आयुर्वेद

असंतुलित पित्त को संतुलित करने की 5 सरल व्यंजन विधियां

हमारा जन्म एक अनूठी शारीरिक संरचना के साथ हुआ है। आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर 5 तत्वों तथा 3 दोषों ( जैव गतिकीय  अथवा बायोडायनेमिक शक्तियां) वात, पित्त और कफ से मिलकर बना है। जब यह तीनों दोष संतुलित अवस्था में होते हैं, तब हमारे शारीरिक और मानसिक लक्षण भी इनके अनुरूप दिखाई देते  हैं। फलस्वरूप, हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

कभी-कभी यह तीनों दोष असंतुलित हो जाते हैं। इस असंतुलन का कारण अनुचित खानपान, समय तथा ऋतुओं का बदलाव आदि हो सकते हैं। आयुर्वेद, शारीरिक बनावट को समझने,  बीमारियों से इसका बचाव करने तथा उनको दूर करने में हमारी सहायता करता है। यह कार्य, शारीरिक संरचना के अनुसार, खान-पान तथा जीवन-शैली में सुधार और परिवर्तन लाकर किया जाता है।

असंतुलित पित्त 

असंतुलित पित्त के लक्षण -

  1. लगातार भूख और प्यास का अनुभव होना
  2. माइग्रेन(आधे सिर का दर्द)
  3. बार-बार चक्कर का अनुभव होना
  4. बार-बार गर्मी का अनुभव होना
  5. भोजन में देर होने से जी मिचलाना
  6. यदि आप में उपरोक्त कोई भी लक्षण हैं, तो आपका पित्त असंतुलित हो सकता है। ऐसे में आपको पित्त शांत करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, समुचित पाक विधियों की सहायता से करना चाहिए।

लाभदायक परामर्श - 

  1. पित्त को संतुलित करने के लिए तीखे, कसैले और मीठे स्वाद-युक्त भोजन करें। भोजन में दूध और घी का प्रयोग भी करें   
  2. नियमित रूप से और निश्चित समय पर ही भोजन करें
  3. खट्टे फलों के स्थान पर मीठे फलों का उपयोग करें
  4. पित्त शांत करने वाली पाक विधियों और भोज्य पदार्थों का उपयोग अवश्य करें

अब ध्यान करना है बहुत आसान ! आज ही सीखें !

 

पित्त संतुलित करने वाले कुछ स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन

1. खट्टा-मीठा सलाद

सामग्री -

एक कप लाल या सफेद क्विनोआ के बीज      

2 कप पानी

एक बड़ा नींबू

एक चौथाई छोटा चम्मच पिसा धनिया

एक चौथाई छोटा चम्मच पिसा जीरा

एक चौथाई छोटा चम्मच पिसी हुई लाल शिमला मिर्च

दो मध्यम आकार के पके हुए एवोकाडो या मक्खन फल, छिले और आधा इंच के टुकड़ों में    कटे हुए 

ताज़ी पिसी काली मिर्च 

नमक स्वादानुसार 

तैयार करने की विधि -

क्विनोआ को ठंडे पानी में अच्छी तरह धो लें 

प्रेशर कुकर में इसे पानी के साथ तब तक पकाएं जब तक यह फूल कर मुलायम ना हो जाए

एवोकाडो को इसमें मिला दें और इस पर नींबू निचोड़ दें

सभी मसालों को मिला दें तथा स्वादानुसार नमक डालें

अच्छी तरह मिलाएं और परोसें 

परामर्श -

आमतौर पर, ज़्यादातर मीठी और कड़वी सब्जियां पित्त संतुलन के लिए उपयोगी होती हैं।  आप निम्नलिखित सब्जियों में से चुन सकते हैं - करेला, चुकंदर, ब्रोकली, पत्तीदार और अंकुरित सब्जियां, अंकुरित अनाज, पत्ता गोभी, फूलगोभी, अजवाइन के पत्ते, हरा धनिया, खीरा, हरी बीन्स, सलाद के पत्ते, भिंडी, मटर, शिमला मिर्च, शकरकंद, अनार, सूखे जामुन, सूखे बेर, आलू बुखारा, किशमिश आदि। 

सलाद सजाने के लिए नारियल का गाढ़ा दूध, काली मिर्च, अदरक, कटा हरा धनिया, नमक आदि का प्रयोग करें।

 

2. कद्दू, जड़ी बूटियों और मसालों का सूप 

सामग्री - 

एक कप सफेद कद्दू, छोटे-छोटे टुकड़ों में कटा

एक कप हरी बींस छोटे-छोटे टुकड़ों में कटी

एक चौथाई कप हरी मूंग की दाल

आधा इंच ताजा अदरक का टुकड़ा कद्दूकस किया हुआ 

एक चौथाई छोटा चम्मच पिसा जीरा

एक चौथाई छोटा चम्मच पिसी हल्दी

एक चौथाई छोटा चम्मच पिसी कालीमिर्च 

एक चौथाई छोटा चम्मच पिसा धनिया

ताजा पुदीना, रोजमेरी और अजवाइन स्वाद के लिए        

बनाने की विधि -

सफेद कद्दू और बींस को अलग-अलग उबाल लें 

मूंग दाल को पकाकर सब्जियों में मिला दें 

शेष बची सामग्रियों और मसालों को भी मिला लें 

इस मिश्रण को अच्छी तरह मसल कर मिलाएं एवं गर्म गर्म ही परोसें  

 

3. खिचड़ी (चावल-दाल वाली)

सामग्री -

तीन चौथाई कप बिना पॉलिश किया सफेद चावल या चमेली चावल

आधा कप टूटी हरी मूंग की दाल

छौंकने और सजाने के लिए -

एक छोटा चम्मच जीरा

आधा छोटा चम्मच हल्दी

एक छोटा चम्मच धनिया

एक छोटा चम्मच दालचीनी

कुछ करी पत्ते

काली मिर्च

सेंधा नमक

शुद्ध घी 

बनाने की विधि -

एक भाग चावल-दाल मिश्रण में तीन भाग पानी मिलाएं तथा धीमी आंच पर पकाएं

यदि आवश्यक हो तो, पकाने के समय और पानी मिलाएं

स्वादानुसार नमक डालें तथा इस खिचड़ी को छौंक लें 

छौंकना -

एक चम्मच शुद्ध घी गर्म करें

जीरा, दालचीनी, धनिया, करी पत्ता, हल्दी आदि डालकर तलें 

इसे खिचड़ी में डालकर मिलाएं 

ऊपर से थोड़ा शुद्ध घी स्वादानुसार मिलाएं

परामर्श-

पुराने चावल तथा टूटी हरी मूंग दाल की खिचड़ी, ज्वर और पेट की बीमारियों में लाभदायक है। 

गर्भावस्था के दौरान इसे घी या मक्खन के साथ खाने का परामर्श दिया जाता है।

पित्त दोष निवारण के लिए दी गई इस आयुर्वेदिक पाक-विधि में प्रयुक्त सफेद चावल, बिना पॉलिश एवं बिना सफेदी किया ही होना चाहिए। इसका प्रभाव ठंडा, मीठा और पौष्टिक होता है। यह आसानी से पचता है।

चमेली चावल ठंडा और उर्जा-दायक है। यह पेट की सफाई में भी सहायता करता है।

 

4. हरी बीन्स, हल्दी और अदरक के साथ

सामग्री -

 3 कप हरी बीन्स,आधा-आधा इंच के टुकड़ों में कटी हुई

आधा कप पानी

दो बड़े चम्मच घी 

2 बड़ा चम्मच घिसा हुआ ताजा अदरक

एक चुटकी हींग

आधा छोटा चम्मच सरसों के दाने 

एक छोटा चम्मच हल्दी

नींबू का रस

नमक स्वादानुसार

बनाने की विधि -

हरी बीन्स को एक बर्तन में, पानी के साथ उबालें। एक चुटकी नमक डालकर चलाएं

बीन्स को मुलायम होने तक पकाएं। फिर आँच  बंद कर दें। दूसरे पैन में घी गर्म करके उसमें मसालों को डालें। जब सरसों चटकने लगे, तब उसमें हल्दी और हींग डालें। अदरक भी मिला दें। जब सुगंध फैलने लगे, इस मिश्रण को बीन्स  में डाल दें। इसे अच्छी तरह मिलाएं एवं स्वादानुसार नमक डालें। थोड़ा नींबू का रस भी मिला लें तथा गर्म गर्म ही परोसें। 

 

5. दूध और चावल की खीर (टूटे हुए चावल की पुडिंग)

सामग्री -

आधा कप (बिना पॉलिश किए) लाल चावल

चार कप दूध

एक छोटा चम्मच काजू के टुकड़े

एक छोटा चम्मच किशमिश

3 हरी इलायची

एक छोटा चम्मच बूरा शक्कर या मिश्री

एक छोटा चम्मच घी

बनाने की विधि -

टूटे लाल चावल को 2 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। अब चावल से पानी छान लें तथा चावल को दूध में डालकर उबालें। इसे लगातार चलाएं। मिश्रण गाढ़ा हो जाए तब इसमें चीनी डालें

काजू को घी में सुनहरा-भूरा होने तक तलें। अब इसमें किशमिश भी मिलाकर हल्का- सा तलें  

चावल-दूध के गाढ़े मिश्रण में इसे मिलाकर गर्म गर्म परोसें।

 

उपरोक्त पाक-विधियां, पित्त संतुलन के कारण उत्पन्न गर्मी एवं वमनकारी प्रवृत्तियों को निष्प्रभावी करने एवं स्थिरता लाने में सहायक हैं। पित्त दोष को संतुलित करने में खानपान के अतिरिक्त, कुछ आयुर्वेदिक चिकित्साएं भी सहायक हो सकती हैं। 

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~ डॉक्टर सारिका मेनन “आयुर्वेद” द्वारा दी गई जानकारियों पर आधारित

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