ध्यान (meditation)

ध्यान और गर्भावस्था | Meditation and Pregnancy

गर्भावस्था किसी भी स्त्री के जीवन में महत्वपूर्ण चरण होता है। यह एक ऐसा समय जिससे किसी भी स्त्री की भविष्य से बहुत सारी उमीदें जुडी हुई होती हैं। यह आनंदित होने का समय है और एक नए जीवन को दुनिया में लाने का समय होता है। इस अवस्था में महिलाएं अनेक शारीरिक, मानसिक, व भावनत्मक परिवर्तनों से गुज़रती हैं। इस दौरान मां गहन विकास का अनुभव करती है। कुछ रोचक तथा कुछ कठिन अनुभव।

मां होने के नाते, आपको लगातार स्वयं को बदलाव के साथ समायोजित करना पड़ता है, और इस समय के दौरान होने वाले परिवर्तनों को स्वीकारना होता है। यह आप के वश से बाहर होते हैं तथा इनके कारण आपको बेचैनी महसूस हो सकती है। गर्भावस्था में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों से बाहर निकलने के लिए ध्यान एक उत्तम साधन है। यह आपको राहत देगा तथा गर्भावस्था की विभिन्न अवस्थाओं को संभालने में सहायता करेगा। जीवन के इस खूबसूरत क्षण में आसानी से प्रवाहित होने में आपको सक्षम करेगा। आपके अंदर एक नया जीवन विकसित हो रहा है, यह वास्तविकता आप को आनंदित रखने में सहायक होगी।

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गर्भावस्था की प्रत्येक तिमाही में होने वाले विकास की एक झलक:

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पहली तिमाही

आपके शरीर में हारमोनल परिवर्तन होंगे। आपको सुबह के समय बेचैनी महसूसहोगी (मॉर्निंग सिकनेस) और सीने में जलन का भी अनुभव हो सकता है। क्ई बार चक्कर भी आने लगेंगे। इस समय इस बात का बहुत महत्व है कि आप पौष्टिक भोजन करें तथा अपनी प्राणशक्ति को उच्च स्तर पर रखे। भूर्ण धीरे-धीरे बढ़ रहा है उसके अंदर सर्वप्रथम तंत्रिका तंत्र का विकास होगा, जिसका अर्थ है कि आपके बच्चे का मस्तिष्क, रीढ की हड्डी और नसों नाड़ियों का इस स्तर पर विकास होता है। बाल, नाखून, आंखें स्वर रज्जु तथा मांसपेशियां अपना आकार लेना आरंभ कर देती है।

बच्चे के कानों की मासपेशियां पहली तिमाही में विकसित होती हैं इसीलिए इस समय मधुर संगीत व मन्त्रों का उच्चारण सुन्ना बहुत अच्छा होता है। इससे बच्चे के तंत्रिका तंत्र पर भी बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है।

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दूसरी तिमाही

इस तिमाही में बच्चा पेट के अंदर घूमने लगता है। वह हिचकियां तथा उबासी भी लेने लगता है। इस समय आपके मन में बहुत से उतार चढ़ाव होंगे तथा भावनात्मक उथल-पुथल महसूस होगी। ऐसा होने का मुख्य कारण शरीर में हार्मोन में बदलाव है। इस समय आपको अपने प्रियजनों का साथ व सहायता की आवश्यकता होगी।

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तीसरी तिमाही

यह गर्भावस्था का सबसे चुनौतीपूर्ण चरण होता है। इस समय आपके शरीर का वजन बढ जाने के कारण आपको असहजता महसूस होगी। बच्चा अपना स्थान बदलता रहता है तथा बाहर आने की तैयारी करता है। जिसके कारण आपको श्रोणि क्षेत्र (पेल्विक एरिया) में तथा पेल्विक बोन में खिंचाव महसूस होगा। आपकी पीठ में दर्द हो सकता है और शरीर को हिलाना- डुलाना मेहनत का कार्य लग सकता है।

गर्भावस्था के दौरान ध्यान कैसे सहायता कर सकता है? | How does meditation help during pregnancy?

  1. इस समय ध्यान करने से आपके शरीर का अपने-आप उपचार होने लगता है और बच्चे की भी सेहत अच्छी बानी रहती है।
  2. ध्यान शरीर में जीवन शक्ति का संचार करता है तथा प्राण ऊर्जा बढ़ाता है। इस समय पर आपको बच्चे के विकास के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है तथा ध्यान करने से शरीर में उर्जा का प्रतिपादन होता है। ध्यान का अभ्यास करना मां और बच्चे दोनों के लिए ही बहुत लाभदायक है।
  3. मन का संतुलन खराब होना तथा मानसिक उथल-पुथल गर्भावस्था में सामान्य बात है। जैसे जैसे बच्चे की संवेदनाएं विकसित होती हैं वैसे वैसे बच्चा आपकी सारी संवेदना ही महसूस करने लगता है। इसलिए इस समय पर प्रसन्न रहना, आरामदायक स्थिति में रहना तथा शांत रहना अति आवश्यक है। सहज समाधि मैडिटेशन इस समय पर करना बहुत अच्छा है आपके लिए भी और बच्चे के लिए भी। वास्तव में इस समय पर आप को दिन में तीन से चार बार सहज मंत्र का स्मरण करना चाहिए।
  4. ध्यान मन को विश्राम देता है जिससे भावनात्मक असंतुलन को झेलना आसान हो जाता है। यह शरीर को विश्राम देने का श्रेष्ठ उपाय है। यह रीढ की हड्डी पर पड़ने वाले दबाव को कम कर देता है जिसके कारण आप गर्भावस्था के अंतिम चरण में भी आरामदायक स्थिति में रह सकती हैं।
  5. व्यस्त जीवनशैली के कारण उच्च रक्तचाप तथा मधुमेह हो जाना सामान्य बात है। ध्यान करने से इन दोनों पर रोक लगाई जा सकती है, इससे मां के पास सामान्य प्रसव करने के अधिक अवसर होंगे।

गर्भावस्था के दौरान इन उपायों को अपनाएं | Healthy pregnancy tips

  1. इस समय पर परामर्श दिया जाता है कि होने वाली मां को आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए।
  2. मंत्रोच्चारण, मधुर संगीत सुनना, ज्ञान सुनना बहुत लाभदायक होगा। श्री श्री रविशंकर की वार्ता सुगम व सुखदायक सिद्ध होगी।
  3. आक्रामक और हिंसक परिस्थितियों को यथासंभव दूर रखना चाहिए। यदि आपको फिल्में देखनी अच्छी लगती है तो तनाव देने वाली फिल्मों से दूर रहे।

- डॉक्टर प्रेम भट्ट

स्वस्थ तथा प्रसन्नतायुक्त गर्भावस्था के लिए बेहतर है कि आप अपने प्रिय जनों के साथ ध्यान करें। सामूहिक साधना का अधिक गहरा असर होता है। प्रसव के दौरान आप सुदर्शन क्रिया भी कर सकते हैं क्यूंकि इससे प्रसव प्रक्रिया और अधिक आसान हो जाती है। सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ़ लिविंग के हैप्पीनेस प्रोग्राम में सिखाई जाती है। ध्यान करने से आपका मन प्रसन्न व शांत हो जाता है। इसके कारण आप अपने जीवन के इस चरण को और अधिक जागरूकता के साथ जी सकते हो।

आप अपनी गर्भावस्था के पहले या दो स्तरों पर योग का अभ्यास भी कर सकती है तथा कुछ योगासन करते रहने से आखरी समय तक आप को गर्भावस्था के लक्षणों का सामना करने तथा सामान्य प्रसव के लिए सहायता मिलेगी। कैट पोज, ट्रायंगल पोज़ और विंड रिलीविंग इसके कुछ उदाहरण है। आप “योग मुद्राएं गर्भाधान में” की अधिक जानकारी प्राप्त कर सकती है। किसी भी योग मुद्रा के अभ्यास से पूर्व चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।

गर्भावस्था के लिए आहार युक्तियां | Diet tips for pregnancy

  1. प्रथम माह: ठंडा दूध पिए तथा ऐसा भोजन खाएं जो आसानी से पच जाए। खट्टा और बासी खाना ना खाएं। यदि कब्ज हो जाता है, तो आयुर्वेदिक औषधि मृदु अनुलोमन या मातरावस्ति ले।कोई भी दवा लेने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले।
  2. द्वितीय माह: सारा दिन थोड़े थोड़े अंतराल के बाद पौष्टिक भोजन लेते रहें। फलों का रस ना ले, इससे उल्टी आने का खतरा रहता है। दूध, चावल, नारियल पानी, चावल का पानी, खीर और घी खाना अच्छा है।
  3. तृतीय माह: मलाई, शहद और घी खाने का परामर्श दिया जाता है।

एक पौष्टिक भोजन विधि - गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए:

सामग्री:

  • खुबानी या अंजीर - २५० ग्राम
  • काले खजूर - २५० ग्राम
  • बादाम - 60 ग्राम
  • पिस्ता बिना नमक का - १०० ग्राम
  • खीरे के बीज - १०० ग्राम
  • सूरजमुखी फूल के बीज - १०० ग्राम
  • कद्दू के बीज - १०० ग्राम
  • खरबूजे के बीज - १०० ग्राम
  • अखरोट - १०० ग्राम
  • चिरौंजी (चारोली) - 50 ग्राम
  • नटमेग - ३ न.
  • इलायची - 25 ग्राम
  • केसर - २तार

बनाने की विधि

  1. खुबानी,अंजीर और काले खजूर को बारीक काट लें।
  2. बादाम, पिस्ता, खरबूजा, सूरजमुखी, कद्दू और खीरे के बीजों को पीस लें। अखरोट, चिरौंजी, इलाइची और नटमेग पाउडर को भी अच्छी तरह मिला दे।
  3. सबको अच्छी तरह मिला लें, इनको आटे की तरह गूंधकर थाली में फैला दें।
  4. चौकोर टुकड़ों में काटें।

रोज सुबह, एक टुकड़ा गर्म दूध के साथ खाएं।

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