भारत में देशी पशुओं की नस्ल की घटती हुई संख्या को देखते हुए, देशी नस्लों का संरक्षण करना आवश्यक हो गया है |
“गायों को स्वस्थ रखने के लिए, 100 लोगों पर 20 गायों का होना एक उचित अनुपात है मवेशियों द्वारा अधिक मात्रा में दूध नहीं देने पर उनका वध किया जा रहा है इससे पशुओं की संख्या कम होती जा रही है जो अनुवांशिक प्रक्रिया को प्रभावित करती है जिससे शीघ्र ही 100 गायों पर केवल 5 गायों का अनुपात रह जाएगा विश्वास है गौशाला से ये आंकड़े बदल जाएंगे”
~गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
गायों की सौ से अधिक प्रजातियों में से, अब केवल 40 प्रजातियाँ ही बची हैं - इनमें से अधिकांश विलुप्त होने के कगार पर हैं | बहुत बड़े पैमाने पर संकरण करने के कारण, शुद्ध नस्ल की गायों का मिलना बहुत कठिन हो गया है |
देशी गायों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए, भारत के बैंगलोर शहर के आर्ट ऑफ़ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में, श्री श्री गौशाला की स्थापना की गयी है| गौशाला (गायों के लिए आवास स्थान) भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग है | जो मुख्यतः कृषि और डेयरी उद्योग के समुदायों के बीच बहुत महत्व रखता है
श्री श्री गौशाला में आज पूरे भारत से 15 विभिन्न विजातीय नस्ल की गायें हैं इसे शुरु करने का उद्देश्य, गौशाला व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ पशुओं की नस्लों को संरक्षित करना है
श्री श्री गौशाला पर्यावरण के अनुकूल और किसानों के लिए लाभदायक है| गौशाला का प्रत्येक उत्पाद मूल्यवान है और इसे बेचा जा सकता है| देशी नस्लों को घास के चारे की बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है जिसे खेतों से उप -उत्पाद के रूप में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है|
आर्ट ऑफ़ लिविंग की श्री श्री गौशाला प्राकृतिक रूप से खेती करने को बढ़ावा और दोबारा उसे प्रचलित करने का उदाहरण भी प्रस्तुत करती है|
श्री श्री गौशाला में आज 15 विभिन्न विजातीय नस्लों की सौ से भी अधिक गायें हैं |
संख्या
| गाय की नस्ल
| राज्य
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1
| गिर
| गुजरात
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2
| ओंगोल
| आंध्रप्रदेश
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3
| कंगायम
| तमिलनाडू
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4
| साहिवाल
| पंजाब
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5
| कंकरेज
| गुजरात
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6
| कासरगिडा
| केरला
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7
| डांगी
| महाराष्ट्र
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8
| थारपरकर
| राजस्थान
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9
| आलमबड़ी
| तमिलनाडू
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10
| हल्लीकर
| कर्नाटक
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11
| राठी
| हरियाणा
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12
| पुलीकुलम(जल्लीकट्टू)
| तमिलनाडू
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13
| उमबलाचेरी
| तमिलनाडू
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14
| पुंगनूर
| Andhra Pradesh
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भारतीय गायों के बारे में कुछ तथ्य
- भारतीय नस्लों के कंधों और गर्दन के ऊपर एक कूबड़ होता है|
- राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन विभाग की (2016 की रिपोर्ट) के अनुसार भारत में मवेशियों की 40 नस्लें हैं, जिनमें से कुछ विलुप्त होने के कगार पर हैं|
- भारतीय विदेशी नस्लों की ख़ासियत यह है कि वे कई उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं और उनकी विशेषताएं उन्हें गर्म और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाती हैं। बाल, खाल, रंजकता, पसीने की क्षमता, ढीली त्वचा और आंतरिक शरीर की गर्मी भारतीय मवेशियों की अनूठी विशेषताएं हैं जो उन्हें किसी भी प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के लिए सबसे उपयुक्त बनाती हैं।
- इन गायों में अच्छे रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले जीवाणु होते हैं जो किसी भी तरह के खाद्य और चारे को पचा सकते हैं |
देशी गायों के फायदे
- गुणकारी दूध
गाय का दूध सात्विक (शुद्ध गुणों वाला ) और पौष्टिक होता है | आमतौर पर दुकानों पर बिकने वाला डेयरी दूध विभिन्न नस्लों के दूध का मिश्रण होता है जिसमें भैंस का दूध भी शामिल होता है, इसमें वसा की मात्रा अधिक होती है और तामसिक (सुस्त गुणवत्ता वाला ) होता है | देशी गायों के दूध में ए2प्रोटीन, विटामिन बी, डी, ई, के, सात प्रकार के खनिज, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 22 प्रकार के अम्ल और 24 प्रकार के सरल पाचक एंजाइम होते हैं |
- गाय का गोबर
प्राकृतिक रूप से खेती करने के लिए, खाद सबसे अच्छा उर्वरक है जिसमें प्राकृतिक कीटनाशक होते हैं| सूखे गोबर के केक को खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। एक विशेष प्रकार के कुंड में एकत्रित किए गए गोबर से बायोगैस बनता है| जिसे गाँवों में बिजली के एक स्थायी स्त्रोत के रूप में उपयोग किया जा सकता है| ताजा गोबर मलेरिया और टीबी को उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया को मारता है |
- उपयोगी गोमूत्र
डिस्टिल्ड(आसुत) मूत्र (गौमूत्र) एक चमत्कारिक औषधि है जिससे बहुत से रोगों जैसे- त्वचा विकारों से लेकर कैंसर तक, का उपचार होता है | श्री श्री आयुर्वेद अस्पताल और श्री श्री पंचकर्म ने गौमूत्र के द्वारा बहुत सी पुरानी बीमारियों को ठीक करने में सफलता प्राप्त की है| गौमूत्र में आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, कार्बोनिक एसिड, पोटाश और लैक्टोज भी होते हैं। इसमें 24 प्रकार के अम्ल होते हैं और गौमूत्र से कई उपयोगी दवाईयाँ बनाई जाती हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग ने भारत में अपने प्रत्येक केंद्र में एक गौशाला खोलने की योजना बनाई है। अब तक दो गौशालाएं हैं- एक बेंगलुरु (कर्नाटक) में और दूसरी वासद (गुजरात) में।
