
पिछले 2 साल जैसे भी बीते, नया साल आने वाला है और इस नए साल को ऐसे शुरू कीजिए कि बीते साल का कोई मलाल न रह जाए।यहाँ हम आपको बता रहे हैं वो पाँच चीजें जिससे आप अपने और अपने खास लोगों के जीवन को एक नयी ऊर्जा से भर देंगे।
रिश्तों की कद्र करें

कोरोना ने हम सबको ये तो सिखा दिया कि यहाँ कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता है। चीजें तेज़ी से बदल रही हैं और जो मुश्किल समय मे काम आते हैं वो हैं अपना परिवार, दोस्त , रिश्तेदार और पड़ोसी। आप कितना भी आत्मनिर्भर क्यों न हों, हम सभी को कभी न कभी भावनात्मक रूप से किसी न किसी की आवश्यकता पड़ती ही है। इसलिये किसी से भी कोई मनमुटाव न रखें। हर व्यक्ति का अपना स्वभाव होता है और ऐसे में कई बार मतभेद होना स्वाभाविक है । छोटी मोटी बात के कारण संबंधों में दूरी न आने दें । तो हर किसी से अच्छे और मधुर संबंध बना कर रखें और हो सके तो पूरी दुनिया से अपनत्व का भाव रखें क्योंकि सभी अपने ही हैं।
अपने खान - पान का रखें विशेष ख्याल

पिछले 2 सालों में जो शब्द आपने सबसे ज़्यादा सुनें होंगे उनमे से एक है - "इम्यूनिटी" यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता ! जी हाँ, आपने एकदम सही अंदाज़ा लगाया । अच्छा खान पान, एक दिन में संभव नहीं। ये तो हमारी आदत में शुमार होना चाहिए । यहाँ आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है। आयुर्वेद के अनुसार हर किसी की प्रकृति अलग होती है जैसे कोई वात प्रकृति का होता है, कोई पित्त प्रकृति का होता है, किसी मे कफ की प्रधानता होती है और कुछ लोग वात- पित्त, पित्त - कफ या इनके मेलजोल वाली प्रकृति के भी हो सकते हैं। यहां ये बात महत्वपूर्ण है कि हर प्रकृति वाले व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार चीजें खानी चाहिए, कुछ चीजों का परहेज़ करना चाहिए। कई बार कुछ चीज़ें जो आपके शरीर के लिए अच्छी नहीं होतीं शरीर मे आम यानी अपच कर देती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत नुकसान पहुँचाती हैं। बाद में यही बहुत सी बीमारियों को न्यौता दे डालती हैं। तो यदि कम शब्दों में कहा जाए तो चिकित्सा पद्धति आप जो भी अपनाते हों ज़रूर अपनायें, लेकिन जीवनशैली आयुर्वेदिक ही रखें ताकि पहले से ही बीमारियों से बचे रहें। और अगर आप तक आप ऐसा नहीं कर पा रहे थे तो कोई बात नहीं, इस नए साल पर शुरुआत कीजिये।
सुदर्शन क्रिया, ध्यान और ज्ञान को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं

इसमें कोई संशय नहीं कि जो लोग भी सुदर्शन क्रिया, ध्यान का निरंतर अभ्यास करते है और ज्ञान को अपने जीवन का अभिन्न अंग समझते हैं, वे किसी भी चुनौती को हंसते- खेलते पार कर जाते हैं। यही नहीं उनमे ये कौशल भी खूब होता है कि उनके आस - पास के लोग कैसे खुश रहें। बहुत अधिक इतिहास में नहीं जाते अभी हाल ही में बीता साल इस विषय मे बहुत कुछ कहता है। बीते 2 साल यानी कि मार्च 2020 से लेकर अब तक जब कि पूरी दुनिया लगभग बंद पड़ गयी थी। लोग अपने घरों में निराशा और डर के बादल देख रहे थे, उन्हीं चुनौतीपूर्ण घड़ियों में आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक, लोगों को ऑनलाइन ध्यान और सुदर्शन क्रिया सिखाकर न केवल उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहे थे बल्कि उनका मनोबल भी ऊंचा कर रहे थे। लोगों के अनुभव प्रत्यक्ष हैं और सब कुछ बता ही रहे हैं और उस पर भी यदि हम आंकड़ें देखने जाएं तो पाएंगे कि दुनिया भर से लाखों लोगों ने पिछले 2 सालों में सुदर्शन क्रिया और ध्यान को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया और अब खुशी से जीवन का एक नया पन्ना लिख रहे हैं। तो अगर आपने किसी कारणवश अभी तक सुदर्शन क्रिया और ध्यान नहीं सीखा है तो जनवरी 2022 में ही ये काम कर लें ताकि साल की शुरुआत एकदम जानदार हो और साल का एक एक दिन अच्छे स्वास्थ्य और खुशियों में बीते ।
खुश रहें और खुशियाँ बाँटें

कहते हैं बाँटने से खुशियाँ बढ़ती हैं। पर हम दरअसल बाँटना नहीं जानते। इस साल की शुरुआत कीजिये किसी के चेहरे पर मुस्कान लाकर। ये काम बहुत आसान है। वैसे तो हम पूरे साल अपने लिए कुछ न कुछ तो करते ही रहते हैं, इस साल किसी बच्चे की एक मुस्कान के लिए कुछ करें। आपकी दी हुई छोटी से भेंट एक बच्चे के जीवन मे खुशियों की बहार ला सकती है। तो साल 2022 में खुश रहें और खुशियाँ बाँटें।
अपना मनपसंद काम ज़रूर करें

मनोवैज्ञानिकों का दावा है कि जब आप अपनी व्यस्त दिनचर्या में केवल 30 मिनट भी अपना मनपसंद काम करते हैं तो आपका शरीर अच्छे और खुशियों वाले हार्मोन का स्राव करता है जिससे आप दिनभर खुश और ऊर्जावान रहते हैं । यही नहीं, जो लोग थोड़े समय के लिए ही सही पर अपनी हॉबी फॉलो करते हैं जैसे कि खाना बनाना, संगीत सुनना, टहलने जाना, किताबें पढ़ना या कोई वाद्य यंत्र बजाना या फिर गपशप करना , उनकी सफलता का प्रतिशत अन्य लोगों की तुलना में कहीं अधिक होता है। इसलिए 2022 की शुरुआत से ही, कम से कम अपना 1 मनपसंद काम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी मे ज़रूर शामिल कर लें।
वैसे इस साल आपने कोई न कोई न्यू ईयर रेसोल्यूशन तो बनाया ही होगा और अगर नहीं भी बनाया तो भी चलेगा पर ये पाँच चीजें करना मत भूलियेगा।
लेखिका : रत्नम सिंह
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