शिवरात्रि पर उपवास क्यों रखें?

संपूर्ण भारत वर्ष में उपवास या व्रत महाशिवरात्रि पर्व का एक महत्त्वपूर्ण अंग होता है। इस दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं। हिंदू धर्म के दूसरे त्यौहारों पर जहाँ पूजा के बाद भगवान को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है, वहीं शिवरात्रि का व्रत पूरे दिन चलता है और सुबह सूर्योदय के पश्चात ही इसको खोला जाता है।

शिवरात्रि व्रत रखने के पीछे एक कारण यह है कि उपवास या व्रत रखने से शरीर का निर्विषीकरण (शरीर से हानिकारक पदार्थ की सफाई होना) होता है और मन फिर से अपने सच्चे स्वरुप की और लौट आता है। शरीर में हल्कापन महसूस होता है और मन में हो रही उथल पुथल से राहत मिलती है। जैसे ही मन में उथल पुथल कम हो जाती है, मन सचेत और जागरूक हो जाता है, उसमें जागरूकता बढ़ने लगती है। ऐसा मन ध्यान और प्रार्थना के लिए तैयार होता है और यही है महाशिवरात्रि उत्सव का केंद्र बिंदु मन को सचेत एवं जागृत अवस्था में रखना।

निर्विषीकरण से मन एवं शरीर हल्का हो जाता है और इससे हमारी प्रार्थना को बल मिलता है। शिवरात्रि पर ध्यान और उपवास एक साथ करने से हमारी इच्छाएँ फलित होने लगती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति शिवरात्रि व्रत का पालन ईमानदारी और निष्ठा से करता है, भगवान शिव की कृपा उस पर बरसती है और उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

महाशिवरात्रि उपवास के कुछ सरल नियम

महाशिवरात्रि के उपवास के भी कुछ नियम हैं। कुछ श्रद्धालु निर्जल उपवास रखते हैं तो कुछ फलाहार करते हैं। वैसे उपवास में फल और जल का मिश्रण होना चाहिए, यानी यदि आपको प्यास लग रही है तो आपको जल का सेवन करना चाहिए और यदि आपको भूख है तो आपको फल का सेवन करना चाहिए। जिससे शरीर हल्का रहे और जो भी भोजन आप कर रहे हैं वो पच जाए। उपवास रखने से पहले बेहतर होगा कि आप अपना नाड़ी परीक्षण अवश्य  करवा लें। इससे यह पता चलेगा कि किस प्रकार उपवास करना आपके लिए उपयुक्त है ।

महाशिवरात्रि के समय आप जो भोजन करते हैं उसमें दाल, चावल, गेहूँ और सादे नमक का उपयोग नहीं होना चाहिए। सादे नमक की जगह आप सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं। व्रत के लिए उपयुक्त भोजन के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • साबूदाना खिचड़ी
  • कुट्टू के आटे की पूड़ी
  • सिंघाड़े का हलवा
  • सामा के चावल
  • कद्दू का सूप

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