उत्सव | Festivals in Hindi

भारत को सांस्कृतिक और पारंपरिक त्योहारों के देश के रूप में जाना जाता है l भारत में हर महीने त्योहारों का आनंद लिया जा सकता है। प्रत्येक उत्सव को अलग-अलग रीति-रिवाजों, विश्वासों और इसके पीछे के महत्वपूर्ण इतिहास के अनुसार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

इस लेख में भारत के कुछ त्योहारों और उनके महत्व पर प्रकाश डाला गया हैl

मकर संक्रांति का महत्त्व सूर्य के उत्तरायण हो जाने पर मनाया जाता है। शीत काल जब समाप्त होने लगता है तो सूर्य मकर रेखा का संक्रमण करते (काटते) हुए उत्तर दिशा की ओर अभिमुख हो जाता है, इसे ही को उत्तरायण कहा जाता है। एक फसल काटने के बाद इस दौरान दूसरे फसल के लिए बीज बोया जाता है।

एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं। इनमे से मकर संक्रांति का महत्त्व सर्वाधिक है, क्योंकि यहीं से उत्तरायण पुण्य काल (पवित्र/शुभ काल) आरम्भ होता है। उत्तरायण को देवताओं के काल के रूप में पूजा जाता है। वैसे तो इस सम्पूर्ण काल को ही पवित्र माना जाता है, परन्तु इस अवधि का महत्त्व कुछ ज्यादा है। इसी के बाद से सभी त्यौहार आरम्भ होते हैं। और पढ़िए

 

होली भारत का बहुत ही लोकप्रिय और हर्षोल्लास से परिपूर्ण त्यौहार है। लोग चन्दन और गुलाल से होली खेलते हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च माह के आरम्भ में यह त्यौहार मनाया जाता है। लोगों का विश्वास है कि होली के चटक रंग ऊर्जा, जीवंतता और आनंद के सूचक हैं। होली की पूर्व संध्या पर बड़ी मात्रा में होलिका दहन किया जाता है और लोग अग्नि की पूजा करते हैं। और पढ़िए

 

नव वर्ष की प्रणाली ब्रह्माण्ड पर आधारित होती है, यह तब शुरु होता है जब सूर्य या चंद्रमा मेष के पहले बिंदु में प्रवेश करते हैं। आज, चंद्रमा मेष राशि में प्रवेश कर चुका है और दिन बाद अर्थात 13 अप्रैल को सूरज मेष राशि के पहले बिंदु में प्रवेश करेगा, जिस दिन हम बैसाखी मनाते हैं, यह भी एक नए साल का दिन है। और पढ़िए

 

राम का अर्थ है स्वयं का प्रकाश; स्वयं के भीतर ज्योति। "रवि" शब्द का अर्थ भी ‘र’ के सामान ही है, जिसका अर्थ होता है प्रकाश, वि का अर्थ है, विशेष। इसका अर्थ है, हमारे भीतर का शाश्वत प्रकाश! हमारे ह्रदय का प्रकाश ही राम है।इस प्रकार हमारी आत्मा का प्रकाश ही राम है। राम नवमी हमारे भीतर के दिव्य प्रकाश के जन्म पर मनाया जाता है। भगवान राम का जन्म राजा दशरथ और रानी कौशल्या के यहाँ हुआ था। और पढ़िए

 

उन समय में लोग कुछ ध्वजाओं का प्रयोग करते थे, जैसे कि हर राजनीतिक दल आज किसी झंडे का प्रयोग करता है। प्राचीन समय वे लोग हनुमान का प्रयोग करते थे क्योंकि यह जीत का संकेत है, और कृष्ण ने इसे चुना क्योंकि कृष्ण हमेशा जो कुछ भी लेते हैं, वह जीत जाता है। और पढ़िए

 

रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसके पहली वाली पूर्णिमा गुरु-पूर्णिमा थी, जो गुरु और शिक्षकों को समर्पित थी। रक्षाबंधन पर आप राखी बांधते हैं, जिसे हम दोस्ती का धागा भी कहते हैं। यह नाम तो अंग्रेज़ी में अभी रखा गया है, लेकिन रक्षा बंधन तो पहले से ही था। ये एक रक्षा का रिश्ता है, जहाँ बहन भाई की रक्षा करती है। इस साल रक्षाबंधन ७ अगस्त २०१७ को मनाया जायेगा। और पढ़िए

 

हमारी प्राचीन कहानियों का सौंदर्य यह है कि वे कभी भी विशेष स्थान या विशेष समय पर नहीं बनाई गई हैं। रामायण या महाभारत प्राचीन काल में घटी घटनाएं मात्र नहीं हैं। ये हमारे जीवन में रोज घटती हैं। इन कहानियों का सार शाश्वत है।कृष्ण जन्म की कहानी का भी गूढ़ अर्थ पढ़ें। और पढ़िए

 

पितृ दोष वह है जब एक आत्मा अपने पुत्रों या पुत्रियों के बारे में अच्छी भावनाएं नहीं रखती।इसका एक उपाय है जिसे ‘तर्पण’ कहते हैं। जो स्वर्गवासी हो गए हैं, उन्हें हम तिल अर्पण करते हैं और कहते हैं कि आपके मन में जो भी बातें चल रहीं थीं, वे सब तिल के समान छोटी हैं। तो जब माता-पिता की मृत्यु हो जाती है, तब बच्चे पानी में कुछ तिल के बीज डालते हैं और माता-पिता को समझाते हैं कि उन्हें तिल के समान छोटी-छोटी सांसारिक बातों की चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि आगे बढ़ना चाहिए। मरने के बाद भी पुत्र या पुत्री शव के कान में यही ज्ञान देते हैं। और पढ़िए

 

इतिहास में कभी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं हैं, उनके उपलक्ष्य में ही आज त्यौहार मनाये जाते हैं। हम क्रिसमस मनाते हैं क्योंकि उस दिन कुछ महत्वपूर्ण बात हुयी थी। लोग ईद मनाते हैं क्योंकि भूतकाल में उसी दिन कुछ अच्छा हुआ था। इस प्रकार हम उत्सव मनाते हैं। हर त्योहार के पीछे कोई कहानी है या फिर उसका कोई ज्योतिषी महत्व है। जैसे करवा चौथ पूर्णिमा का चौथा दिन होता है जिसमें महिलाएं पूरा दिन अपने पति के कल्याण के लिए व्रत करतीं हैं और फिर उसके बाद उत्सव मनातीं हैं व अच्छा भोजन करतीं हैं। यह प्रथा है और इसके पीछे कुछ कहानियां हैं। करवा चौथ की भी एक कहानी है। और पढ़िए

भारत पूरे विश्वभर में अपनी अनोखी संस्कृति व परम्पराओं के लिए जाना जाता है। यह देश त्योहारों का देश है और यह सभी त्योहार हमारे संस्कारों तथा वैदिक परंपराओं को आज की पीड़ी तक पहुँचाने का एक माध्यम है। इन में से एक त्योहार अहोई अष्टमी का है, जिसमे सभी माताएं अपनी संतान की दीर्घ आयु और मंगलमय जीवन के लिए उपवास रखती हैं। और पढ़िए

दिवाली का महत्व

दीवाली का मतलब है प्रकाश का त्यौहार। आप में से हर कोई अपने आप में एक प्रकाश है। यह त्यौहार सारे भारत, नेपाल, सिंगापोर, मलेसिया, श्री लंका, इंडोनेसिया, मारीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और दक्षिण अफ्रीका में मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को दिवाली की शुभ कामनाएं देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। दिवाली के समय हम अतीत के सारे दुःख भूल जाते हैं। जो कुछ भी दिमाग में भरा पड़ा हो, आप पटाखे चलाते हो और सब भूल जाते हो। पटाखों की तरह अतीत भी चला जाता है,सब जल जाता है और मन नया बन जाता है। यही दिवाली है। और पढ़िए

कार्तिक पूर्णिमा | Kartik Poornima in Hindi

कार्तिक पूर्णिमा एक प्रसिद्ध उत्सव है जिसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' या 'त्रिपुरारी पूर्णिमा' के रूप में भी जाना जाता है, जो त्रिपुरास राक्षस पर भगवान शिव की विजय का जश्न है। जब कार्तिक पूर्णिमा 'क्रितिका' नक्षत्र में आती है, इसे महा कार्तिक कहा जाता है, जिसका अधिक महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा भी 'देव दीपावली' के रूप में मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा का हिंदुओं, सिखों और जैनों के लिए महान महत्व है। और पढ़िए

छठ पूजा | Chhath Puja in Hindi

छठ पूजा एक प्राचीन महोत्सव है जिससे दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है। छठ पूजा को सूर्य छठ या डाला छठ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। छठ पूजा को बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत देश के विभिन्न महानगरों में मनाया जाता है। और पढ़िए

गुरु नानक जयंती | Guru Nanak Jayanti in Hindi

गुरु नानक देव जी के जन्मदिन पर गुरुदेव जी श्री श्री रवि शंकर जी का संदेश। 500 साल पहले भारत में गुरु नानक देव जी नामक एक महान संत थे। गुरु नानक देव जी पंजाब के रहने वाले थे। गुरु नानक देव जी ने बगदाद तक आध्यात्मिकता, परमेश्वर के साथ एकता, और भक्ति के महत्व को फैलाया था। और पढ़िए

About christmas in hindi

आपमें से प्रत्येक व्यक्ति इस पृथ्वी के लिए एक उपहार है!! आप ही क्रिसमस का पेड़ हैं। क्रिसमस का पेड़ ऊपर की ओर उगता है और उसकी शाखाएं चारों ओर फैलतीं हैं। इसी प्रकार, हम सबके अन्दर यह योग्यता है कि हम मानव क्षमता के उच्चतम स्तर पर पहुँच सकें। और पढ़िए

 

happy new year in hindi

नव वर्ष (नया साल) वह समय है जब लोगों को अचानक लगता है कि, ‘ओह! एक साल बीत गया!’ हम कुछ पलों के लिए स्तब्ध हो जाते हैं कि समय कितनी जल्दी बीत जाता है, और फिर हम वापिस अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। मज़े की बात यह है कि ऐसा साल में लगभग एक बार तो होता ही है।

यदि हम आश्चर्य के इन क्षणों की गहराई में जाएँ, तब हम पाएंगे कि हमारे भीतर कुछ ऐसा है जो सभी घटनाओं को साक्षी भाव से देख रहा है। हमारे भीतर का यह साक्षी भाव अपरिवर्तित रहता है और इसीलिए हम समय के साथ बदलती घटनाओं को देख पाते हैं। और पढ़िए

शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना में हुआ। उनके बचपन का नाम गोविंद राय था और वे दसवें सिख गुरु थे। एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ वे एक निर्भयी योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे।

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Founded in 1981 by Sri Sri Ravi Shankar,The Art of Living is an educational and humanitarian movement engaged in stress-management and service initiatives.Read More