संघर्षों और उथल पुथल के बीच, अफगानिस्तान के लोगों ने दो दशक से अधिक समय में अकल्पनीय कठिनाइयों का सामना किया है। युद्ध और संघर्ष के ऐसे परिपेक्ष्य में, आर्ट ऑफ लिविंग जैसे संगठनों ने आगे आकर हिंसा के तांडव से ग्रस्त लोगों तक सांत्वना और शांति पहुँचाने के लिए आघात राहत कार्यशालाएँ आयोजित की हैं। ब्रेथ वाटर साउंड प्रोग्राम जैसे कदम उठा कर व्यक्तियों, जिनमें महिलाएँ, बच्चे और युद्ध के आघातों से त्रस्त अनेक समुदाय भी शामिल थे, को घाव भरने तथा जीवन पुनः पटरी पर लौटने का मार्ग मिला है।
युद्ध से थके हुए अफगानियों तक राहत पहुंचाना
अफगानिस्तान में आघात राहत कार्य की शुरुआत फ़रवरी 2003 में हुई जब आर्ट ऑफ लिविंग ने काबुल के “पीस हाउस” (peace house) आवासीय शिविर में तनाव कम करने और उसका प्रबंधन करना सिखाने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया। उसमें सबसे पहले युद्ध की त्रासदी से ग्रस्त दीर्घकालिक रोगों से जूझ रहे तथा बारूदी सुरंगें फटने से घायल बच्चों ने ब्रेथ-वाटर-साउंड कार्यशाला की परिवर्तनकारी शक्ति को अनुभव किया।
अपनी प्रथम ब्रेथ-वाटर-साउंड कार्यशाला में भाग लेने के पश्चात उनमें बहुत से सकारात्मक बदलाव देखने को मिले और वे अब काफी खुश और सहज महसूस कर रहे थे। ब्रेथ वाटर साउंड प्रोग्राम न केवल तनाव दूर करता है, बल्कि यह अपनत्व की भावना जगा कर समग्र स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण, उत्साह तथा एकाग्रता भी बढ़ाता है। कार्यक्रम में भाग लेने वाले भागीदार रिश्तों में सुधार, मन में स्पष्ट सोच, प्रसन्नता का भाव तथा अपने जीवन में शांति अनुभव करते हैं।
इसके अतिरिक्त, आर्ट ऑफ लिविंग स्वयंसेवकों द्वारा दिए गए दान द्वारा तालिबानी हिंसा से तबाह हुए इस्तलीफ के ग्रामीणों तक आवश्यक राहत सामग्री और सहायता पहुंचाई गई। इन कदमों से कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने अपने मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार, उत्साह में वृद्धि, एकाग्रता के साथ साथ अपनेपन तथा शांति की भावना अनुभव की।
मानवीय सहायता में कार्यरत कर्मियों तथा आम लोगों के लिए राहत
आघात राहत प्रयासों का दायरा प्रशिक्षु व्यक्तियों से बढ़ा कर समूचे समुदायों तक किया गया।
शीघ्र ही, काबुल शहर में स्थित भारतीय दूतावास, भारतीय स्टेट बैंक, बहुत सारे अंतरराष्ट्रीय व्यवसायी, अफ़गानी चिकित्सक, गैर सरकारी संगठनों के कर्मचारियों और संयुक्त राष्ट्र संघ के नशीले पदार्थों तथा अपराध कार्यालय के सदस्यों ने भी आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों में भाग लिया और उनसे अनेक प्रकार से लाभान्वित हुए।
सईद मंसूर नादेरी, अफ़गानिस्तान संसद के भूतपूर्व उप-सभापति अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, “आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स में सिखाई गई तकनीकों तथा बताए गए ज्ञान सूत्र सीखने के पश्चात मुझे अधिक ऊर्जा, शांति तथा विश्राम, उन्नत एकाग्रता तथा शरीर में अधिक लचीलेपन का अनुभव हुआ।”
युद्ध से फैली अव्यवस्था के बीच महिलाओं को सांत्वना
इसके अतिरिक्त, कपिसा राज्य के दानेश तथा भाकूखान गाँवों की 100 से अधिक महिलाओं को संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यालय द्वारा प्रायोजित ब्रेथ वाटर साउंड कार्यशाला में श्वसन तकनीकें सीखने से तनाव में कमी महसूस हुई।
इन कार्यशालाओं का स्पष्ट प्रभाव था कि कोर्स आरंभ होने के बाद भी बहुत सी महिलाएँ उसमें आने लगी और परिसर में सौहार्द तथा खुशी की लहरें दौड़ने लगी। महिलाएँ इन शिविरों में घुसने को लालायित थीं, उनमें से कइयों के गोद में तो बुर्के के अंदर शिशु भी थे।
स्वास्थ्य कर्मियों पर परिवर्तनकारी प्रभाव
अनेक अनुसंधानों में सुदर्शन क्रिया™ की तनाव कम करने की क्षमता से प्रभावित हो कर काबुल मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति, डा० चिराग अली चिराग ने अपने सर्जरी विभाग के प्राध्यापकों के लिए भी कोर्स आयोजित करने का अनुरोध किया, क्योंकि वह भी अन्य निवासियों की तरह वैसे ही युद्ध से पैदा हुई हिंसा तथा अराजकता के कारण तनाव का अनुभव कर रहे थे।
काबुल मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग की फैकल्टी से लेकर प्रशासनिक स्टाफ तक, कार्यशालाओं में आने वाले सभी लोगों को एक नई ऊर्जा, विश्रांति तथा तनाव में कमी का अनुभव हुआ। इन परिवर्तनों से भागीदारों को न केवल व्यक्तिगत स्तर पर लाभ हुआ अपितु इसकी तरंगें उनके परिवारों तथा समुदायों तक भी महसूस की गई जिससे उनमें एक नई ऊर्जा तथा कल्याण की भावना का उदय हुआ।
आर्ट ऑफ लिविंग जैसे संगठनों द्वारा अफगानिस्तान में चलाए गए आघात राहत अभियान युद्ध के घनघोर अंधेरे में आशा की किरण बन कर आई है। ब्रेथ वाटर साउंड जैसी पहलकदमी से लोगों के लिए व्यक्तिगत तथा सामुदायिक, दोनों स्तरों पर उनके घाव भरने, पुनः ऊर्जा से भरने तथा शांति स्थापना का मार्ग खुला है। जैसे जैसे सकारात्मकता की लहरें पूरे देश में फैल रही हैं, यह प्रयास इस बात का प्रमाण हैं कि करुणा, समुदाय तथा मानव चेतना की शक्ति से बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।