श्री श्री प्राकृतिक कृषि (कुदरती खेती): एक स्वस्थ कल के लिए प्राचीन विधि का पुनरद्धार

श्री श्री कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, जो श्री श्री प्राकृतिक कृषि की परियोजना को द्रुतगति से प्रसारित कर रहा है इस प्राचीन तकनीक की प्रेरणा उस समय के भारत से ले रहा है जब भारत मुख्यतया कृषि प्रधान देश था। प्राकृतिक कृषि के तरीके प्रकृति में उपस्थित सहजीवन को स्थापित करते हैं।

उदहारण के तौर पर दाल और अनाज एक ही जमीन पर साथ उगाये जा सकते हैं क्योंकर दालों की जड़ों में उपस्थित बैक्टीरिया वातावरण की नाइट्रोजन को जमीन में लाते हैं, जो कि अनाज के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है।

जैविक खाद जैसे कि जीवामृत, जिसे देशी गाय के गोबर और मूत्र से तैयार करते हैं, इसमें रहने वाले जीवाणु भूमि में उपस्थित पोषक तत्वों को ऐसे विघटित कर देते हैं जिसे रोपी फसल आसानी से अवशोषित कर लेती है और बदले में जीवाणु को लम्बे समय तक का जीवन काल मिल जाता है।

SSIAST के एक ट्रस्टी प्रभाकर रेड्डी कहते है; पूरी फसल के दौरान किसानों की सहायता करने का हमारा संकल्प है, हम किसानोंको उनके क्षेत्र और मौसम के अनुकूल व्यक्तिगत सलाह देते हैं। हम ऐसा कर पाते हैं क्योंकर हमने एक सामाजिक पारिस्थिति तंत्र बनाया हुआ है। हम केवल कृषि परियोजनाएं ही नहीं लेते हैं। आर्ट ऑफ़ लिविंग सामाजिक तौर पर कई स्तरों पे जुड़ा हुआ है जैसे युवा नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर और योग ध्यान के सामाजिक कार्यक्रम। YLTP से बहुत से युवाचार्य बने है जो स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप सामुदायिक परियोजनाओं पर कार्य करते हैं।

वे आगे बताते है; युवाचार्य कुछ विशिष्ट कार्यों पर ध्यान देते हैं जैसे जीवामृत या जैविक कीटनाशक नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र बनाना, जो किसानोंको प्राकृतिक कृषि के लिए सक्षम बनाता है।

आर्ट ऑफ़ लिविंग के युवाचार्यों के साथ कृषि प्रशिक्षक और SSIAST, कई सरकारी संस्थाए भी इस अभियान में भागीदार हैं। श्री प्रभाकर रेड्डी कहते हैं,हमने समुदाय से ही कुछ लोगों को प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षक बनाया है। गाँव में लोग सप्ताह में एक बार इकठ्ठे होकर ध्यान और सत्संग करते हैं, भजन गाते हैं । इस सामुदायिक सहयोग से किसानोंके लिए इसे अपनाना आसान रहा है।

लाभ ही लाभ | Natural Farming - Reaping profits

प्राकृतिक कृषि एक रसायन मुक्त और वातावरण के अनुकूल सक्षम एक सम्पूर्ण कृषि प्रारूप है जिसमे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है।

श्री श्री प्राकृतिक कृषि के लिए मुख्यतया छोटे और पिछड़े किसानों को प्रशिक्षित किया गया है जिनके पास ५ एकड़ से भी कम जमीन है।

  • सामान्यतया, वे बीज, खाद और कीटनाशक पर १०.००० रुपये प्रति एकड़ खर्च करते हैं। हालाँकि देशी गाय की मदद से ये खर्च कम होकर १००० रुपये प्रति एकड़ हो गया है।
  • अब खेती के लिए उन्हें पहले के मुकाबले के पाँचवे हिस्से(२० प्रतिशत) से भी कम पानी लगता है।
  • सूखे की स्थिति में भी, जब दूसरे किसान असफल हो जाते हैं, ये किसान एक स्वस्थ, बीमारी मुक्त और रसायन से रहित फसल पाते हैं।
  • भूमि का जीर्णोद्धार हो जाता है।
  • जैव विविधता बनी रहती है।
  • वातावरण भी सुरक्षित रहता है।

श्री श्री प्राकृतिक कृषि के लिए प्रारम्भ में एक पायलट परियोजना के लिए ३ महीने की अनुमति मिली थी, जिसे आंध्र प्रदेश सरकार ने ५ वर्ष के लिए बढ़ा दिया है।

प्राकृतिक कृषि परियोजना के मुख्य अंश | Natural Farming Project Highlights

  1. १५५० किसानों को प्रशिक्षण दिया गया, जिनमे से ५०० ने कुर्नूल में प्राकृतिक कृषि को अपनाया है।
  2. १८०० एकड़ जमीन में प्राकृतिक कृषि हो रही है।
  3. किसानों को न केवल ट्रेनिंग दी गयी है बल्कि एक सलाहकार, जो लम्बे समय तक उन्हें रास्ता दिखाता रहे।

भी उपलब्ध कराया गया है। २०१६ में आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के एक गांव लक्ष्मापुरम के एक किसान महबूब बाशा ने मात्र १.५ एकड़ जमीन से हर १५ दिनों में ८००० किलो हरी मिर्च उगाई। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने उन्हें २०१६ के सर्वश्रेष्ठ कृषक (बेस्ट फार्मर) के रूप में सम्मानित किया ।इस साल उनके जिले में सूखा भी पड़ा था। लक्ष्मापुरम के सभी किसानो को सूखे की राहत राशि प्राप्त हुई जबकि सूखा पड़नेके बावजूद भी बाशा ने खूब लाभ कमाया।

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