आयुर्वेद द्वारा खाँसी का घरेलू इलाज (Khansi ka Ilaj)

आयुर्वेद द्वारा खाँसी का घरेलू उपाय 


हल्दी पाउडर

हल्दी में रोगाणुरोधक (एंटीसेप्टिक), जीवाणुरोधी (एंटीबैक्टीरियल), जलन को रोकने की दवा (एंटी इंफ्लेमेटरी),  रोग प्रतिरोधक (एंटी ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज) गुण होते हैं।

  • आधी चाय की चम्मच हल्दी गर्म दूध में मिला लें। 15 दिनों तक दिन में दो बार पियें। यह खाँसी को कम करके बलगम को गले से निकाल देता है। यह सर्वश्रेष्ठ उपायों में से एक उपाय है।
  • 10 चम्मच हल्दी पाउडर को 5 चम्मच गुड़ में अच्छी तरह मिलाकर करौंदे के आकार की गोलियाँ बना लें। दिन में दो बार लें।
  • यदि आपको बलगम बहुत अधिक हो गया है तो, एक चम्मच देसी घी गर्म दूध में मिलाकर पिएं।

एक बड़ा चम्मच अजवाइन और एक बड़ा चम्मच हल्दी पाउडर एक गिलास पानी के साथ उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो गैस से उतार कर ठंडा होने दें। थोड़ा सा शहद इसमें मिला लें। इस सिरप को दिन में दो-तीन बार पिएं। यह छाती में जकड़न को समाप्त करके खुलकर सांस लेने में सहायता करेगा।

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काली मिर्च

खाँसी का कोई भी उपचार काली मिर्च द्वारा किया जा सकता है। यह बलगम की झिल्ली को ढीला करता है तथा छाती के जमाव को कम करता है और खोलता है।

  • आप दो तीन साबुत काली मिर्च आधे घंटे तक धीरे धीरे चबाएं (निगले नहीं) उसके ऊपर एक चम्मच शहद खा लें, फिर धीरे-धीरे चबाई हुई इस काली मिर्च को निगल लें।
  • यदि काली मिर्च के तीखे स्वाद के कारण आपको इस को चबाने में तकलीफ हो रही है तो दो तीन काली मिर्च एक गिलास दूध में मिलाकर पी लें।
  • काली मिर्च और आजवाइन को थोड़ी मात्रा में लेकर आधा चम्मच नमक मिलाकर धीरे-धीरे चबाएं।

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तुलसी

श्याम या काली तुलसी के रस को शहद में मिलाकर खाने से खाँसी में आराम मिलता है।


अदरक का काढ़ा

  • दिन में दो बार आधी छोटी चम्मच अदरक के रस में उसी मात्रा में शहद मिलाकर लें।

  • अदरक का सीरप बनाने के लिए आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर, एक बड़ा चम्मच सिरका और शहद मिला दें। इसमें दो तीन चम्मच पानी मिलाकर एक तरफ रख दें। इस खाँसी के सिरप को दिन में दो तीन बार ले सकते हैं।

  • एक छोटी चम्मच ताजा पिसा हुआ अदरक लें, एक बड़ा चम्मच मेथी दाना और 7 कालीमिर्च लें  इन सबको दो कप पानी में तब तक उबालें जब तक यह केवल एक कप के बराबर ना रह जाए। इस काढ़े  को दिन में तीन चार बार पीएं।

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प्याज

प्याज के अंदर बेहतरीन जीवाणुरोधक, अज्वलनशील, तथा अनेक कीटाणुनाशक तत्व पाए जाते हैं। निमोनिया के इलाज में प्याज बेहद प्रभावशाली है। श्वासनली-शोथ (ब्रांकाइटिस), अस्थमा, साधारण जु़काम और खाँसी में भी प्याज लाभकारी है। खाँसी के उपचार में प्याज की महत्वपूर्ण भूमिका है। कटी हुई प्याज का रस पीने से बलगम ढीला हो जाता है, जिससे छाती की जकड़न कम हो जाती है।

  • एक-दो छोटी चम्मच प्याज का रस लें, इसमें एक-दो छोटी चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को 5 घंटे के लिए अलग रखें, फिर रोगी को इसमें से एक-एक चम्मच रस दिन में दो-तीन बार दें।

  • एक-दो छोटी चम्मच प्याज के रस में एक-दो छोटी चम्मच नींबू का रस निचोड़े, थोड़ा पानी डालकर उबालें। जब ठंडा हो जाए 1-2 छोटी चम्मच शहद मिलाएं। इस कफ सिरप को 5 घंटे के लिए अलग रखें। फिर दिन में दो तीन बार एक छोटी चम्मच यह सिरप लें।

  • 1-2 छोटी चम्मच प्याज के रस में गुड़ मिलाएं तथा पैन में गर्म करें। जब यह मोम जैसा गाढ़ा होने लगे तब गैस पर से उतार कर ठंडा होने दें। इसको दिन में दो-तीन बार लें।

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अदरक लहसुन की चाय

खाँसी और गले के दर्द के लिए बहुत फायदेमंद। यह चाय न केवल गले के दर्द में आराम देगी बल्कि यह बलगम की झिल्ली को ढीला कर के छाती की जकड़न भी कम करेगी। एक छोटा अदरक का टुकड़ा, 1-2 लहसुन की कलियाँ, कुछ बूंदे नींबू का रस उबलते पानी में डालें, 15-20 मिनट इस पानी को उबालें। इस को छानकर एक तरफ रखें, थोड़ा सा शहद मिलाकर रोगी को दें। नींबू का रस खाँसी को कम करने तथा साँस लेने में आसानी में मदद करता है।

नींबू चिकित्सीय ऐंटि-ऑक्सिडेंट व प्रतिरक्षा बढ़ाने की शक्ति (इम्यून बूस्टर पॉवर) के लिए जाना जाता है।

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यष्टिमधु लौंग अडूसा 

  • यष्टिमधु चाय खाँसी में तथा बैठे हुए गले में लाभकारी है। यष्टिमधु कफ निस्सारक का काम करती है। यष्टिमधु (मुलेठी) के काढ़े को आधी छोटी चम्मच शहद के साथ दिन में दो तीन बार लें।

  • ताजी लौंग चबाएं। इसको चबाने से इसका रस सांस नलिकाओं को खोल कर सांस लेने में राहत पहुँचाता है।

  • खाँसी के साथ अगर श्वास फूल रही हो तो अडूसा (वासा) के रस को शहद के साथ लेने से आराम मिलता है।

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सूखी खाँसी 

10 खजूर, 20 किशमिश, एक चम्मच विदांगा पाऊडर और 10 काली मिर्च का पाउडर, शहद के साथ मिलाकर लेह यानी जैम बना लें। दिन में तीन-चार बार एक चौथाई चाय का चम्मच लें।

छोटे बच्चों की खाँसी 

  • तुलसी पत्तों के रस को शहद में मिलाकर दिन में दो तीन बार बच्चों को दें।
  • कपूरावली (इंडियन बोरेज ऑरिगेनो) एक बेहतरीन कफ निस्सारक और स्वेदजनक (पसीना लानेवाली) है। कपूरावली के पत्तों के रस की तीन-चार बूंद शहद के साथ मिलाकर बच्चों को दें। इससे बलगम बाहर निकलने में मदद मिलेगी। 
  • मुलायम पनिकूरका पत्तियों के रस की दो बूंदे माँ के दूध के साथ बच्चों को दें। इससे उल्टी आएगी। बच्चा उल्टी के साथ बलगम बाहर निकाल देगा जिससे नाक तथा छाती में से बलगम साफ हो जाएगा। यह बलगम का आयुर्वेदिक उपचार जरूर मदद करता है।

नोट : यह सब घरेलू नुस्खे हैं। एक बार आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

        यह लेख आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक निशा मणिकंटन जी ने लिखा है।

 
Founded in 1981 by Sri Sri Ravi Shankar,The Art of Living is an educational and humanitarian movement engaged in stress-management and service initiatives.Read More