राम का अर्थ है, मेरे भीतर प्रकाश, मेरे हृदय में प्रकाश

राम का अर्थ है ‘प्रकाश’। किरण एवं आभा (कांति) जैसे शब्दों के मूल में राम है। ‘रा’ का अर्थ है आभा और ‘म’ का अर्थ है मैं; मेरा और मैं स्वयं। राम का अर्थ है मेरे भीतर प्रकाश, मेरे ह्रदय में प्रकाश। निश्चय ही ‘राम’ ईश्वर का नाम है, जो इस धरती पर 7560 ईसा पूर्व अर्थात 9500 वर्ष पूर्व अवतरित हुए थे।

रामनवमी पूरे भारत में मनाई जाती है। यह बहुत पवित्र दिन है। यदि रामायण की अवधि 7500 ईसा पूर्व है, तो महाभारत का काल क्या है? महाभारत लगभाग 5,110 वर्ष पूर्व हुआ। श्री कृष्ण का देहावसान 5110 वर्ष पूर्व हो गया था। कृष्ण के शरीर छोड़ने की सही तिथि भी उपलब्ध है। उससे कुछ समय पूर्व ही महाभारत घटित हुआ था।

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राम नाम तथा रामायण का प्रचलन 

भगवान् राम का सम्बन्ध सभी एशियाई महाद्वीपों से है। इंडोनेशिया, मलेशिया और कम्बोडिया का पूरा बेल्ट रामायण से जुड़ा हुआ है।   

यह बेहद पुराना महाकाव्य माने ग्रन्थ है। इसका प्रभाव इतना अधिक है कि हजारों वर्षों बाद, आज भी भगवान् राम अपनी सच्चाई के लिए जाने जाते हैं। उन्हें पुरुषोत्तम भी कहा जाता है; एक आदर्श सम्राट। एक बार महात्मा गांधी ने कहा था, ‘आप मेरा सब कुछ ले लीजिये, मैं तब भी जीवित रह सकता हूं। परन्तु यदि आपने मुझसे राम को दूर कर दिया तो मैं नहीं रह सकता।’

उन्होंने मृत्यु से पूर्व जो अंतिम शब्द कहे थे, वह ‘हे राम!’ थे। भारत के लगभग हर क्षेत्र में राम को पाया जा सकता है। हर राज्य में हमें एक ‘रामपुर’ या एक ‘रामनगर’ मिल ही जायेगा! हर जगह, किसी पत्र पर केवल ‘रामनगर’ लिखने से डाक विभाग भ्रमित हो जायेगा। भारत में हजारों ‘रामनगर’ हैं। अध्ययन से पता चला है कि ‘यूरोप’ में भी राम से सम्बंधित हजारों नाम हैं।

आस्ट्रेलिया को संस्कृत में अस्त्रालय कहा जाता है। क्या हम आस्ट्रेलिया का अर्थ जानते हैं? अस्त्रालय का अर्थ है ‘अस्त्र रखने का भण्डारगृह। अस्त्र का अर्थ होता है ‘हथियार’। रामायण काल के दौरान उन लोगों ने वहां अनेक प्रकार के अस्त्र रखे थे। वहां अस्त्र बनाए भी जाते थे। उन अस्त्रों के कारण वहां केंद्र में रेगिस्तान भी था, जिसके कारण वह स्थान निर्जन था। अब भी वह निर्जन ही है। हां!

योग वाशिष्ठ के ज्ञान का महत्व 

महर्षि वशिष्ठ द्वारा राम को ‘योग वशिष्ठ’ का ज्ञान दिया गया था। यह इस धरती पर अब तक किये गए सर्वाधिक अद्भुत कार्यों में से एक है! आप में से कितने लोगों ने इसे पढ़ा है? जिन्होंने भी अब तक नहीं पढ़ा है, उन्हें जरूर पढ़ना चाहिए। हो सकता है आपको ये समझ में न आए, पर आप इसे पढ़ें जरूर। यह वास्तव में बहुत सुंदर ज्ञान है। इसके कुछ भाग समझने के लिए कठिन हैं, तो उन्हें छोड़ कर आगे बढ़ जाएं।

                 

 

योग वशिष्ठ उच्च प्रकृति के गणित की तरह है। यह ग्रन्थ इतना लोकप्रिय नहीं हुआ क्योंकि यह समझने में कुछ कठिन है और इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। इसका कारण यह था कि ‘इसे केवल सुपात्र को ही प्रदान किया जाता था’। इसे PhD की भांति रखा गया था। यह भी एक कारण है कि यह भगवत गीता की भांति लोकप्रिय नहीं हो सका। यहां तक कि अष्टावक्र गीता को भी आम जनता ज्यादा नहीं जानती है। भगवत गीता सरल एवं सुगम है।

~ गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी की ज्ञान वार्ता से संकलित