आयुर्वेद

व्रत या उपवास | Fasting

प्रत्येक धर्म और चिकित्सा परंपरा व्रत रखने को मान्यता देती है। उपवास चिकित्सा तथा आध्यात्मिक दोनों में फायदेमंद है। उपवास करने से आपका शरीर अंदर से साफ़ जो जाता है जिसके कारण आपके मन और शरीर को एक नवीन ऊर्जा मिलती है| व्रत रखना आवश्यक है क्योंकि हमारे शरीर को लगातार तीन बार के भोजन और भोजन के मध्य नाश्ते को पचाने के लिए काफी श्रम करना पड़ता है, उपवास शरीर को विश्राम देता है। जब व्रत रखा जाता है तब पाचन तंत्र पर जोर कम पड़ता है जिससे शरीर का उपचार प्राकृतिक रूप से हो जाता है|

कुछ लोग बिल्कुल बिना कुछ खाए व्रत रखते हैं, या केवल एक फल खाते हैं और अपने भोजन में से कुछ खाने की वस्तुएं निकाल देते हैं। वहीं कुछ लोग एक दिन का व्रत रखते हैं, तो कुछ काफी दिनों तक, तथा कई लोग कई हफ्तों का व्रत भी रखते हैं। उपवास करते समय यह सावधानी बरतनी चाहिए कि अत्यधिक उपवास चयापचय दर को कम कर देता है तथा पाचन शक्ति को कमजोर कर देता है| शरीर भी कमजोर हो जाता है- तो यह महत्वपूर्ण है कि व्रत रखने से पहले यह जाने की व्रत कब और किस प्रकार रखना है।

उपवास रखने से पहले निम्नलिखित चीज़ों का ध्यान रखें

  1. लंबे समय तक उपवास रखने से पहले आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श अवश्य करें।
  2. लंबे व्रत रखने से पहले छोटे छोटे व्रत रखने का प्रयास करें।
  3. बिना किसी निरीक्षक के पूर्ण व्रत ना रखें, 1 दिन से अधिक।
  4. एकादशी व्रत- आप शाम के 7:00 बजे शुरु करें, अगले दिन पूरा व्रत रखे, सुबह 7:00 बजे तक।

व्रत के समय शरीर मे एकत्र विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं, अत्यधिक एसिड, वसा, चिपचिपा बलगम आदि  शरीर के अलग-अलग भागों से बाहर निकल जाता है।

व्रत के विभिन्न प्रकार:

पूर्ण व्रतनिर्जल व्रत 
  पित्त प्रव्व्ति तथा पित्तदोष
  वात- पित्त प्रवृत्ति
  वात प्रकृति तथा वात असंतुलन

    सुदर्शन क्रिया से तन-मन को रखें हमेशा स्वस्थ और खुश !

    हमारा मुख्य कार्यक्रम हैप्पीनेस कार्यक्रम अब सच्ची ख़ुशी से कम में काम न चलायें !
    सुदर्शन क्रिया से तन-मन को रखें हमेशा स्वस्थ और खुश !