श्री श्री रविशंकर जी के ५०० और १००० रुपये के विमुद्रीकरण पर विचार | Sri Sri Ravi Shankar Speaks on the Demonetization of 500 and 1000 currency notes

बहुत अच्छा फैसला लिया है। इससे नकली नोट बहुत जलाए जा रहे है। जिनके पास नकली नोट थे या बहुत ज्यादा कालाधन हैं वो डर के मारे उसे कुछ जगाओं पर बैग में डालकर जला रहे है क्योंकि २००% उन्हें देना पड़ेगा। २०१४ का पूराचुनाव (इलेक्शन) भ्रष्टाचार के खिलाफ था और जिस वायदे को लेकर हमारे प्रिय प्रधानमंत्री आगे आए और उसको उन्होंने पूरा कर दिया। ये सब अचानक नहीं किया।

पहले बोले सबका बैंक अकाउंट खोलो। करोड़ो लोगों के बैंक में खाते एक साल में खोले गए जो इतने सालों से नहीं हुआ था यह बहुत विशेष बात है। इतना तो कभी ७० साल में नहीं हुआ। पहली बार जिस व्यक्ति के पास पैसे भी नहीं हे उनके भी खाते खुल गए।

उसके बाद बोला काला धन लेके आओ ३० सितम्बर के अंदर सब जमा कर दो आपको माफ़ कर देंगे यह भी छूट दिया।अब साम दाम भेद दण्ड होता हे उसमे आखिरी दण्ड होता है। अब अगर कोई "हा-हा" करे या नाखुश हो तो ओ उनकी नासमझी है। ३० सितंबर के पहले ईमानदारी से कर लेते थे तो अच्छा था।

दीर्घकालीन श्रेय

जो भी कुछ हो रहा है उसमें तात्कालिक तकलीफ़े आती हे तो वह दीर्घकालीन श्रेयस के लिए सहने योग्य है। लंबे समय कोनज़र में रखते हुए आप देखोगे तो देश की भलाई इस में दिखती है। आम जनता या आम आदमी जो एक फ्लैट नहीं खरीद पाता था या एक छोटा जमीन नहीं खरीद सकता था ऐसी नोबत हमारे देश में आ गयी थी। जमीन का दाम आसमान पर पहुँच गया था। यह सभी चीजों पर इससे रोक लग गई। यह बहुतही आवश्यक और जरुरी कदम उठाया गया है | इससे कल्याण ही कल्याण होगा। थोड़ा बहुत तकलीफे आ रही है। मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है वो भी मैं समझता हूँ कि न के बराबर है।

स्वयंसेवकों का कार्य

आज हमारे स्वयंसेवक (वालंटियर्स) एटीएम (ATM) बूथ के पास लोगों को पानी देने के लिए या कुछ अगर तनाव से भर रहे हैं, असंतुष्ट हैं तो उन्हें समझाने के लिए या बात करने हेतु सब जगह गए है। उन स्वयंसेवकों का अनुभव यह हे की - लोग बड़े आराम से, हँसते हँसते, बातचीत करते हुए जो भी काम करना हैं वो कर रहे है। कोई झगड़ा झंजट नहीं नजर आया।थोड़ा बहुत इधर उधर हो तो स्वयंसेवक वहाँ खड़े रहेंगे, उनको शांत करेंगे, उनको पानी पिलाएंगे। दो तीन घंटे भूखे खड़े है तो मुश्किल होता ही है उन्हें खाना खिला देंगे। सबको समझा के वृधों को आगे करेंगे और कर रहे है। यह सब काम हमारे स्वयंसेवक जगह जगह कर रहे है|मैं उनके काम की सराहना करता हूँ। बैंक अधिकारी भी सतत काम कर रहे है, सुबह से शाम तक। एक दिन में इतना बोझ उन पर आ गया की इतना काम शायद वो कभी किये नहीं होंगे। स्वयंसेवक उनको भी प्रसन्न कर रहे हे, प्रोत्साहन दे रहे है। कई लोग गए हैं यह काम करने। यह जरुरी है अभी आने वाले चार-पाच दिन में पता नहीं घर में शादी है या और भी काम रहा होगा लेकिन लोग वह सब छोडके भी बैंको में अपने काम पर लगे हुए है। शनिवार और रविवार की छुट्टी छोड़ कर भी लोग काम पर लगे हुए है।

जगह जगह हमारे जो भी स्वयंसेवक है वो सब जाके लोगों को (बैंक कर्मचारियोंको) बधाई दीजिये, उनको प्रोत्साहित करिए, उनका उत्साह बढाईये। घबराने की कोई जरुरत नहीं है - ५० दिन दिए गए है आपको। एक ही दिन एटीएम पर टूट पड़ने की कोई आवश्यकता है। आराम से जा सकते है और हमारी जो मेहनत की कमाई है , घर में पैसेरखे है उन्हें कोई चिंता करने की जरुरत नहीं है। बैंक में कभी भी जाके जमा कर सकते है। हमारे पास ५० दिन है। घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है।

श्री श्री रविशंकर जी ने इस विषय पर ट्वीट (Tweet) भी किया है

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पूरे भारत वर्ष में काम  ठीक से हो इसलिए आर्ट ऑफ़ लिविंग के स्वयंसेवक लाइन में खड़े लोगों को और बैंक कर्मचारियों को मदद कर रहे है।


अनेक जगाओं पर स्वयंसेवक जाकर काम कर रहे है और बैंक कर्मचारियों ने भी उनके कार्य की प्रशंसा की है। ऐसी घडी में लोगों को मदद करना सच में एक अपने आप में  मिसाल है। इस आर्टिकल में दिखने वाले सभी फोटो देश के विभिन्न प्रान्तों से है और यह सेवा / कार्य सभी जगह यूँही चलता रहेगा।

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एफएआरसी (FARC) और कोलम्बियन सरकार के मध्य 26 सितम्बर को कार्टेजीना-डी-इंडीस में ऐतिहासिक 52 वर्षीय विवाद शांति समझौते के हस्ताक्षर के साथ औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। इस कार्यक्रम के लिए कोलम्बिया के राष्ट्र्पति द्वारा गुरूदेव श्री श्री रविशंकर जी को आमंत्रित किया गया था।

आर्ट आॅफ लिविंग के प्रणेता और आध्यात्मिक संत श्री श्री रविशंकरजी द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों को साथ लाने का अकल्पनीय कार्य किया है। इन वर्गो में पूर्व अलगाववादी, आतंक के शिकार लोग, युवा, महिलाएॅं, उद्यमी, काष्मीर के गैर सरकारी संगठन, सुफी लीडर, सेवानिवृत्त कर्मचारी, सिख समुदाय के लोग सभी ने मिलकर काश्मीर में ‘स्वर्ग की वापसी’ सम्मेलन में अपनी भागीदारी दी और चर्चा में भाग लिया।

 

कार्यकम के कुछ अंश:

  1. जीवन की रोज़ाना चुनौतियों का सामना करने का व्यवहारिक ज्ञान।
  2. इंटरैक्टिव अभ्यास
  3. योगासन और विश्रामदायक शारीरिक व्यायाम।
  4. ध्यान और प्रभावशाली श्वास प्रक्रियाएं।
  5. सुदर्शन क्रिया

सुदर्शन क्रिया एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। यह तकनीक तनाव, थकान और नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, निराशा, अवसाद से मुक्त कर शांत व एकाग्र मन, ऊर्जित शरीर, और एक गहरे विश्राम में लाती है।

‘श्री श्री योग’ योग में उपस्थित आन्तरिक विविधता का एक सरल और खुशहाल उत्सव है। यहां योग की विभिन्न मौलिक आवश्यकताएं, जैसे कि श्वास की विधियाँ, योगासन, ध्यान, विश्राम एवं योगिक ज्ञान इत्यादि का समन्वय किया जाता है । योग के इन सभी सुन्दर रूपों को अपनाकर हम सभी शारीरिक स्तर के पार भी देख पाते हैं और अपने अस्तित्व के सूक्ष्म स्तर के प्रति और सचेत एवं संवेदनशील बन जाते हैं।

‘सहज’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्राकृतिक’ या ‘ जो बिना किसी प्रयास के किया जाए’| ‘समाधि’ – एक गहरी, आनंदमयी और ध्यानस्थ अवस्था है| अतः ‘सहज समाधि’ वह सरल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम आसानी से ध्यान कर सकते हैं|

ध्यान करने से सक्रिय मन शांत होता है, और स्वयं में स्थिरता आती है|जब मन स्थिर होता है, तब उसके सभी तनाव छूट जाते हैं, जिससे हम स्वस्थ और केन्द्रित महसूस करते हैं|

 

 

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