शव एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- मृत शरीर। इस आसन का नाम लेटे हुए मृत शरीर की मुद्रा से लिया गया है। यह विश्राम और आराम की स्थिति है जिसका अभ्यास सामान्यत योग सत्र के अंत में किया जाता है। योग सत्र आरंभ तो क्रियाशीलता से होता है और उसका अंत विश्राम में होता है। यह वह स्थिति है जब आपके शरीर को पूर्ण विश्राम मिलता है।
शवासन करने की विधि
- अपनी पीठ के बल लेट जाएँ, दोनों टाँगे साथ में हों परन्तु एक दूसरे को स्पर्श न करते हुए, हथेलियाँ आकाश की ओर खुली, दोनों बाजू शरीर के साथ रखें।
- अपने चेहरे की माँसपेशियों को ढीला रखते हुए आँखों को धीरे से बंद करें। नासिकाओं से धीरे धीरे गहरी साँसे लेते रहें।
- अब सिर से आरंभ करते हुए अपना ध्यान शरीर के एक एक अंग पर ले कर जाएँ और उस अंग को सजगता पूर्वक विश्राम में लाते हुए नीचे की ओर आते जाएँ और इस प्रकार पाँव तक पहुँचे।
- शवासन में तीन से पाँच मिनट या उससे भी अधिक समय तक बने रहें। यदि आपको इस आसन में नींद आने लगे तो साँस को थोड़ा तीव्र तथा अधिक गहरा कर लें।
अवधि/ पुनरावृत्ति:
यह अनुशंसा की जाती है कि आप अपना योग सत्र कम से कम 3 से 5 मिनट तक शवासन के साथ आरंभ करें। सत्र में विभिन्न आसन करते हुए बीच बीच में शरीर तथा मन को विश्राम देने के लिए शवासन को दोहराते रहें और पूरे अभ्यास सत्र का समापन कम से कम 3 से 5 मिनट के एक और शवासन के साथ करें।
सुदर्शन क्रिया सीखें
विश्व की सबसे शक्तिशाली साँसों की तकनीक - सुदर्शन क्रिया सीखें, जो 4.5 करोड़ से अधिक लोगों की प्रिय तथा अभ्यास की जाने वाली प्रक्रिया है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि • तनाव से मुक्ति • संबंधों में सुधार • आनंदमय और उद्देश्यपूर्ण जीवन
शवासन के लाभ
- इस आसन में विश्राम की गहरी, ध्यानस्थ अवस्था प्राप्त होती है, जो हमारे शरीर की टिशूज़ और कोशिकाओं का जीर्णोद्धार करने तथा तनाव से राहत दिलाने में सहायक है। इस आसन से योगाभ्यास के लाभ को शरीर में गहरे , सूक्ष्म स्तर तक पहुँचने के लिए समय भी मिल जाता है।
- यह आसन हमें पुनर्युवन की स्थिति में ले जाता है। किसी भी योगाभ्यास सत्र, विशेषतया यदि वह तीव्र गति से किया गया हो, का समापन करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
- यह रक्त चाप, चिंता और अनिद्रा की समस्या को कम करने में सहायक है।
- यह शरीर को पृथ्वी तत्व से समन्वयित करने और शरीर में वात दोष (वायु तत्व का असंतुलन) को कम करने का उत्तम उपाय है।
निषेध
कोई नहीं (जब तक कि आपके डॉक्टर ने किसी स्वास्थ्य कारण के चलते आपको पीठ के बल सोने के लिए मना न किया हो)।
सभी योग आसन पिछला योग आसन: विष्णु आसन अगला योग आसन: नौकासनशवासन को लेकर पूछे जाने वाले कुछ सामान्य प्रश्न
2. जब आप दायीं करवट लेटे होते हैं तो आपके हृदय पर कोई दबाव नहीं पड़ता।






