ध्यान (meditation)

शाकाहार और ध्यान

अब समय बदल रहा है| आजकल समाचार और अनुसंधान से एवं कथा-चित्रों से हमें शाकाहारी भोजन से होने वाले अनेकों स्वास्थ्य लाभ के बारे में पता चलता है। जीव के प्रति करुणा और वातावरण के प्रति सजगता से लेकर स्वस्थ हृदय तक, शाकाहारी बनने के ऐसे बहुत सारे फायदे गिनाये जाते हैं| यदि आप गूगल से पूछें "शाकाहारी क्यों बनें" तो आप को 16.1 करोड़ उत्तर मिलेंगे !

अब आप सोचते होंगे कि इस विषय पर हमारे पास बात करने के लिए नया क्या है? सच पूछें तो हम इस लेख में यह जानेंगे कि शाकाहारी भोजन मांसाहारी भोजन की तुलना में बेहतर क्यों है, विशेषतया यदि आप नियमित रूप से ध्यान साधना करते हैं|

 

अब ध्यान करना है बहुत आसान ! आज ही सीखें !

 

साथ ही हम आपको लगातार 31 दिन की "शाकाहारी भोजन एवं ध्यान" चुनौती भी देना चाहेंगे जिससे कि आप उन सभी फायदों का स्वयं अनुभव कर सकें| हम मानते हैं कि  आपका स्वयं किया हुआ अनुभव हमारी किसी भी बात से ज्यादा प्रबल होगा | और इसीलिए हम चाहेंगे कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप इस चुनौती को स्वीकार करें और स्वयं अनुभव करें कि एक माह तक शाकाहारी भोजन करने का आपकी ध्यान साधना पर क्या प्रभाव पड़ता है|

ध्यान रहे कि इस चुनौती को पार करने में आपको बहुत साहस की आवश्यकता होगी, किन्तु आपके आत्मबल के चलते यह इतना मुश्किल भी नहीं है | हम भी इस चुनौती में आपका साथ देने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे |

नोट: इस चुनौती के अंत में, ध्यान साधना के पश्चात होने वाले अनुभव में आप कितना अंतर महसूस करते हैं, यह इस पर निर्भर करेगा कि आप इस चुनौती से पहले, दिन में कितनी बार मांसाहारी भोजन करते थे|  

इससे पहले कि हम इस चुनौती को प्रारम्भ करें, आइये यह जान लेते हैं कि शाकाहारी साधक होना क्यों अच्छा है|

गहन ध्यान

क्या आप मानेंगे कि यह यात्रा अत्यधिक व्यक्तिगत, सृजनात्मक और बहुमूल्य है? यह कहा जाता है कि जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण एवं हमारा भोजन इस का निर्धारण करते हैं कि हमारी आंतरिक यात्रा कैसी होगी | 

क्या आपने कभी अनुभव किया है कि जब आप अपने कार्य में 100% रूचि लेते हैं और ताजे फलों, सब्जियों और अनाज इत्यादि का सेवन करते हैं, तब आप ध्यान साधना की गहराई में जा पाते हैं| इस प्रकार का भोजन पचने में आसान होता है और उसमे बहुत अधिक प्राण शक्ति और ऊर्जा समाहित होती है| (प्राण शक्ति उस ऊर्जा को  कहते हैं जो हमें सक्रिय और उत्साहित बनाये रखती है और आस पास के वातावरण को सकारात्मक बनाये रखने में हमें सहयोग देती है|)  

निश्चित रूप से, भोजन का हमारी मनःस्थिति और हमारी चेतना पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है| यह माना जाता है कि वनस्पति जगत की चेतना, जीव-जंतुओं की चेतना की तुलना में अति सूक्ष्म होती है| इसी कारण, फल और सब्जियों का सेवन करने से हमारा शरीर हल्का रहता है जिसके चलते हमें गहरा ध्यान कर सकने में सहायता मिलती है|

इसीलिए, जब आप शाकाहारी भोजन का नियमित सेवन करते हुए ध्यान साधना करते हैं, तब आपके मन और शरीर में बेहतर ताल-मेल हो पाता है| और तब आप बहुत तेजी और सरलता से अपनी ध्यान-साधना में ऊपर उठ पाते हैं|

त्वरित लाभ

शाकाहारी भोजन के साथ ध्यान साधना करने से हमें इसके प्रभाव और लाभ का शीघ्र अनुभव होने में सहायता मिलती है|

क्या अब आप चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार हैं?

चुनौती

1) चूँकि आप एक नियमित साधक हैं, हम ये मान लेते हैं कि आप प्रतिदिन कम से कम एक बार ध्यान अवश्य करते हैं| यदि ऐसा है तो आप अपनी ध्यान-साधना को यथावत चालू रख सकते हैं|  

यदि आप नियमित ध्यान-साधना नहीं करते हैं, तो हमारी राय है कि आप अपनी दैनिक साधना के लिए एक सुविधाजनक समय निश्चित कर लें|  

2) अगले ३१ दिनों तक केवल शाकाहारी भोजन का सेवन करें| आपके लिए क्या-क्या ठीक रहेगा, इसकी जानकारी आप एकत्र कर सकते हैं|

यह जानते हुए की मांसाहारी/मांसाहारी भोजन आपको अत्यधिक प्रिय है, हम समझ सकते हैं कि शुरुआत में शाकाहारी भोजन पर निर्भर रहना आपके लिए आसान नहीं होगा।  आइये देखते हैं कि इस चुनौती-काल में आपको किन-किन बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है| इन समस्याओं से निपटने के लिए हम अपनी ओर से आपको सर्वोत्तम सुझाव देने का प्रयास करेंगे|

मैं स्वाद की अत्यधिक कमी महसूस कर रहा हूँ!

हमारा सुझाव

#1| उन्ही मसालों का प्रयोग करें - संभवतया आप अपने मांसाहारी भोजन में पड़ने वाले मसालों के स्वाद को बहुत चाहते हैं, चूँकि उन्ही से भोजन का स्वाद बढ़ता है| यदि आप अपने शाकाहारी भोजन में उन्ही मसालों का प्रयोग करें तो संभव है कि आपको वही स्वाद मिल जायेगा| बस उन्ही मसालों के साथ अपने मांसाहारी पकवान को शाकाहारी पकवान से बदल दें| आसान है न?  

एक और उपाय है| आप अपने पास के सुपर बाज़ार से सोयाबीन से बने, कृतिम मांस या कृत्रिम चिकन खरीद कर उन्ही मसालों का प्रयोग करें|  

यह कृत्रिम मांस पूर्णतयः शाकाहारी होता है और आपको मांसाहारी भोजन का स्वाद भी देता है|  

#2 जीवन में हर चीज़ का एक बेहतर विकल्प होता है, आप भी अपने स्वाद तंतुओं के लिए शाकाहारी विकल्प खोजें| आपको केवल थोड़ा सृजनात्मक होना होगा और शाकाहारी विकल्प ढूंढने होंगे|

31 दिन एक लम्बा अंतराल लग रहा है ?

हमारा सुझाव

धैर्य रखें - शाकाहारी बनना आसान तो नहीं है किन्तु यह जान लें कि धीरे-धीरे आप की इच्छा स्वतः ही शांत होती जाएगी| जब भी आपको तीव्र इच्छा हो, आप स्वयं को यह बताएं की आप 31 दिन का शाकाहारी व्रत क्यों कर रहे हैं|

साथ ही, छोटे- छोटे लक्ष्य निर्धारित करें, स्वयं को यह बताएं कि "केवल आज के लिए, मैं मांसाहारी भोजन नहीं करूंगा", और सिर्फ एक दिन मांस न खाने का प्रण इतना कठिन प्रतीत नहीं होगा|  

स्पष्ट है कि यही प्रण आपको प्रत्येक दिन दोहराना पड़ेगा, और अंत में इसका महत्व अवश्य समझ आएगा|

स्वयं को याद दिलाते रहें, "बस थोड़े और दिन की बात है, देखते हैं क्या होता है| क्या पता कोई बहुत सुन्दर अनुभव मेरी प्रतीक्षा कर रहा हो | मैं अपने उदर को तो स्वस्थ बना ही रहा हूँ साथ ही वातावरण को भी बेहतर बनाने में अपना योगदान दे रहा हूँ |"

यदि अपने लिए नहीं तो वातावरण के लिए यह त्याग करें और अपना प्रण निभाएं|

अगर आप को लगे कि आप अपना प्रण नहीं निभा पायेंगे 

हमारा सुझाव

#1अपने किसी प्रिय व्यक्ति को वचन दें : यहां प्रेम आपका सहायक होगा| आप अपने प्रिय व्यक्ति को यह वचन दें कि आप अगले कुछ दिनों तक इस वचन को अवश्य निभाएंगे| आप इस में किसी ऐसे व्यक्ति को सम्मलित करें जिनसे आपको साहस की प्राप्ति हो | निश्चय ही आप जानते हैं कि आपके जीवन में वह व्यक्ति कौन है|

#2 ध्यान साधना की कड़ी को भंग न होने दें : ध्यान साधना एवं  शाकाहारी भोजन, एक दूसरे के पूरक हैं| जिस प्रकार शाकाहारी भोजन करने से आपका ध्यान गहरा होता है, उसी प्रकार ध्यान साधना से मनोबल की वृद्धि होती है और आप मांसाहारी भोजन को छोड़ने के अपने संकल्प पर दृढ़ता पूर्वक टिके रह सकते हैं|

#3 मन पर पड़ रहे प्रभाव के प्रति सजग रहें : जैसे-जैसे आप शाकाहारी भोजन के साथ ध्यान-साधना के पथ पर अग्रसर होंगे, आप को और गहरे ध्यान का अनुभव होने लगेगा| इन अनुभवों के प्रति सजग रहने से आप अपने संकल्प को सफलता से सिद्ध कर सकेंगे|

यदि आप चाहें तो आप ध्यान साधना के अनुभवों की एक डायरी बना लें| अपने दैनिक अनुभव को केवल पांच पंक्तियो में लिखें - आज का ध्यान और दिनों से अलग क्यों था| क्या आपके लिए ध्यान करना सरल हो रहा है या कठिन लग रहा है| सबसे कठिन अंग क्या है?

आप इस चुनौती को स्वीकार करें और स्वयं अनुभव करें और दूसरों से भी साझा करें| हमारी शुभकामनाएं!

लेखिका: दिव्या सचदेवा

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