति असुरक्षित हो गए हैं, और इस संघर्ष का कोई समाधान भी नजर नहीं आ रहा।

जॉर्डन अनेक राष्ट्रीय समस्याओं से जूझ रहा है जिनमें उच्च संख्या में बेरोजगारी, विदेशी सहायता पर निर्भरता और धीमी अर्थ व्यवस्था प्रमुख हैं। सीरियाई से आने वाले शरणार्थियों का तांता इस राज्य के लिए एक नई और बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है जिससे इसके पहले से ही सीमित संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है और वहाँ के स्थायी निवासियों तथा शरणार्थियों के बीच सामाजिक तनाव उत्पन्न हुआ है। सार्वजनिक स्कूल खचाखच भर गए हैं, बेरोजगारी बढ़ी है और जनता का हौसला और आशाएँ कम हुई हैं।

फोकस के क्षेत्र

IAHV ने अपना ध्यान सीरिया और जॉर्डन के सर्वाधिक संवेदनशील स्थानों पर केंद्रित किया है। उदाहरण के लिए, मफ़रक में दफ़्यानेह इस देश के सबसे गरीब गाँवों में से एक है और यह सीरियाई सीमा से एक मील से भी कम दूरी पर स्थित है। इसी प्रकार, इरबिड राज्य में अगरबा एक छोटा सा कस्बा है और यहाँ से विद्रोही सेनाओं द्वारा नियंत्रित कस्बों को देखा जा सकता है। अगरबा, जॉर्डन और सीरिया के निवासी वहाँ गिराए जा रहे बमों की आवाज प्रतिदिन सुनते हैं।

ज़ाटरी शरणार्थी शिविर, जहाँ 80,000 से अधिक सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं, अब जॉर्डन का चौथा बड़ा शहर हो गया है। इसी प्रकार ज़रक़ा शहर में, जहाँ पहले से ही हजारों फिलिस्तीनी शरणार्थी रह रहे हैं, अब 50,000 से अधिक सीरियाई शरणार्थी भी आ गए हैं, जिससे यह जॉर्डन का तीसरा बड़ा शहर बन गया है।

इतने सारे लोगों के लिए, जो अपने स्थायी निवास के विस्थापित हो कर दूसरे देशों में शरणार्थी बन कर रहने को मजबूर हैं, बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। ऐसी विषम परिस्थियों में भी, इनमें से बहुत से लोगों की मानसिक दृढ़ता और लचीलापन प्रशंसनीय है, फिर भी अधिकतर लोग हर समय निराशा, क्रोध, मायूसी और दुःख से घिरे रहते हैं। IAHV के प्रोग्रामों का उद्देश्य सभी समुदायों के समावेश तथा उनमें सौहार्द स्थापित करने पर केंद्रित है।

आउटरीच और सतत सहायता योजना 

IAHV के प्रोग्राम लेबनान और जॉर्डन के प्रभावित समूहों के लिए उनके द्वारा अनुभव की जा रही विशिष्ट समस्याओं को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं। परिस्थिति अनुसार यह उस क्षेत्र की संवेदनाओं और संस्कृति की जरूरतों के अनुसार बनाए गए हैं। क्षेत्र से चयनित युवाओं को विशेष रूप से यूथ पीस एम्बेसडर (YOUTH PEACE AMBASSADOR) – युवा शांति दूत – के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा जो अपने परिवारों, स्कूलों तथा समुदायों के लिए शांति स्थापना तथा हिंसा रोकने और कम करने की योजनाओं को बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

दीर्घकालीन योजना में IAHV पीसी स्नातकों के लिए फॉलो अप सत्र आयोजित करेगा जिसमें उनको प्रशिक्षक बनने की ट्रेनिंग लेने के लिए तैयार किया जाएगा। यह इस योजना के लिए अपने आप में एक बड़ा कदम होगा जो जॉर्डन के अति संवेदनशील स्कूलों तथा समुदायों में स्थिरता लाएगा और योजना की निरंतरता सुनिश्चित करेगा। इस के माध्यम से जॉर्डन में लगभग 8,000 बच्चों, 250 पेशेवरों तथा 1,250 अभिभावकों तक पहुँचने की योजना है और इतनी ही संख्या तक लेबनान में भी।

400 बच्चों के लिए अनेक समर कैम्प आयोजित किए जाएँगे जिनमें ऐसे युवा जो हिंसक व्यवहार, आत्मक्षति, आत्महत्या, आक्रोश अथवा बाल मजदूरी के प्रति संवेदनशील हैं, आघात राहत, उपचारात्मक, दृढ़ता और लचीलापन तथा मानवीय मूल्यों पर कार्यशालाओं में भाग लेंगे।

इन प्रोग्रामों के सकारात्मक परिणाम अत्यंत प्रोत्साहित करने वाले हैं और IAHV तथा आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवक आशावान हैं कि प्रेम और करुणा का जो दीप वे उस क्षेत्र के हजारों लोगों के दिलों में जला रहे हैं, उसका प्रकाश और भी दूर तक फैलने वाला है।

क्षेत्र में प्रोग्रामों में भाग लेने वाले कुछ लोगों के अनुभव इस प्रकार हैं:

“मेरे विचार में यह इस संघर्ष के मूल कारणों पर असर करेगा, यानि संघर्ष के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर जिसको किसी ने अभी तक छूना तो दूर, कोई उसके निकट तक भी नहीं आया। उन्हें लगता है कि यह बहुत जटिल है। उनको चाहिए कि कठिन केसों के समाधान खोजें और हर केस का अलग से विश्लेषण करके समाधान करें। फिर भी यह मनोसामाजिक समस्याओं के लिए प्रभावशाली सामूहिक प्रयास है।” – साना, समाज सेविका, बेरुत

ज़ाटरी शिविर में एक अन्य समाज सेवक ने कहा, “हम ऐसे वातावरण में काम कर रहे हैं जिसमें मनोसामाजिक गतिविधियों की सख्त आवश्यकता है। इस कार्यशाला के अतिरिक्त मैंने ऐसा प्रभावशाली तनाव से राहत देने वाला प्रोग्राम कभी भी नहीं देखा। मैं जिस प्रकार का काम करता हूँ, उस पर अब इसका प्रभाव बहुत स्पष्ट दिखाई देगा और यह उन सीरियाई शरणार्थियों के लिए अत्यंत लाभदायक होगा जिनके साथ मैं काम करता हूँ।”

“आप मनोसामाजिक सहारा देने के लिए किसी भी विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसी से भी अधिक प्रभावशाली हो।” – युवा कार्यकर्ता , ट्रिपोली, लेबनान

“अब हम फिर से विश्वास कर सकते हैं। हमने किसी पर भी विश्वास करना छोड़ ही दिया था।” – सिंजार, इराक़ के एक युवा कार्यकर्ता

IAHV का मिशन मानवीय मूल्यों की ऐसी गहरी समझ पैदा करना है जो इस संघर्ष में प्रत्येक पक्ष को वैश्विक समाज के एक सूत्र में बांध सके और उनके इस अभ्यास को उनकी दिनचर्या में सुदृढ़ता से स्थापित कर सके। इस संस्था के प्रोग्राम मन में स्पष्टता, दृष्टिकोण तथा व्यवहार में परिवर्तन लाते हैं और ऐसे सामाजिक नेता तथा सामाजिक समूह तैयार करते हैं जो लचीले किंतु दृढ़, जिम्मेदार और प्रेरणा से भरे हों।

समयावधि

इस कार्य का अगला चरण, जो दिसंबर 2016 में आरम्भ हुआ है, तीन साल तक चलने वाला है। इन तीनो सालों में संस्था द्वारा किए जाने वाले कार्य हैंr:

  • 18,000 इराक़ी तथा सीरियाई शरणार्थियों में से अति असुरक्षित, खतरे में, और सर्वाधिक देखभाल दिए जाने लायक शरणार्थियों और जॉर्डन तथा लेबनान के मेजबान समुदायों के बच्चों को प्रोग्राम में शामिल करना
  • 300 अध्यापकों, देखभाल कार्यकर्ताओं, शांति/ सामाजिक/ युवा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण
  • 3,000 अभिभावकों, परिवारों, समाज के सदस्यों का प्रशिक्षण

जो समाज सालों से आशा का मतलब ही भूल चुका है, ऐसे समाज में आशा की लौ पुनः जगाने के लिए IAHV प्रतिबद्ध है और यह अपने सहयोगियों के साथ मिल कर सामाजिक एकजुटता के लिए कार्य करता रहेगा जो आगे चल कर जॉर्डन और लेबनान तथा उस क्षेत्र के अन्य भागों में स्थिरता के स्तंभ के रूप में स्थापित होगा।

टीम

भागीदारों की मुस्कानों में और एक साथी इंसान से मिलने वाले प्रेम और देखभाल से मिलने वाले सुकून और राहत के इस कार्यक्रम का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

यह परिश्रमी स्वयंसेवकों की टीम का कमाल है जिसने हालात को सुधारा है। ऐसे क्षेत्र में जहाँ गैर सरकारी संगठनों को ऐसी संदेह की दृष्टि से देखा जाता है की वे किसी न किसी वर्ग विशेष के लिए काम करते हीं, जहाँ स्वयंसेवक कुछ आर्थिक लाभ की आशा रखते हों और गैर सरकारी संगठनों का स्टाफ प्रायः वेतन पर काम करता हो, IAHV तथा आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवक अतिप्रेरणापूर्वक, सेवाभाव और प्रतिबद्धता के साथ मानवता की दिल से देखभाल करने को तत्पर हैं।

यह पूरी दुनिया एक ही परिवार है, इन संस्थाओं का सिद्धांत है और यह एक ऐसे संसार के निर्माण में कार्यरत हैं जो सभी प्रकार से हिंसामुक्त हो – कार्मिक हिंसा, शाब्दिक हिंसा या वैचारिक हिंसा से भी।

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