राजस्थान के नाथद्वार में हुई पक्षियों की वापसी (Rajasthani Stories in Hindi)

खमनौर व नाथद्वार तहसील (राजस्थान | Rajasthan)। हर वर्ष की तरह इस हिन्दी नव वर्ष (new year) पर मोलेला गांव को मनमोहक (attractive) तरीके से सजाया गया। नव वर्ष (new year) की जगृति के लिए इस कार्यक्रम में आर्ट आॅफ लिविंग (Art of Living) की पहल होती है, जिसके तहत सेवा कार्य किये जाते है। पिछले पाॅच वर्षो की भाॅति इस वर्ष भी छोटे पक्षीयों के लिए घोसले व लगभग 101 परिंडे (जिनमें चिड़ियों के लिए खाना व पानी डाला जाता है।) पेड़ों पर लटकाये गये।


राजस्थान (Rajasthan) के इस क्षेत्र में मई-जून (May- June) माह में 48 डिग्रीसेन्टीग्रेट तक तापमान (48 degress temperature) हो जाता है। बाकी जानवरों की तरह पक्षीयों (birds) को भी जीने के लिए पानी की जरूरत होती है। जहाॅ देखा गया कि ज्यादातर पक्षीयों की मृत्यू गर्मी व प्यास के कारण हो जाती है।
ऐसे में आर्ट आॅफ लिविंग (Art of Living) प्रशिक्षक प्रवीण सानढृया के नेतृत्व में पिछले पाॅच वर्षो से इन पक्षियों के लिए परिन्दे व घोसले रखे जाते है। इस वर्ष तीर्थस्थली नाथद्वारा में गिरिराज परिक्रमा में घोसले (घरौंदे) व परिंडे लगाये।
यहाॅ गांव वालों के साथ 25 स्वयंसेवक (volunteers) है जो बारी बारी पानी के प्यालों को भरते हैं। यहाॅ इस गांवों में तोता कौवा कबूतर और गौरैया देखे जा रहे है। ये आॅखों देखी बात है कि पक्षी (birds) पानी पीने यहाॅ आते है और पी कर उड़ जाते है।

गर्मीयों में इस गांव में कोई पक्षी (birds) दिखाई नही पड़ता था। लेकिन पिछले पाॅच सालों से इस पहल से यहाॅ पक्षी दिखाई (birds conservation) पड़ते है। जिसे देख गांव के लोग खुश है। सुधीर बोरा जोकि मोलेला गांव के उपप्रधान कहते है कि आर्ट आॅफ लिविंग की पहल से पिछले पाॅच सालों से हम सभी पंक्षी (birds) के लिए कटोरों में पानी रखते है। चिड़िया लू लगने से और पानी की कमी से मर जाती थी। हमने हर साल पंक्षियों के संख्या में वृद्धी होते देखा है। हम सभी बहुत खुश है।
विशेषज्ञयों की राय
हलांकी पंक्षीयाॅ अपने खाने में से पानी खुद अलग कर देती है। ज्यादातर पंक्षी (Birds) प्रतिदिन पानी पीते है। चिड़िया या पंक्षी (birds) भी पानी का उपयोग नहाने अपने पंखो को साफ करने और परजीवियों को अलग करने के लिए करते है।

आमतौर पर पंक्षी (birds) नहा लेने के बाद अपने पंखो के रोवों को सुखाने के लिए धूप में बैठते है। उसके बाद ये हर एक पंख में सुरक्षा प्रदान करने वाले तेल अपने चोंच से बड़ी सावधानी से लगाते है और पंख सवांरते है। ये तेल इसके पूंछ के पास स्थित ग्रन्थि से निकलता है। इन्ही सभी कारणों से ताजा व साफ पानी इन खूब सूरत पंक्षियों को आकर्षित करता है। 

संलग्न कर्ता: विमला बेल्लिकट्टे

सेवा टाइम्स भारतभर में आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा की जा रही मासिक गतिविधियां प्रस्तुत करने को समर्पित एक समाचार सेवा हे। पूरे भारत के गाँवों व शहरों में स्वयंसेवकों द्वारा की गई सेवाओं के जरिये समाज में जो बदलाव लाया जा रहा हैए उसका सेवा टाइम्स संलेख करता है।

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